सदस्य:Tripal Singh Chauhan/प्रयोगपृष्ठ

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रजवाडे राजपुताना के[संपादित करें]

royal wedding in jodhpur
family picture of jodhpur royal family
wedding in udaipur
              राजस्थान का पूर्व नाम राजपुताना है। राजस्थान के जैसा गौरवशाली और वीरता भरा इतिहास पुरे विश्व मे कही नही है। यहा के राजपूत राजा अपनी आन-बान-शान के लिये हसते हसते अपने प्राण त्याग देते थे। यहा की राजपूत स्त्रीया अपने गौरव को बचाने के लिये जौहर कि आग मे कूद जाती थी। मेवाड मे ३ बडे जौहर हुए। १४वी सदी मे रानी पद्मिनी ने १३००० राजपुतानियो के साथ मिलकर जौहर किया , जब अल्लाउद्दीन खिल्जी ने आक्रमण किया था। १५२८ मे बहादुर शाह ज़फर से बचने के लिये रानी करणावती के नेतृत्व मे १४००० राजपुतानियो ने जौहर किया। १५६७ मे १६००० राजपुतानिया जौहर कि आग मे कूद गयी जब अकबर ने हमला किया। राजपुतो का साहस देखकर कहा जाता है कि "सिर गिरे धड लडे , देखी ऐसी वीरता कोइ। जौहर किये रानीयो ने , ऐसी परम्परा कहा होइ।" राजाओ के वन्शज आज राजस्थान मे उदयपुर ,जोधपुर , जयपुर , भरतपुर , किशनगढ , जैसलमेर आदि जगहो मे है। राजस्थान को जो सबसे अलग करता है वो है यहा के राजपूत राजाओ की वीरता और बहादुरी। राजपूत राजाओ की वीरता के साथ रानीयो के बलिदान भी अविस्मरणीय है। राजपूत इतिहास के वो वीर है जिनके बिना इतिहास खाली रह जाता है। जब मेवाड पर मुगलो ने आक्रमण किया तब उस युद्ध मे ४८००० लोग मारे गये , जिनमे ८००० राजपूत और ४००००० मुगल थे। सन् १३०० मे ८००० तुर्की मिलकर १२०० राजपूतो का मुकाबला एक घन्टा भी नही कर पाये थे। शेर शाह सुरी की ८०००० सैनिको की फौज़ ने जब मारवाड पर हमला किया तो १२००० रजपूतो ने उनसे लोहा लिया और भगा दिया। शेर शाह सुरी ने उस वक़्त कहा था कि " मुट्ठी भर बाजरे [ मारवाड ] के लिये हिन्दुस्तान की रियासत खो बैठता।
               एक समय मे मेवाड के नाम से विख्यात राज्य की नीव बप्पा रावल ने रखी थी। मेवाड के राजा सिसोदिया राजपूत कहलाते है और उन्हे राणा कहा जाता है। आज उन्के वन्शज उदयपुर मे रहते है। मेवाड के तत्कालीन राजा का नाम अरविन्द सिह है। उनके पुत्र का नाम लक्षराज सिह है। मेवाड के राजा शूरवीर और वीर थे। राणा सान्गा जिनके शरीर पर ८० घाव थे। महाराणा प्रताप जिन्हे अकबर तक नही झुका सका। महाराणा प्रताप जैसा वीर और पराक्रमी योद्धा कोइ नही था। मेवाड के राजा अरविन्द सिह को १७ तोपो की सलामी दी जाती है। इनके मुख्य किले चित्तौड और कुम्भलगढ के किले है। मेवाड के राजा को सबसे अधिक सम्मान दिया जाता है। यहा ऐसे वीरो ने जन्म लिया है जिनकी वीरता के आगे