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                                      मारवाड़ी संस्कृत

इतिहास[संपादित करें]

मारवाड़ी राजस्थान की भारतीय राज्य में बोली जाने वाली राजस्थानी भाषा है। मारवाड़ी भी पड़ोसी राज्य गुजरात और हरियाणा, पूर्वी पाकिस्तान और हिमाचल प्रदेश देश नेपाल में कुछ प्रवासी समुदायों में पाया जाता है। मारवाड़ी लोकप्रिय देवनागरी स्क्रिप्ट में लिखी जाती है, जैसे कि हिन्दी, मराठी, नेपाली और संस्कृत; हालांकि यह ऐतिहासिक रूप से महाजनी में लिखा गया था । ऐसा कहा जाता है कि मारवार और गुजराती गुर्जर भखा या मारू-गुर्जर, गुर्जर की भाषा से विकसित हुईं। [5] गुर्जर आभ्रष्ट का औपचारिक व्याकरण जैन भिक्षु और प्रसिद्ध गुजराती विद्वान हेमचंद्र सूरी ने लिखा था।


जीवन शैली[संपादित करें]

हमरे पुर्वझ् राजस्थान से है। जेसे हि हम राजस्थान के बारे मै सोचते है पेहला चित्र जो हामरे दिमाग मै अता है वो है रेत,ऊट। वहा का पेहनव घागरा छोलि और दुपटा है। राजस्थान का खाना दाल बाटि चुरमा है। हमारा प्रसीद नाच गान है गुमर और कलबेलिया है । हुम अपने मेहमनो का स्वागत हात झोद्कर मस्तक झुकाकर करते है। वाह का प्रासीद गना केसरिया पादरो नि आवो मारे देश जिस्का मत्लब है कि हाम छह्ते है कि सारे लोग हमरे गाव (राजस्था) आए और हम खुशि खुशि उन्का स्वागत करे । हमारा पेहनाव मै औरते सर पे घुन्गट निकालति है इसका मत्लब है कि वह आपने भुज़ुरग को मरियादा और इज्जत करति है । हमरे दिन कि शुरुवाद भुज़ुरगो के आशिर्वद से होता है । ७० प्रतिशत मारवाडी सुध शकाहरि होते है । कहि लोग होते है जो जैनिसिम , को मनते है । जैन लोग २४ तिरतानकर को अपना भागवान मानते है । मन्दिर जाके तिरतानकरकि पूजा चन्दन से करते है । जैन लोग जमीन के निचे ऊगाये हुये सब्ज़ीया नही काहते । सब्ज़ीया जेसेकि प्याज , अलू , लसान , मुलि आदि जो जमीन के नीचे ऊगाति है । इन्को नहि खाने का कारन यह है कि इन सब्ज़ीया मै असन्किया जीव होते है । इन जीवो को मार कर खाना हमरे धरम के खिलाफ है । हमारे धरम मै सुर्याअस्त के बाद भोजनहि नहि करते है । कारन यह है कि रात को हाम रोश्नि के निछे कहते है और रोश्नि के आजु बाजु कहि किडे है जो हमारे भोजन मै गिर जाते है । येह हमरि मारवाडी सन्स्क्रिति है । और हाम इस्क पलन करते है ।

लेखन प्रणाली[संपादित करें]

भारत में, राजस्थानी देवनागरी लिपि में लिखी गई है, जो कि एक एब्बिगाडा है जो बाएं से दाएं लिखा है इससे पहले, महाजनी लिपि, या मुरीया, को राजस्थानी लिखने के लिए इस्तेमाल किया गया था। भारत में, राजस्थानी देवनागरी लिपि में लिखी गई है, जो कि एक एब्बिगाडा है जो बाएं से दाएं लिखा है इससे पहले, महाजनी लिपि, या मुरीया, को राजस्थानी लिखने के लिए इस्तेमाल किया गया था।

वर्गीकरण[संपादित करें]

राजस्थानी भाषाएं पश्चिमी इंडो-आर्यन भाषा परिवार से संबंधित हैं। राजस्थानी भाषा की किस्में हैं मारवाड़ी, मालवी, और बागड़ी है।