सदस्य:Rcheralite/प्रयोगपृष्ठ
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चाकमा (Chakma) | ||
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संगमा Sangma | ||
बोली जाती है | भारत (असम और अन्य पास के राज्य), बांग्लादेश, भूटान | |
कुल बोलने वाले | १.५ करोड़ | |
भाषा परिवार | हिन्द-इरानी
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आधिकारिक स्तर | ||
आधिकारिक भाषा घोषित | असम (भारत) | |
नियामक | कोई आधिकारिक नियमन नहीं | |
भाषा कूट | ||
ISO 639-1 | as | |
ISO 639-2 | asm | |
ISO 639-3 | ccp |
इस पन्ने में हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय लिपियां भी है। पर्याप्त सॉफ्टवेयर समर्थन के अभाव में आपको अनियमित स्थिति में स्वर व मात्राएं तथा संयोजक दिख सकते हैं। अधिक... |
आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं की शृंखला में पूर्वी संगमा भाषा को पूर्वी श्रेणी में स्थान दी गई . भाषाई पोरिवार की दृष्टि से इसका संबंध आर्य भाषा परिवार से है और मैथिली, असमिया, उड़िया बांग्ला, नेपाली से इसका निकटतम संबंध है. हालाँकि यह अधिक पुरातन है .
संगमा वर्णमाला परिवर्धित देवनागरी के साथ नीचे दी गई है. क ख ग घ ङ च छ ज झ ञ ट ठ ड ढ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल व श ष स ह ळ ऴ ं ः ँ ऩ म़ ऱ ल़
संगमा भाषा पाळी भाषा से व्यूत्पन्न हुई. और संगमा अक्षरमाला जिसको ओझापात कहाँ जाता है वह पाळी अक्षरमाला के छाया में सृजन किया गया है . पुराकाल के इसोको अवझा पात बुलाया जाता था . 'ओझापत' शब्द की व्युत्पत्ति - उपाध्याय पत्र > उपज्झय पत्त > उवज्झय पत्त > उवझाय पत्त > उवझा पत्त > ओझा पात,
पुराकाल में संगमा भाषा के लिपि और हिंदी भाषा के लिपि के मूल रूप एक ही था. लेकिन वर्तमान काल के संगमा ' वर्णमाला ' प्राचीन वर्णमाला से बहुत ही अलग है . सिर्फ वर्णमाला की अक्षरों के आकार ही नही बल्कि उसका उच्चारण भी बदल गई , जैसे के वर्तमान संगमा भाषा में मूर्धन्य अक्षरों का कोई उच्चारण नही है.
क) संगमा स्वरों में ह्रस्व और दीर्घा में कोई अंतर नहीं होता . लिखने में दोनों का अलग अलग प्रयोग होते है पर फेर भी इ और ई या उ और ऊ के उच्चारण में कोई अंतर नहीं है .
ख) संगमा च और छ का उच्चारण हिंदी के 'स' जैसा है . ज, झ और य के उच्चारण हिंदी के 'ज' के सामान है. फेर भी कुछ क्षेत्र में झ का उच्चारण हिंदी 'ज़' या 'झ' के बराबर होता है.
ग) संगमा में दन्त और मूर्धन्य ध्वनियों में कोई अंतर नहीं है. ट ठ ड ढ ण और त थ द ध न में उच्चारण के दृष्टि से कोई अंतर नहीं है. सिर्फ ळ के उच्चारण संगमा भाषी लोग समझ नहीं पाते है. मेरे हिसाब से वह हिंदी 'ल़' होना चाहिये . ल़ यानि महाप्राण ल (ल+ह). मेरे ज़हन में यह ख़याल तब आया जब मैंने देखा के संगमा भाषा की यह इक विशेषताएँ रही है के इस ज़ुबान में महाप्राण ध्वनियों का प्रयोग अक्सर होता रहता है, जैसे के शब्द के अंत में आया हुआ न,म,र,ल यथाक्रम में ऩ म़ ऱ ल़ होता है.
ग) संगमा भाषा में श ष स का उच्चारण हिंदी के 'स' जैसा होता है , बांग्ला की तरह 'श' नहीं .