सदस्य:Sanoli Brishti Chowdhury/प्रयोगपृष्ठ

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भूमिका[संपादित करें]

सानोलि ब्रिश्ति छोधरी का जन्म कोलकाता मे १९९८, अगस्त ३१ मे हुआ था | उनके पिता का नाम सत्रजित छोधरी है और माता का नाम सोमा छोधरी है | उनके पिता का जन्म लखनऊ मे और माता का जन्म कोलकाता मे भि हुआ था | जब सानोलि ऐक साल कि थि तब वह मुम्बई गई थी | वे मुम्बई मे पाच साल के लिए रहि थी और उसके बाद वे बंगलौर चले गई और तब से वे वहा हि रहति है | सनोलि बचपन से हि बहुत उत्साही लडकि है और उस्से खेल खूद बहुत पसन्द है | वह ज़्यादातर किताबे नही पढति नहि हे लेकिन संगीत मे बहुत शौक है | उसका गिटार मे दिलचस्ति ऐक काफी छोटि उम्र मे हि हो गाया था और उसने दूसरी कक्षा मे हि गिटार बजाना शुरु कर दिया था | अब तो वे गिटार ग्यारह साल से बजा रहि है | सनोलि को कला मे बहुत दिलचसस्ति है | वे कला मे अछि तो नहि हे लेकिन बहुत रचनात्मक है | सनोलि के पीठ मे ऐक टटू हे जो ऐक खगोलयात्री का कला है | सनोलि ऐक बहुत हाइपर पर मिठि लडकि है |

परिवार[संपादित करें]

सनोलि के पिता का नाम सत्रजित छोधरी है और माता का नाम सोमा छोधरी है | उनके पिता का जन्म लखनऊ मे और माता का जन्म कोलकाता मे भि हुआ था | उनकि परिवार कोलकाता से है | उनहके पिता के चाचा कोलकाता मे ऐक जाने माने चिकित्सक है | पिता के दौ बहने हे, पर उनके ऐक बहन तीस्ता हालदार का बेटा इनद्र्जित हालदार, सनोलि के सात अभिन्न है | इनद्र्जित हालदार ऐक आर्किटेक्चर का छात्र हे और बैंगलोर मे हि बीएमएस कॉलेज मे पढता है | सनोलि कि माता कि माता - पिता राँची मे रहते है | सनोलि अपने माता और पिता के सात बहुत अभिन्न हे लेकिन अगर परिवार मे और कोई हे जिस्से सनोलि बहुत प्यार करती हे तो वह उसकि कुतिया है जिसका नाम पोम पोम है | सनोलि को बचपन से हि कुत्ते बहुत पसन्द थे और पोम पोम उनकि कुतिया मे २००६ को आई थी | पोम पोम अब तेरह साल कि हो चुकि है | सनोलि के पिता के चाची को अंडाशयी कैंसर हुआ था और उनहोने वीरता से उस्से हारा दिया | वे सनोलि के लिऐ जिंदगी मे सबसे बडि प्रेरणा स्त्रोत हो जई |

उपलबधिया[संपादित करें]

बचपन से हि सनोलि को गिटार बजाने मे दिलचसस्ति है और ईसी वजय से वह सगीत मे बहुत सारे उपलबधिया कमाऐ है | वग्यारह उम्र मे हि सनोलि ने बीमी बाउन्स नाम का एक जाज का टुकड़ा दो सौ लैहो के सामने बजाइ थी | यह हि नहि पर गिटार बजाने के साथ साथ वह क्रिकेट भि खेलति थी, वे सप्ताहांत के दिनो मे सुबह को गिटार कल्लास के लिए जाती थि और शाम को क्रिकेट कोचिंग के आई ओ सी नाम का एक कोचिंग सेंटर को जाती थी | सनोलि क्रिकेट बहुत अच्छे तरह से खेलति थी, उसने बहुत सारे महिलाएं क्लब के लिए खेला था और वह सबसे छोटि खिलाड़ी थी फिर भी वह टीम के सबसे जरूरी खिलाड़ी थी | पर यह क्रिकेट का ख्वाब पाच सालो मे खतमब हो गया और सनोलि ने गिटार बजाना जारु रखा | सनोलि ने रॉक स्कूल ग्रेड आठ का परीक्षा २०१५ मे दिया था और योग्यता पाया था | सनोलि ने फुटबॉल भी खेला था, बलकि वे अभि भी फ़ुटबॉल अपने विश्वविद्यालय के लि जिंदगी

