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मारिअम्मन:

मारिअम्मन

"मारी",जिन्हें "मारिअम्मन" या "मरी आई" भी कहा जाता है, वें दक्षिण भारत में बारिश की देवी मानी जाती है। देवी मारिअम्मन को कई लोग देवी काली का दक्षिण भारतीय अवतार मानते है। गर्मियों के दौरान, आषाढ मास की शुरुआती शरद ऋतु के मौसम में इनके लिये उत्सव मनाया जाता है। पूर्ण तमिलनाडु और डेक्कान क्षेत्र में "आदी तिरुविला" के नाम से जाना जाने वाला उत्सव देवी मारिअम्मन के लिये किया जाता है। उनकी पूजा-पाठ प्रमुख रुप से बारिश लाने के लिये और चिक्न-पाक्स जैसे रोगों के इलाज पर केन्द्रित है।

उद्गम[संपादित करें]

मारिअम्मा तमिलनाडु कि लोक देवी हैं,जिनकी पूजा सम्भवत: पूर्व वैदिक भारत में शुरु हुई थी। वह तमिलनाडु के ग्रामीण इलाकों में प्रमुख देवी है। पूर्व वैदिक काल में, देवी मारिअम्मन, मां पारवती, मां काली, मां दूर्गा और अनेक उत्तर भारतीय हिन्दु देवीयों से जुडी हुई थी। उन्हें प्राचीन तमिल लोगों द्वारा "बारिश को लाने वाली" के रुप मे पूजा जाता था, क्योंकि उनके फसलों कि प्रचुरता पुर्ण रुप से पर्याप्त वर्षा पर निर्भर थी। मां मारिअम्मन कि पूजा अरचना एक ऐसे समाज को संकेत करता है जो स्त्रीत्व कि पूजा करते हैं।

पूजा-आराधना[संपादित करें]

देवी मरिअम्मन की पूजा गैर-वेदिक तरिकों से किया जाता है और अक्सर विभिन्न प्रकार के लोक नृत्य के साथ किया जाता है। त्योहारों के दौरान "पोंगल" और "कूल" प्रसाद के रुप में दिया जाता है, जो मिट्टी के बर्तनों का उपयोग करके पकया जाता है। आग पर चलना, मुह्ं या नाक पर छेद करना,आदि रसम-रिवाज का भी अभ्यास किया जाता है। समयापुराम कि मन्दिर, जो तिरुचिरपल्ली के उत्तर में छ: मील कि दूरी पर स्थित है, वहां आज भी हिन्दु प्रणाली के अनुसार मारिअम्मन कि पूजा देखी जा सकती है।मारिअम्मन की पूजा एक दस दिवसीय त्योहार है, जिसे अप्रैल के दुसरे सप्ताह में मन्दिर अधिकारियों द्वारा आयोजित किया जाता है। त्योहार के दौरान अनेक लोग उपवास,आदि व्रत रखते है। इस पूजा के माधयम से प्रतियेक व्यक्ति स्वयं और दूसरों को मोक्ष के माध्यम से महसूस करता है। इस आत्मज्ञान में वह देवी के साथ बंधा हुआ होता है,जो इस पूजा का रेखांकन कारण है।

हिन्दु परम्परा[संपादित करें]

हिन्दु परम्परा के अनुसार देवी मारिअम्मन भगवान विष्णु कि बहन मानी जाती है जिनका नाम महामाया था। दूसरी परम्पराओं के अनुसार देवी मारिअम्मन, पारासुरामा और रेनुकादेवी की माता थी जो बारिश से सन्तुष्ट रहती थी। संस्कृतिक स्तोत्रों के अनुसार, देवी मारिअम्मन को भगवान विष्णु की बहन नहीं बल्कि भगवान विष्णु का स्त्री अवतार माना जाता है।

प्रतिमा चित्रन[संपादित करें]

देवी मारिअम्मन को एक सुन्दर जवान महिला के रुप में चित्रित किया जाता है। उनकी चित्र या मूर्ति में उनको कभी-कभी अनेक बाहों के साथ दर्शाया जाता है, जो उनकी अनेक शक्तियों को प्रदर्शित करता है। उनके बैठे या स्थायी स्थिति को ऐसे चित्रित किया गया है, जिसमें वें एक हाथ में त्रिशुल और दुसरे हाथ में कटोरा पकडी हुई है। उनके अनेक हाथों में से एक हाथ हमेशा अभय मुद्रा में रहता है। उनके हाथ का अभय मुद्रा "भय को दूर करना" सन्देश देता है।

दवा की देवी और प्रजनन देवी[संपादित करें]

तमिलनाडु के लोग यह भी मानते हैं कि देवी मारिअम्मा गर्मी द्वारा उत्पन्न हुए रोग जैसे पाक्स का इलाज करती हैं। पाक्स जैसी बिमारी दूर करने के लिए, दक्षिण भारत में गर्मी के मौसम के दौरान लोग अक्सर पानी में हल्दी और नीम मिलाकर मीलों चलते हैं। इस प्रकार देवी मारिअम्मा, उत्तर भारत में माने जाने वाली देवी, शितलादेवी के समान है। भक्तजन देवी मारिअम्मन को पारिवारिक कल्याण जैसे स्वस्थ संतान या अच्छे पति के लिए भी पूजते है। सबसे अधिक भोग "पोंगल" होता है, जो चावल और हरे चने का मिश्रण होता है, जो अक्सर मन्दिरों के परिसरों में पकाया जाता है और लकडी के जलाशय का उपयोग करके टेराकोटा बर्तनों में बनाया जाता है। देवी मारिअम्मन के सम्मान में कुछ त्योहारों में रोशनी रखने वाले जुलूस शामिल होते हैं। रात में भक्तजन जुलूस में तेल के दिपक का प्रयोग करते है। तमिलनाडु के तंजावुर जिले में कई परिवारों के लिए मारिअम्मन परिवार देवता है।

मन्दिर[संपादित करें]

सेलम का मारिअम्मन मन्दिर

मारिअम्मन: तमिलनाडु के जिले जैसे सेलम,ईरोड, थेनी, शिवकासी, वेल्लोर, चेन्नै, मदूरै, आदि में देवी मारिअम्मन का मन्दिर प्रसिध्द है। इसके अलावा लंका और मलेशिया जैसे देशो में भी देवी मारिअम्मन का मन्दिर है। त्योहार और उत्सवों के अवसर पर अनेक लोग यहां दर्शन हेतु आते हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

https://en.wikipedia.org/wiki/Mariamman