संताजी घोरपड़े

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संताजी घोरपड़े
ममलाकात-मदर
सेनापति
७वीं मराठा साम्राज्य का सेनापति
शासनावधि१६९०-१६९५
पूर्ववर्तीम्हालोजी घोरपड़े
उत्तरवर्तीधनाजी जाधव
जन्म१६००
कपशी, मराठा साम्राज्य
(अब सतारा, महाराष्ट्र, भारत)
निधन१६९६
कारखेल, मराठा साम्राज्य
(अब सतारा, महाराष्ट्र, भारत)
जीवनसंगीद्वारकाबाई
संतानरानोजी
पिराजी
महादियो (दत्तक पुत्र)
घरानाघोरपड़े
पिताम्हालोजी घोरपड़े
धर्महिन्दू धर्म

संताजी घोरपड़े (१६६०-१६९६) एक मराठा सेनापति थे और छत्रपति राजाराम प्रथम के शासनकाल के दौरान मराठा साम्राज्य में ७वें सेनापति के सम्मानित पद पर थे। [1] उन्हें व्यापक रूप से गोरिल्ला युद्ध में अग्रणी विशेषज्ञों में से एक माना जाता है। संताजी घोरपड़े ने धनाजी जाधव के साथ मिलकर १६८९ से १६९६ तक मुग़लों के विरुद्ध कई सफल अभियान चलाये। उनकी रणनीतिक कुशलता गुरिल्ला युद्ध, घात और तीव्र गतिशीलता जैसी रणनीतियों के कुशल उपयोग के माध्यम से प्रदर्शित हुई, जिसके परिणामस्वरूप अंततः मुग़ल सेना की प्रभावी हार हुई। उनकी वीरता को मान्यता देते हुए राजाराम ने उन्हें १६९० में ममलकत-मदार की उपाधि प्रदान की।

  1. "On the history trail: The heroism of Sarsenapati Santaji Ghorpade" (अंग्रेज़ी में). 2022-06-17. अभिगमन तिथि 2023-07-16.