ए खेलति है | जब सनोलि ग्यारह साल कि थी, २०१० मे तो उसने कर्नाटक अंडर १३ फ़ुटबॉल का प्रतिनिधित्व किया था और २०१५ मे कर्नाटक अंडर १८ का प्रतिनिधित्व किया था | वे अब अपने कॉलेज मे ऐ टीम के लिए खेलती है |

शिक्षा[संपादित करें]

सनोलि ने अपनी शिक्षा का शुरुवात ब्लूमिग बड्र, मुंबई मे किया था जहा उसने अपनी निम्न शिक्षा किया | सनोलि ने प्रथम श्रेणी ए पी जे नाशिनल स्कूल, मुंबई से किया था | २००६ मे वे बैंगलोर आ गई थी और उसने फिरसे अपनि प्रथम श्रेणी गोपालन नाशिनल स्कूल मे किया था और फिर कक्षा दौ से दस दीन्स अकादमी, बैंगलोर मे किया | सनोलि हर साल अपने स्कूल के विद्यार्थी परिषद का एक हिस्सा थी, वह तीन साल उप कप्तान अपने हाउस के लिए और एक साल अपने स्कूल के लिए खेल कप्तान थी | दीन्स अकादमी सनोलि के लिए एक दुसरा घर था पर दसवीं कक्षा खतम होने के बाद वे क्राईस्ट जूनियर कॉलेज मे ग्यारहवें और बारहवीं कक्षा कि पढाई कि थी | अब सनोलि प्रथम वर्ष के स्नातक स्तर की पढ़ाई क्राइस्ट विश्वविद्यालय मे अनुशीलन कर रहि है जहा वे तीन साल के लिए पढाई करेगी |

साल्वाडोर डाली: एक निबंध[संपादित करें]

Salvador Dalí 1939

जन्म[संपादित करें]

सल्वाडोर डोमिंगो फेलिप जाकिंटो डाली आई डोमेनेच का जन्म फिगेरेस, बार्सिलोना के बाहर एक छोटा सा शहर मे मई ११, १९०४ मे हुआ था। सल्वाडोर के जन्म के आगे उनके परीवार को बहु भुगतना परा था क्योंकि उनका पहला बेटा (जो कि साल्वाडोर भी नामित था) जल्दी से मर गया ओर इस वजय से वे बचपन से हि माता-पित उन्हे बहुत ध्यान देते थे।

जीवनकाल[संपादित करें]

