वृक तारामंडल
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वृक (संस्कृत अर्थ: भेड़िया) या लूपस खगोलीय गोले के दक्षिणी भाग में स्थित एक तारामंडल है जो अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ द्वारा जारी की गई ८८ तारामंडलों की सूची में शामिल है। दूसरी शताब्दी ईसवी में टॉलमी ने जिन ४८ तारामंडलों की सूची बनाई थी यह उनमें भी शामिल था। आकाश में यह नरतुरंग और वॄश्चिक तारामंडल के बीच में स्थित है।
अन्य भाषाओं में
[संपादित करें]अंग्रेज़ी में वृक तारामंडल को "लूपस कॉन्स्टॅलेशन" (Lupus constellation) कहा जाता है। लातिनी भाषा में "लूपस" का अर्थ भेड़िया होता है।
तारे
[संपादित करें]वृक तारामंडल में ४१ तारे हैं जिन्हें बायर नाम दिए जा चुके हैं। इनमें से २ के इर्द-गिर्द ग़ैर-सौरीय ग्रह परिक्रमा करते हुए पाए गए हैं। वैसे इस तारामंडल में +६.०० मैग्नीट्यूड से अधिक चमक (सापेक्ष कान्तिमान) वाले लगभग ७० तारे हैं। वृक तारामंडल की कुछ प्रमुख खगोलीय वस्तुएँ इस प्रकार हैं -
- अल्फ़ा लूपाई (α Lupi) इस तारामंडल का सब से रोशन तारा है। यह दानव तारा एक बेटा सॅफ़ॅई परिवर्ती तारा भी है।
- बेटा लूपाई (β Lupi) एक नीला दानव तारा है जिसके नज़दीक एक महानोवा (सुपरनोवा) धमाके के अवशेष बिखरे हुए हैं।
- इस तारामंडल की उत्तर की ओर ऍन॰जी॰सी॰ ५८२४ और ऍन॰जी॰सी॰ ५९८६ नामक दो गोल तारागुच्छ मौजूद हैं।
- इस तारामंडल की दक्षिण की ओर ऍन॰जी॰सी॰ ५८२२ और ऍन॰जी॰सी॰ ५७४९ नामक दो खुले तारागुच्छ मौजूद हैं।
- इस के पश्चिमी भाग में दो सर्पिल (स्पाइरल) आकाशगंगाएँ और आई॰सी॰ ४४०६ नाम की एक वुल्फ़-रायेट ग्रहीय नीहारिका स्थित हैं। इस नीहारिका में ब्रह्माण्ड के सब से गरम तारों में से कुछ स्थित हैं। ऍन॰जी॰सी॰ ५८८२ नामक एक और भी ग्रहीय नीहारिका इस तारामंडल के बीच के क्षेत्र में स्थित है। लूपस-टीआर३बी (Lupus-TR3b) नाम का एक घिर सौरीय ग्रह भी यहाँ मिला है। इतिहास में वृक तारामंडल के दाएरे में एक महानोवा सन् १००६ में अप्रैल ३० और मई १ के दिनों में देखा गया था जिसे ऍसऍन १००६ नाम दिया गया था।[1]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ John Scalzi, Rough Guide. "Rough Guide to the Universe". Penguin, 2008. ISBN 9781405383707.