सामग्री पर जाएँ

सदस्य:Tristha Kanwar 1840450

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
Tristha Kanwar 1840450
नाम त्रिस्ठा कॅवर
जन्म तिथि ११ जुलाई २०००
जन्म स्थान जयपुर,राजस्थान
देश  भारत
नागरिकता इंडियन
शिक्षा तथा पेशा
उच्च माध्यामिक विद्यालय माई ऑन स्कूल
शौक, पसंद, और आस्था
धर्म हिंदू

मेरा नाम त्रिस्ठा कॅवर है। मेरा जन्म जयपुर, राजस्थान में 11 जुलाई 2000 में हुआ था।

परिवार[संपादित करें]

Tristha

मेरे पिताजी का नाम अनूप सिंह है। मेरी माँ का नाम पूनम कॅवर है, वह एक गृहणी है। मेरी छोटी बहन त्रिपना कॅवर, मझसे चार साल छोटी है। मेरी जिंदगी का सबसे सुखद अवसर तब था जब मेरा छोटा भाई, निष्कर्ष पेदा हुआ।तब मैं 11 साल की थी। मैंने मरे भाई को अपनी गोद मे खिलाया है,उसे चलना सिखाया है। पूरे परिवार में वह मेरा पसंदीदा सदस्य है। मेरा बचपन जयपुर में सुखद रूप से बीता। पहले मेरे पिताजी कला और शिल्प का कार्य करते थे।तब मैं और मेरी बहन हम दोनों पिता जी के कार्य स्थल पर जाते थे और चित्रकारी मैं उनकी सहायता करते थे। तब से ही मुझे चित्रकारी मैं रुचि हुई। किंतु कुछ समय बाद ही मेरे पिताजी ने अपना व्यवसाय बदल लिया। परंतु अभी भी मुझे चित्रकारी में बहुत रुचि है। अब वह राजस्थान में कई बैंकों के साथ जुड़कर फाइनेंस बिजनेस करते हैं।

जीवन[संपादित करें]

बचपन[संपादित करें]

बचपन से ही मैं माई ऑन स्कूल, जयपुर मे पढ़ी। जब मैं तीसरी कक्षा में थी, तब पिताजी मुझे हमारे गांव लेकर गए थे। उस रात हम खटिया पर बाहर ही सो रहे थे। किंतु मुझे नींद नहीं आ रही थी मैंने लगभग रात 3:00 बजे ऊपर आसमान की ओर देखा। वह नजारा कभी नहीं भूल सकती। ऐसा लग रहा था कि मानो तारे आसमान से टूटकर नीचे उतर आएंगे, इतना अद्भुत दृश्य था। तब से ही मुझे चांद तारे इनमें बड़ी दिलचस्पी होने लगी। मैं जयपुर लौटते ही चांद तारों के बारे में पढ़ना चाहती थी।उनके इस अद्भुत दृश्य का कारण पता करना चाहती थी। तब से ही मुझे यह अकाश गंगा बहुत लुभाती है। अभी भी जब मैं उदास होती हूँ तो मैं रात को छत पर जाकर तारे देखती हूं, जिस से मन को बहुत शांति प्राप्त होती है। धीरे-धीरे समय बीतता गया और मैंने यह निर्णय ले लिया था कि मुझे खगोल विज्ञान की पढ़ाई करनी है। किंतु उससे पहले मुझे एक बड़ी समस्या सुलझानी थी। बचपन से ही मुझे ग्लौसोफोबिया( लोगों के सामने बोलने से डर लगता है। )हैं। जब मैं आठवीं कक्षा में थी तब मेरा यह डर इतना बढ़ गया था कि अगर अध्यापक मुझे किसी और अपनी स्कूली शिक्षा वही से पूरी की प्रश्न का जवाब देने के लिए उठाते तो मैं रोने लगती और कई बार तो मैं बेहोश भी हो गई थी। उस समय मैं खुद से बेहद निराश थी। मैंने धीरे धीरे अपने इस डर पर काबू करने का फैसला लिया। यह तो नहीं कह सकते कि मेरा ग्लौसोफोबिया बिल्कुल ठीक हो गया है किंतु मेरी हालत पहले से कई गुना बेहतर है।

शिक्षा[संपादित करें]

अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद मैंने क्राइस्ट यूनिवर्सिटी , बैंगलोर में दाखिला लेने का फैसला किया और मुझे यहां दाखिला भी मिल गया। अभी मैं क्राइस्ट यूनिवर्सिटी में बीएससी पीसीएम की छात्रा हूं। बेंगलुरू आकर मैंने एक तरह से अपने जीवन की नई शुरुआत की है। क्राइस्ट का कैंपस बहुत अद्भुत और सुंदर है। यहां का वातावरण भी राजस्थान से बिल्कुल अलग है। किंतु अपने माता-पिता , भाई -बहन और अपने दोस्तों से बिछड़ कर यहां आकर रहना इतना भी सरल नहीं है। धीरे-धीरे यहां के लोगों की सहायता से मैं यहां समायोजित हो रही हूं। अब मेरा लक्ष्य मुझे बेहद साफ दिखाई दे रहा है और आशा है की क्राइस्ट लक्ष्य तक पहुँचने मे मेरी सहायता करेगा ।