उनहे अक्सर कहा जाता था कि वह अपने मृत भाई का एक पुनर्जन्म है। बहुत ही कम उम्र से, दली को अपने बचपन के वातावरण से विचार मिला जो बाद मे उन्हके मुख्य पेंटिंग बन जाए थे। 10 साल की उम्र में उनकी पहली ड्राइंग पाठ थी और अपने देर से किशोरावस्था में मैड्रिड स्कूल ऑफ मैड्रिड स्कूल मे नामांकन किया गया था। उनके अंतिम परीक्षा से कुछ ही समय पहले १९२६ मे डाली को अकादमी से निष्कासित कर दिया गया था। जब वह केवल सोलह साल का था, तो वे अपने मां को स्तन कैंसर से खो दिया और जब वह उन्नीस वर्ष के थे, तो उनके पिता ने परिवार के घर में डाली के चित्रों की एक प्रदर्शनी रखी थी। सल्वाडोर डाली बीसवीं सदी के सर्वाधिक बहुमुखी हैं।वे हिस्टीरिया के वजय से पागल हो गया था पर गाला जो कि उन्के प्रेमी थे, उन्के वजय से वे जिंदगी ज्यादा जिने लगे और उन्हका बीमारी बहुत कम हो गया था। वे उनजके १९३१ पेंटिंग ' द परसिसतेन्स ऑफ मेमोरी ' के लिए माना जाते थे।१९४८ में डाली और गाला पोर्ट ललिगट में अपने घर वापस चले गए और अगले तीन दशकों के लिए, वह अपना अधिकांश समय चित्रकला बिताएंगे। डाली ने पिकासो से बहुत अधिक प्रभावित हुए थे।डाली ने प्राकृतिक विज्ञान और गणित में भी गहरी रुचि विकसित की थी। डाली के अनुसार, गैंडे सींग दैवीय ज्यामिति का प्रतीक है क्योंकि यह एक लॉगरिदमिक स्पाइर्ल में बढ़ता है। १९६९ में, उन्होंने चुपा चुप्स लोगो को डिजाइन किया। वे अपने पत्नी के साथ न्यू यॉर्क और पेरिस में सर्दियों में खर्च करे थे।

उपलब्धियों[संपादित करें]

दली ने कई मूर्तियों और अन्य वस्तुओं पर काम किया और उन्होंने थिएटर, फ़ैशन और फोटोग्राफी में व्यापक रूप से योगदान भी दिया था | १९४१ और १९७० के बीच की अवधि से, दली ने ३९ जवाहरात के एक टुकड़े बनाये जो शानदार ढंग से कलाकृतियों थे। सबसे प्रसिद्ध गहना "द रॉयल हार्ट" के नाम से बुलाया जाता हे और वे सोने से बना था | दली को उनके बचपन से फिल्मों में रुचि थी, उनहोने १७ मिनट की फ्रांसीसी कला फिल्म बनाया था | उन्होंने डिज़नी लघु फिल्म उत्पादन "डेस्टिनो" पर भी काम किया।

मृत्यु[संपादित करें]

१९८० मे डाली को एक मोटर विकार के कारण पेंटिंग से रिटायर करने के लिए मजबूर किया गया था जिसके वजय से उसके हाथों कांपते थे और कमजोर थे और वे अब उनकि पेंट ब्रश नहीं उठा सकते थे। १९८२ में उन्हकि प्रिय पत्नी और दोस्त, गाला का मृत्यु हो गया और यह दो उदाहरणों के वजय से डाली डिप्रेशन मे पर गया। २३ जनवरी १९८९ मे ८४ वर्ष की उम्र में डाली दिल की विफलता के कारण मर गया। १९६० से १९७४ तक, डाली ने अपने समय को समर्पित किया था डाली थियेटर-म्यूज़ियम बनाने मे जो आधिकारिक तौर पर १९७४ में खोला गया और डाली ने १४ वर्ष की आयु में अपनी सार्वजनिक प्रदर्शनी देखा था |


अगस्टे कॉमटे[संपादित करें]

