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विषय :क्या है इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में संभावनाएं (Career in Electronic Media)

टेलीविजन और रेडियो दशकों से मनोरंजन का प्रमुख साधन रहे हैं। इधर कुछ वर्षो से रेडियो के प्रति लोगों का रुझान कुछ कम हो रहा था, लेकिन एफएम का विस्तार होने से रेडियो की तरफ लोगों का रुझान फिर से होने लगा है। अपने देश में अधिकतर घरों में रेडियो और टीवी हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत के कम से कम 80 प्रतिशत परिवारों के पास अपने टेलीविजन हैं और मेट्रो शहरों में रहने वाले दो तिहाई लोगों ने अपने घरों में केबल कनेक्शन लगा रखे हैं। इसके साथ ही शहर से दूर-दराज के क्षेत्रों में भी लगातार डीटीएच-डायरेक्ट टु होम सर्विस का विस्तार हो रहा है। यदि आप इस क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं, तो आपके लिए काफी अवसर हैं।

चुनें रुचि के कोर्स इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की फील्ड में जाने से पहले अच्छा तकनीकी प्रशिक्षण लेना फायदेमंद हो सकता है। विभिन्न संस्थानों द्वारा इस फील्ड के लिए बहुत से कोर्स चलाए जा रहे हैं। आप चाहें तो सर्टिफिकेट कोर्स कर सकते हैं या फिर डिप्लोमा एवं डिग्री कोर्स । कोर्स का चयन उसकी अवधि के आधार पर भी किया जा सकता है। कुछ माह से लेकर कई वर्षो तक के कोर्स उपलब्ध हैं।

प्रिंट मीडिया

पत्रकारिता एक शौक भी है और रोजगार भी। यदि आप में वह जुनून है कि आप इस चुनौतीपूर्ण व्यवसाय को अपना सकें तो ही इस क्षेत्र में आना चाहिए। यहां भी आपके पास अनेक प्रकार के अवसर मौजूद हैं। बहुत से विकल्प हैं। समाचार पत्र में संपादन के दो भाग महत्त्वपूर्ण हैं- एक है रिपोर्टिग और दूसरा है संपादन। रिपोर्टिग का जिम्मा रिपोर्टरों पर होता है और उन खबरों को सही और आकर्षित बना कर कम शब्दों में प्रस्तुत करना संपादक का काम होता है। आमतौर पर एक समाचार पत्र में प्रधान संपादक, संपादक, सहायक संपादक, समाचार संपादक, मुख्य उपसंपादक, वरिष्ठ उपसंपादक और उपसंपादक होते हैं। आप एक रिपोर्टर के रूप में भी कार्य कर सकते हैं। किंतु यहां यह जरूरी है कि आप रिपोर्टर के लिए शैक्षणिक योग्यता तो पूरी करते ही हों, साथ ही साथ आप उस विषय पर पूरी कमांड भी रखते हों। रिपोर्टर के भिन्न-भिन्न विषय होते हैं या यूं कह सकते हैं कि वह अपने विषय का एक्सपर्ट होता है। वैसे तो समाचार पत्र में सबसे महत्त्वपूर्ण और आवश्यक बीट राजनीति होती है, किंतु इसके अलावा भी आप अपनी रुचि के अनुसार फैशन, खेल, शिक्षा, स्वास्थ्य, व्यापार, कानून से जुड़ी बीट भी ले सकते हैं। इसके अलावा यदि आप में समाचार को कार्टून के जरिए व्यक्त करने की कला है तो पत्रों में कार्टूनिस्ट के रूप में भी कार्य किया जा सकता है। मुख्यधारा से हट कर यदि हम बात करें तो भी कम्प्यूटर ऑपरेटर, डिजाइनर, प्रूफ रीडर, पेज सेटर के रूप में भी कार्य किया जा सकता है।

