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मैरी हुटन की जन्म स्थान

मैरी हुटन (कवयित्री)[संपादित करें]

पुरःस्थापना[संपादित करें]

मैरी हुटन, इंगलैंड के श्रमिक वर्ग की एक प्रसिद्ध कवयित्री थीं, जो इंगलैंड में यॉर्कशायर से थीं। उनका जन्म, १० जुलाइ सन् १७९४ को वेकफील्ड नामक एक शहर में हुआ था एवं उनका परिवार बहुत धनि नहीं था। उनका असली नाम, मैरी टेलर था, जो शादी के बाद हटन में बदल गया था। वे तीन कविता संग्रह कि कवयित्री है, जो ज़्यादातर कविता और कुछ गद्यो का एक मिश्रण है।

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

कवयित्री हुटन, अपने किताबों में अपने प्रारंभिक एवं व्यक्तिगत जीवन को उल्लेकख करती हैं। अपने १२ सदस्यो के बड़े मगर गरीब परिवार में वे यह बोलती हैं कि उनका एक जुड़वां भी था, और वे एकमात्र थीं जिनका स्वास्थ्य ज़्यादातर खराप ही रेहता था, क्यों कि उनको पाजी नामक एक बिमारी थी। जब उनके परिवार को लंडन चला आना पड़ा था, तब हटन अपने बिगड़े स्वस्थ्य के कारण वहा नही जा पाइ थीं। तो, उनक पुरा जीवन शादी के पेहले, वकेफील्ड में ही गुज़रा थ। उनका शादी, तभ हुआ था, जभ उनक ज़यदा वर्ष नही था। उनका शादि, एक और गरीब परिवार में ही हुआ थ, और उनके पति का नाम माइकल हुटन था जिनसे वे शेफिएल्द में मिले थे, जब वे वहॉं गयी थी। उनका पति, पेशे से एक कतटलर था, जो शादी के समय २५ वर्ष के थें, और उनक पहले शादी से २ बच्चे भी थे। वे नॉरीस फील्ड के बुछर्स इमारतों में शादी के बाद रहती थी। उनके पती का शरीर भी काफी खराब हुआ करता था, और बाद में यह पता चला की, "बेनेफिट सोसाइटी" ने उनको ढकोसला था, जिनको उन्हें पैसे देना पड़ता था। साल १८४० में, मैरी हटन ने जॉन हॉलैंड़, उनके शहर के एक प्रसिद्ध लेखक को एक पत्र लिखा ताकी वे अपनी कविताओं को किसी तरह प्रकाशीत कर सके कुछ और धन कमाने हेतु, अपने परिवार के लिए। हॉलैंड़ ने अपनी ओर से उनकी सदस्यता व प्रसिद्धि बड़ाने की ज़िम्मेदारी ले ली यह कहकर की उनके श्रेणी के लोगों को रोज़गार की सामयिक इच्छा होती है। उनहोंने अपने जीवन में अनेक कविताओं का रचना किया है जो विकटोरियन समय के श्रमजीवी महिला कव्यों में वर्गीकृत किया गया है। इन प्रकाशनों के बाहर, मैरी हुटन के जीवन के उपर ज़यादा कोई तत्व नहीं मिलता है। बस हमें यह पता चलता है कि, १८५१ में जब वे ५९ वर्ष की थीं, तब उनके पती का देहांत हो गया था। जॉन हॉलैंड़ के एक किताब से यह हमें पता चलता है कि मैरी हुटन कि मृत्यु सन १८५९ में, शेफिएल्द के शरियुबरी अस्पताल में हुआ था।

कव्य शैली[संपादित करें]

अपने किताब, "हैपी आइल" के प्रस्तावना में कवयित्री मैरी हुटन ने शहर के श्रमिक वर्ग को बहुत पावती दी है और उनके महत्तव को उभारा है। उनके किताबों में छोटे उपन्यास का भी उपस्थिति है, कविता के साथ ही साथ जो सामाजिक मुद्दों के उपर आधारित हैं। तब के सामाजिक मसलों को लेकर, महिलाओं के द्वारा सहे समस्या, वहॉं के पूर्वाग्रहों, मानव अधिकार, गरीबी को लेकर ही उनके रचनएं हुई करती थी। अभी, उनको १९ वी सदि का एक प्रमुख कवयित्री माना जाता है और चार्टिस्ट कथा की एकमात्र महिला लेखक जो राजनीतिक विषयों पर ध्यान केंद्रित किया करती और न्याय की कार्यवाही को देखे और कैसे मजदूर वर्ग की महिलाओं के साथ व्यवहार किया जाता था क्योंकि श्रमिक वर्ग की महिलाओं को अक्सर चार्टिस्ट आंदोलन के सुधारों को समझने नहीं दिया जाता था। हटन ने अपने जैसी महिला कामकाजी कवियों पर और शोध के लिए द्वार खोल दि हैं, जिन्हें अन्य श्रमिक वर्ग के लेखकों के बराबर माना जाना चहिए। इन् कविताओं का महत्व उस समय के दौरान श्रमिक वर्ग की विशेषताओं को गौर से दिखाता है और यह भी समझाता है कि काम करने का कितना महत्व था।

संदर्भ[संपादित करें]

<ref>https://en.wikipedia.org/wiki/Mary_Hutton_(poet)<ref> <ref>https://dalspace.library.dal.ca/bitstream/handle/10222/12353/Timney_PhDThesis_pdfA1b.pdf<ref> <ref>https://muse.jhu.edu/article/426509<ref>