आसमान भी सिर झुकाता था। बप्पा रावल एक बहुत ही स्वामिभक्त और वीर पुरुष थे। राणा सान्घा , जिनके शरीर पर ८० घाव लगे थे। महाराणा कुम्भा ने अपने जीवन काल मे ८० से भी अधिक युद्ध लडे और अनेक किले भी बनवाये। चित्तोढ का किला बहुत बडा और मजबूत है। ये किला राजपूतो की शक्ति का प्रदर्शन करता है। ये २७९ हेक्टेर मे फैला हुआ है। महाराणा प्रताप यहा के सबसे वीर योद्धा माने जाते है। महाराणा प्रताप ने पूरे जीवन सन्घर्ष किया परन्तु अकबर के सामने झुके नही। राजस्थान की बात करे और महाराणा प्रताप की बात न करे तो अधुरा लगता है ,उसी प्रकार् महाराणा प्रताप की बात करे और उनके घोडे चेतक की बात न करे तो अधुरा लगता है। महाराणा के अस्त्र शस्त्र और कवच को मिलाकर २०७ किलो का वज़न होता था। उनके हाथो मे इतनी ताकत थी की उन्गलियो के बीच सिक्का मसल देते थे।
               जोधपुर के राजा का नाम गजसिह है। यहा के राजा राठौर राजपूत है। एक समय मे यह मारवाड के नाम से जाना जाता था। इनका मुख्य किला मेहरानगढ है। गजसिह के पिता उम्मेद सिह ने एक महल बनवाया था जो आज उम्मेद भवन नाम से महशूर है। यह ना सिर्फ शाही परिवार का निवास स्थान है अपितु एक बेहद खुबसुरत होटल है जो पर्यटको के लिये आकर्षण का मुख्य केन्द्र है। गजसिह के पुत्र का नाम शिवराज सिह है। शिवराज सिह एक बहुत ही अच्छे पोलो खिलाडी है। उम्मेद सिह की एक हेलीकोप्टर दुर्घटना मे १९५२ मे मृत्यु हो गयी थी। उन्के बाद गजसिह को ३ साल की उम्र मे राजा बना दिया गया। इन्हे लोग प्रेम से बापजी भी बुलाते है। बचपन से ही इनमे राजा के गुण थे। गज सिह जी बहुत ही पढे लिखे है।
                जयपुर के राजा का नाम पद्मनाभ सिह है। सवाई भवानी सिह की मृत्यु के बाद उनके पोते पद्मनाभ् सिह का १२ वर्ष की आयु मे गद्दी पर राज्यभिषेक किया गया। स्वर्गीय राजमाता गायत्री देवी सवाई मान सिह की तीसरी पत्नी थी। इनहे विश्व सुन्दरी का खिताब भी प्राप्त है। जयपुर का जलमहल बहुत ही आकर्षक है। जयपुर मे विश्व की सबसे लम्बी तोप है जिसका नाम जयवान है। जयपुर कला मे बहुत ही निपुण माना जाता है। यहा के हवामहल की सुन्दरता देखते ही बनती है।
                भरतपुर का पक्षी उध्यान बहुत ही प्रसिद्ध है। यहा के राजा का नाम विश्वेन्द्र सिह है। उनहे राजनीति मे काफी दिलचस्पी है। किशनगढ के राजा का नाम ब्रजराज सिह है। जैसलमेर के राजा त्रिभुवन सिह है। वहा के राजा रावत कह्लाते है। जैसलमेर मे बहुत सारी हवेलिया है। यहा के राजा भाटी राजपूत है।
               इनके अलावा कई और राजपरीवार है जिनमे शाही अन्दाज़ आज भी बरकरार है। राजस्थान की पावन भुमी इन जैसे रजवाडो के खून से सीन्ची गयी है।