प्रेस विधि की जानकारी

एक पत्रकार के रूप में या फिर पत्रकारिता के पेशे से जुड़े किसी भी व्यक्ति के लिए यह जरूरी है कि वह प्रेस विधि की जानकारी रखे। चूंकि पत्रकारिता में भी आचार संहिता है और इसका प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, दोनों द्वारा पालन करना जरूरी है, अत: इसके लिए प्रेस विधि की जानकारी होनी चाहिए। इसमें विशेषत: कॉपीराइट एक्ट, ऑफिशियल सीक्रेसी एक्ट, इंडियन प्रेस काउंसिल आदि शामिल हैं। इसके लिए आज न सिर्फ बाजार में बहुत सी पुस्तकें हैं, बल्कि आप इंटरनेट का प्रयोग कर भी अपने ज्ञान का विस्तार कर सकते हैं। इससे आप किसी भी अनजानी समस्या का सामना करने से बच सकते हैं।

छ: ककारों का ज्ञान

चूंकि अधिकतर लोग मीडिया की मुख्य धारा में ही शामिल होना चाहते हैं और आज युवाओं की रुचि टेलीविजन पर आने की है, इसलिए छ: ककारों यानी क्या, कहां, कब, कौन, क्यों और कैसे का ज्ञान होना और उनका सही इस्तेमाल करना आना चाहिए, ताकि वह अपने लेखन यानी स्क्रिप्टिंग में, वाचन में, रिपोर्टिग में, पैकेज में इनका उपयोग कर समाचार अथवा अपनी रिपोर्ट को और अधिक विश्वसनीय और प्रामाणिक बना सके।

शैक्षिक योग्यता

इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कोर्स के हिसाब से शैक्षिक योग्यता भिन्न-भिन्न मांगी जाती है। अगर कोई उम्मीदवार यूजी लेबल का कोर्स करना चाहता है तो इसके लिए उसका 12वीं पास होना जरूरी है। वहीं अगर वह पीजी लेबल का कोर्स करना चाहता है तो इसके लिए उसका गे्रजुएट होना आवश्यक है। अधिकांशत: यूजी लेबल के कोर्स तीन साल के हैं, वहीं पीजी लेबल के कोर्सो की अवधि दो वर्ष है। कुछ संस्थानों में डिप्लोमा कोर्स की अवधि 9 महीने से लेकर एक वर्ष की है। प्रशिक्षण देने वाले अधिकतर संस्थानों में प्रवेश एंट्रेंस एग्जाम, ग्रुप डिस्कशन एवं इंटरव्यू के बाद ही दिया जाता है। इसमें मेरिट का भी ध्यान रखा जाता है।

अतिरिक्त कौशल:

उच्चारण एवं मॉडय़ूलेशन

यहां यह भी देखने की बात है कि टीवी होस्ट का उच्चारण कैसा है। उसका शब्द ज्ञान कैसा है? और बोलने में मॉडय़ूलेशन और स्पष्टता कितनी है। कार्यक्रम की जीवंतता के लिए होस्ट को अपनी शैली लाइव रखनी पड़ती है और उसे थ्रो के साथ एक अच्छे स्तर पर बोलना होता है। हिन्दी के साथ-साथ होस्ट को अंग्रेजी और उर्दू भाषा का ज्ञान भी होना चाहिए, ताकि वह उन शब्दों का सही और स्पष्ट उच्चारण कर सके।

पर्सनल स्किल टाइम लाइन को मीडिया फील्ड की लाइफ लाइन कहा जाता है। सही समय पर अगर लोगों तक खबर नहीं पहुंची तो फिर उसका कोई मतलब नहीं रह जाता है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में तो आपसी प्रतिद्वंद्विता पूरी तरह टाइम फैक्टर पर ही टिकी है। सभी दूसरे से पहले खबर प्रसारित करना चाहते हैं, इसलिए इस फील्ड में वही लोग जाने की सोचें जिनमें धैर्य, गतिशीलता और बिना थके कई-कई घंटों तक काम करने की काबिलियत है। जो विषम परिस्थितियों में तनाव को मात देकर जल्द से जल्द खबर प्रसारित करने का काम करेगा, वही इस फील्ड में आगे बढ सकता है।