जिंदगी

अगस्टे कॉमटे का जन्म १९ जनवरी १७९८, मोंटपेलियर, फ्रांस मे हुआ था | वह एक फ्रांसीसी दार्शनिक थे जिन्हें समाजशास्त्र के संस्थापक के रूप में जाना जाता था | उनके माता-पिता सख्त रोमन कैथोलिक थे | वह बौद्धिक थे और १८१४ में पेरिस के एक स्कूल में कोले पॉलीटेक्निक में प्रवेश किया था, जिसे १७९४ में सैन्य इंजीनियरों को प्रशिक्षित करने के लिए स्थापित किया गया था, लेकिन जल्द ही उन्नत विज्ञान के लिए एक सामान्य स्कूल में बदल दिया गया। स्कूल को अस्थायी रूप से १८१६ में बंद कर दिया गया था, लेकिन कॉम्टे ने जल्द ही पेरिस में स्थायी निवास स्थान ले लिया | [1]पेरिस में कॉम्टे का सबसे महत्वपूर्ण परिचित 'हेनरी डी सेंट-साइमन', एक फ्रांसीसी समाज सुधारक और समाजवाद के संस्थापकों में से एक था, जो आधुनिक समाज में आर्थिक संगठन के महत्व को स्पष्ट रूप से देखने वाला पहला व्यक्ति था।हालांकि, दो पुरुषों के दृष्टिकोण और वैज्ञानिक पृष्ठभूमि में अलग-अलग अंतर थे, और कॉम्टे अंततः सेंट-साइमन के साथ टूट गया। बाद में कोमटे को एक गंभीर नर्वस ब्रेकडाउन का सामना करना पड़ा। उन्होंने अगले वर्ष अपने लक्षणों से लगभग पूरी तरह से ठीक हो गए, और १८२८ में उन्होंने फिर से अपनी अनुमानित व्याख्यान श्रृंखला शुरू की। यह सफल रहा | अगले १२ वर्षों में अपने प्रकाशन (छह खंडों में) में उनके दर्शन के लिए समर्पित थे, जो कि कोर्ट डे दार्शनिक सकारात्मक काम करते थे | कॉम्टे ने १८२५ में कैरोलिन मासिन से शादी की, लेकिन शादी दुखी थी और वे १८४२ में अलग हो गए। १८४५ में क्लोटिल्डे डे वॉक्स के साथ कॉम्टे का गहरा और भावनात्मक अनुभव था, जिनकी अगले वर्ष तपेदिक से मृत्यु हो गई। कॉम्टे ने क्लोथिल्डे डे वॉक्स की मृत्यु के बाद अपने अन्य प्रमुख काम की रचना करने के लिए वर्षों के बाद समर्पित किया, 'सिस्टेम डे पॉलिटिक पॉजिटिव' |

Auguste Comte


विचा

आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी और औद्योगिक क्रांति ने यूरोप के समाजों को उन दिशाओं में बदलना शुरू कर दिया है जिन्हें अभी तक कोई नहीं समझ पाया है। लोगों ने हिंसक संघर्ष का अनुभव किया, लेकिन भावना, विचार और कार्रवाई में आघात किया गया। कॉम्टे ने सोचा कि यह स्थिति न केवल फ्रांस और यूरोप के लिए महत्वपूर्ण थी बल्कि मानव इतिहास के निर्णायक क्षेत्रों में से एक थी।[2] 'पॉज़िटिविस्ट दर्शन' के लिए कॉम्टे का मुख्य योगदान पांच भागों में आता है: वैज्ञानिक पद्धति का उनका कठोर पालन; तीन राज्यों या बौद्धिक विकास के चरणों का उनका कानून; विज्ञान का उनका वर्गीकरण; समाजशास्त्र के पूर्वजों में से प्रत्येक विज्ञान के अधूरे दर्शन की उसकी अवधारणा; और एक एकीकृत रूप में एक प्रत्यक्षवादी सामाजिक दर्शन के उनके संश्लेषण।


कॉमटे की एक प्रसिद्ध त्रुटि

आगस्ट कॉम्टे अपनी पुस्तक "द पॉजिटिव फिलॉसफी" में लिखने के लिए प्रसिद्ध हैं कि लोग ग्रहों की रासायनिक संरचना को कभी नहीं सीखेंगे। तीस साल में लोग स्पेक्ट्रोस्कोपी के जरिए बस इतना ही सीखने लगे थे।[3]


मृत्यु

५ सितंबर, १८५७ में कॉम्टे की कैंसर के वजय से, पेरिस मे मृत्यु हो गई। [4]