शृंगिका

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वर्मपंखी पर बड़े शृंगिकाएँ

शृंगिका, सन्धिपाद में संवेदन हेतु प्रयोग किए जाने वाले युग्मित उपांग हैं।

शृंगिकाएँ सन्धिपादों के शिर के पहले एक या दो खण्डों से जुड़े होते हैं। वे रूप में व्यापक रूप से भिन्न होते हैं किन्तु सदा एक या अधिक संयुक्त खण्डों से बने होते हैं। जबकि वे सामान्यतः ज्ञानेन्द्रिय होते हैं, वे क्या और कैसे अनुभव करते हैं, इसकी सटीक प्रकृति सभी समूहों में समान नहीं होती है। कार्यों में विभिन्न प्रकार से संवेदन स्पर्श, वायु गति, ऊष्मा, कम्पन (ध्वनि), और विशेषतः घ्राण या स्वाद शामिल हो सकते हैं। [1] [2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Chapman, R.F. (1998). The Insects: Structure and Function (4th संस्करण). Cambridge University Press. पपृ॰ 8–11. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0521570480.
  2. Boxshall, Geoff; Jaume, D. (2013). Functional Morphology and Diversity: Antennules and Antennae in the Crustacea. Oxford University Press. पपृ॰ 199–236. डीओआइ:10.1093/acprof:osobl/9780195398038.003.0007.