Electronic Media पर्दे के आगे और पीछे भी

देखा जाए तो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया पर्दे के आगे और पर्दे के पीछे दो भागों में विभाजित है। पर्दे पर एंकर और रिपोर्टर ही दिखते हैं, वहीं पर्दे के पीछे एक पूरी टीम लगातार काम करती रहती है। इस टीम में प्रोड्यूसर प्रोडक्शन असिस्टेंट, इंजीनियर, न्यूज एडिटर ,स्क्रिप्ट राइटर , पैकेजिंग असिस्टेंट, कैमरामैन, विडियो एडिटर ,ग्राफिक्स डिजाइनर और असाइनमेंट स्टाफ के लोग शामिल होते हैं। इन सभी का काम विभाजित होता है, लेकिन यह सब मिलकर ही एक संपूर्ण न्यूज प्रस्तुत करने का काम करते हैं।

विदेशों में अवसर

विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले दिनों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का और भी विस्तार होगा, तब सभी बडे देशी-विदेशी चैनल विभिन्न देशों में अपने संवाददाता नियुक्त करेंगे। यह स्थिति उन लोगों के लिए वरदान साबित हो जाएगी, जिनकी अंग्रेजी बहुत अच्छी होगी और साथ ही साथ वे कुछ विदेशी भाषाओं की भी जानकारी रखते हैं।

अच्छी सैलरी, बेहतर सुविधाएं

वेतन

आय की दृष्टि से यह एक मिला-जुला क्षेत्र है। इस क्षेत्र में अच्छी आय इस बात पर निर्भर करती है कि आपने अपने करियर की शुरुआत कैसे संस्थान से की है। आप सही संस्थान में अच्छी आय के साथ-साथ शोहरत भी प्राप्त कर सकते हैं। प्रिंट मीडिया में आय इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुकाबले कम है, किंतु फिर भी यदि आप प्रिंट मीडिया में आना चाहते हैं तो आपको प्रारंभ में १० हजार रुपये से लेकर २५ हजार रुपये तक मिल सकते हैं। अनुभव के साथ-साथ आपका पैकेज भी बढ़ता जाता है और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में आपको प्रारंभ में लगभग २५ हजार रुपये से लेकर ५० हजार रुपये तक वेतन मिल सकता है। इसके अलावा विभिन्न प्रोडक्शन हाउस अपने कार्यक्रमों को होस्ट करने के लिए भी बहुत अच्छे पैकेज देते हैं।शुरुआत में संघर्ष जरूर है, लेकिन एक बार पहचान बन जाने पर वेतन बहुत अच्छा हो जाता है। इस फील्ड में काम करने वालों को उनके काम के अनुसार वेतन के अलावा और भी कई विशेष सुविधाएं दी जाती हैं।

आज इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की पहुंच दुर्गम शहरों के अलावा गांव-गांव तक हो गई है। भविष्य में इसकी पहुंच और भी बढने की संभावनाएं हैं। यदि आपके पास किसी भी समय कार्य करने की क्षमता, न्यूज सेंस अंग्रेजी पर अच्छी पकड और क्रिएटिव माइंड है, तो आपके लिए बेहतर अवसर हो सकते हैं। इसमें पर्दे के आगे और पीछे भी करियर हैं और सभी की अपनी महत्ता है। आप अपनी रुचि के अनुरूप करियर चुन सकते हैं। बेहतर करियर के लिए जरूरी है कि आप अच्छे संस्थान से कोर्स करें, जिसका इंफ्रास्ट्रक्चर बढिया है। अगर आप डिग्री कोर्स करना चाहते हैं तो बैचलर ऑफ जर्नलिज्म ऐंड मास कम्युनिकेशन (बीजेएमसी), बीएससी (विजुअल कम्युनिकेशन), एमए (ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म), एमएससी (विजुअल कम्युनिकेशन) आदि कोर्स हैं। इसके अलावा आप शॉर्ट टर्म कोर्स भी कर सकते हैं।

अगले १०-१५ साल बेहतर संभावनाओं वाले

पिछले १० साल में मीडिया के क्षेत्र में बहुत से लोगों को रोजगार मिला है। अगले १०-१५ साल तक यह संभावनाएं बनी रहेंगी। कारण है कि देश में तेजी से शिक्षा का प्रसार हो रहा है। इसके चलते रोजाना नए अखबार और टीवी चैनल आ रहे हैं। भारत ही नहीं ऐसे सभी देशों में इस क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं जो अभी विकासशील की श्रेणी में हैं।

इन कारणो से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे उज्जवल भविष्य है।