सन्दर्भ : [1] [2]



                                            ==भारत मे जीवन बीमा==

भारत में जीवन बीमा

LIC Zonal Office
LIC Chennai
लाइफ इंश्योरेंस सरकार 26% अप करने के लिए निजी खिलाड़ियों और एफडीआई की अनुमति दी है और हाल ही में कैबिनेट ने 49% करने के लिए इसे बढ़ाने के लिए एक प्रस्ताव को मंजूरी दी के रूप में 2000 के बाद से भारत में सबसे तेजी से बढ़ता क्षेत्र है। भारत में जीवन बीमा है कि समय पर सभी निजी जीवन बीमा कंपनियों में एलआईसी ने अपने हाथों में ले जाया गया, 1956 में जीवन जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को शामिल करके राष्ट्रीयकरण किया गया था।

1993 में भारत सरकार ने जीवन बीमा क्षेत्र के निजीकरण के लिए एक रोड मैप नीचे बिछाने के लिए आरएन मल्होत्रा ​​समिति नियुक्त किया है। समिति ने 1994 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की जबकि समर्थकारी विधान, वर्ष 2000 में पारित किया गया था, इससे पहले कि यह एक और छह साल लग गए बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण 1938 की बीमा अधिनियम में संशोधन और कानून बना।

भारत में जीवन बीमा के प्रकार[संपादित करें]

जीवन बीमा उत्पादों निवेश की जरूरत है और निवेशकों के विभिन्न प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति प्रसाद की एक किस्म में आते हैं। जीवन बीमा उत्पादों की व्यापक श्रेणियों की सूची इस प्रकार है:

टर्म बीमा पॉलिसियों[संपादित करें]

एक टर्म इंश्योरेंस पॉलिसी का मूल आधार पॉलिसी धारक की अचानक या दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु की स्थिति में प्रत्याशियों या लाभार्थियों की तत्काल जरूरत को सुरक्षित करने के लिए है। पॉलिसी धारक वह या वह नीति के कार्यकाल के दौरान का लाभ उठाने के लिए चुन सकते हैं कर लाभ के लिए छोड़कर पॉलिसी अवधि के अंत में किसी भी मौद्रिक लाभ नहीं मिलता है। पॉलिसी धारक की मृत्यु होने की स्थिति में बीमित राशि उसके या उसकी लाभार्थियों को भुगतान किया जाता है। टर्म बीमा पॉलिसियों भी अन्य बीमा उत्पादों की तुलना में प्राप्त करने के लिए अपेक्षाकृत सस्ते होते हैं।

पैसा वापस नीतियां[संपादित करें]

पैसे वापस नीतियों मूल रूप से पॉलिसी धारक पॉलिसी की अवधि के दौरान विशिष्ट अंतराल पर एक निश्चित राशि प्राप्त करता है जिसमें एंडोमेंट प्लान का विस्तार कर रहे हैं। पॉलिसी धारक की दुर्भाग्यपूर्ण मृत्यु होने की स्थिति में पूरी बीमित रकम लाभार्थियों को भुगतान किया जाता है। शर्तों फिर थोड़ा एक बीमा कंपनी से दूसरे भिन्न हो सकता है।

यूनिट-लिंक्ड निवेश नीतियां (यूलिप)[संपादित करें]

यूनिट लिंक्ड बीमा पॉलिसियों फिर एक बीमा और निवेश दोनों के लाभों का आनंद लेने के लिए हो जाता है, जहां बीमा-सह-निवेश श्रेणी के हैं। मासिक प्रीमियम भुगतान के बाहर का एक हिस्सा बीमा कवर की ओर चला जाता है, जबकि शेष बचे हुए पैसे ऋण और इक्विटी योजनाओं में निवेश धन है कि के विभिन्न प्रकारों में निवेश किया है। यूलिप योजनाओं में कम या ज्यादा समान तुलना में म्यूचुअल फंडों के लिए यूलिप बीमा के अतिरिक्त लाभ की पेशकश है कि अंतर के अलावा हैं।

पेंशन पॉलिसी[संपादित करें]

पेंशन नीतियों व्यक्तियों की आय सेवानिवृत्ति के बाद की एक निश्चित धारा का निर्धारण करते हैं। यह मूल रूप से सम एश्योर्ड या सेवानिवृत्ति के बाद मासिक भुगतान के बाहर पूरी तरह से निवेश की गई पूंजी, निवेश की समय सीमा, और एक रिटायर करने की इच्छा रखता है, जिस पर उम्र पर निर्भर करता है, जहां एक सेवानिवृत्ति योजना के निवेश की योजना है। विभिन्न निवेश की जरूरत को पूरा करने कि पेंशन योजनाओं के कई प्रकार के फिर से कर रहे हैं। अब यह बीमा उत्पाद के रूप में मान्यता प्राप्त है और आईआरडीए द्वारा विनियमित किया जा रहा।

  1. http://www.royalheritageholidays.com/rajasthan-royal-families.aspx
  2. http://www.scoopwhoop.com/inothernews/8-royal-families-that-are-still-living-the-royal-life-in-modern-india/