सदस्य:Rohan.Agarwallll

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Something went wrong...अंगूठाकार|हिन्दू विवाह की रसमे]] हिंदू विवाह को नॉर्थ इंडिया में विवाह संस्कार और साउथ इंडिया में कल्याणम कहते हैं। हिंदू विवाह के रीति रिवाज बहुत ही रंगीन और शानदार होते हैं। हिंदू विवाह मैं रीति-रिवाजों को कई दिनों तक मनाया जाते हैं। दूल्हा और दुल्हन के घरों को बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया जाता है। चारों ओर सजावट ही होती है।

प्रक्रिया[संपादित करें]

हिंदू विवाह का एक बहुत ही जरूरी अनुष्ठान है जूता चोरी की रसम, इस रसम में दूल्हा अपनी शादी के दिन जो जूते को मंडप में जाने से पहले उतारता है तो दुल्हन की बहने सहेलियां उस जूते को चोरी करने के लिए हंसती खिलखिलाती और शोर मचाते हुए मंडप के पास से गुजरती हैं और दूल्हे के जूते को मंडप के पास से उठाकर बड़ी ही चालाकी से अपने साथ ले जाती हैं और दूल्हे को इसकी कानों खबर भी नहीं पहुंचती है। आगे दुल्हन की सहेलियां उस जूते को बहुत ही सुरक्षित जगह छुपा देती हैं जहां किसी और का ध्यान नहीं जाता। जब दूल्हा सारी अनुष्ठान को पूरी करने के बाद मंडप से आगे विदाई के लिए अपने जूते पहनने आता है तो उसे अपने जूते वहां नहीं मिलते और रसम से दूल्हे को वही जूता जो उसने मंडप में बैठने से पहले उतारा था वही जूता पहन के वापस जाना पड़ेगा। अब दुल्हन की सहेलियां दूल्हे से पैसों की फरमाइश रखती हैं। सहेलियां बहुत ही अधिक पैसा की फरमाइश करती हैं, तब दूल्हा कुछ कम पैसे देने के लिए मानता है लेकिन करती सहेलियां नहीं मानती। आगे दूल्हे और सहेलियों में काफी सौदेबाजी होती है लाख कोशिशों के बाद भी दूल्हे को पूरे पैसे देने पड़ते हैं कभी-कभी तो पैसे के साथ साथ घुमाना फिराना और खिलाना पिलाना भी पड़ता है।

परिवार मे बन्धन[संपादित करें]

इस अनुष्ठान से दूल्हा-दुल्हन की सहेलियों को अपने परिवार में स्वागत करता है और दूल्हा आगे भी दुल्हन की सहेलियों का ध्यान रखेगा क्योंकि वह भी अब उसकी बहने ही है। जूता छुपाई का पूरा अनुष्ठान यह दर्शाता है कि दोनों परिवार एक दूसरे से अपने दिल से उम्र भर की मस्ती मजाक करने के लिए तैयार हैं।

फिल्म द्वारा रसम कि झलक[संपादित करें]

इस रसम को हम आपके हैं कौन मूवी में सलमान खान और माधुरी दीक्षित ने बहुत ही खूबसूरत गाने जूते दे दो पैसे ले लो मैं दर्शाया है। गाने के बोल है दूल्हे की सालियों हरे दुपट्टे वालियों जूते दे दो पैसे ले लो दूल्हे की सालियों हो हरे दुपट्टे वालियों जूते दे दो पैसे ले लो दुल्हन के देवर तुम दिखलाओ ना यह तेवर पैसे दे दो जूते ले लो पैसे दे दो जूते ले लो पहले पैसे पहले जूते पहले पैसे पहले जूते आगे सहेलियां कहती हैं जूते लिए हैं नहीं चुराया कोई जेवर दुल्हन के देवर यू दिखलाओ ना यह तेवर पैसे दे दो जूते ले लो, यह गाना बहुत ही लोकप्रिय रहा और आज भी काफी लोकप्रिय है।

महत्व[संपादित करें]

इस अनुष्ठान से हिंदू शादियों में बड़ा ही मनोरंजन होता है। पहला दूल्हे वाले काफी विचलित हो जाते हैं। दूसरा दूल्हे और दुल्हन के परिवार के बच्चों में फ्लर्ट होता है। तीसरा दोनों परिवार काफी चौकन्ने रहते हैं। चौथा दोनों परिवारों के बड़े बुजुर्ग काफी सुझाव देते हैं। पांचवा सौदेबाजी और मोल भाव खूब होता है और दोनों परिवारों में बेहद प्रेम से लगता है हिंदू विवाह का यह रिवाज बड़ा ही मनोरंजक और लोकप्रिय है। शादी में आए मेहमान भी जानने को उत्सुक रहते हैं की जूते चुराई की रस्म मैं लड़के से कितने पैसे हड़पे गए। हिंदू विवाह का यह सब में से एक जरूरी और सबसे ज्यादा मनोरंजक रीति रिवाज है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

https://en.wikipedia.org/wiki/Weddings_in_India