विश्व स्वास्थ्य संगठन का पारम्परिक चिकित्सा का वैश्विक केन्द्र

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विश्व स्वास्थ्य संगठन का पारम्परिक चिकित्सा का वैश्विक केन्द्र (WHO GCTM) भारत के आयुष मन्त्रालय के अधीन जामनगर में स्थापित किया जायेगा। इसके लिये विश्व स्वास्थ्य संगठन तथा भारत सरकार के बीच समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं। इस केंद्र को भारत सरकार की ओर से लगभग 25 करोड़ अमरीकी डॉलर के निवेश से सहायता मिलेगी। इस सम्स्थान का प्राथमिक उद्देश्य आधुनिक विज्ञान और प्रौद्योगिकी के माध्यम से दुनिया भर से पारम्परिक चिकित्सा की क्षमता का दोहन करना और विश्व भर के लोगों के समग्र स्वास्थ्य में सुधार लाना है।[1][2] १९ अप्रैल २०२२ को इसका शिलान्यास हुआ। [3]

यह केन्द्र विश्व भर में पारम्परिक चिकित्सा के लिए पहला और एकमात्र वैश्विक केन्द्र (कार्यालय) होगा। यह पारम्परिक चिकित्सा पद्धतियों और उत्पादों पर नीतियों और मानकों के लिए ठोस आधार साक्ष्य के निर्माण पर फोकस करेगा। यह देशों को इस बात के लिये सहायता प्रदान करेगा ताकि वे उपयुक्त तरीके से इसे अपनी-अपनी स्वास्थ्य प्रणालियों में समेकित कर सकें।

पारम्परिक चिकित्सा स्वास्थ्य देखभाल का एक प्रमुख स्तम्भ है और न केवल भारत में बल्कि विश्व भर में अच्छे स्वास्थ्य और कल्याण को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हाल के वर्ष में, पारंपरिक चिकित्सा उपचारों में भी प्रमुख बदलाव देखा गया है क्योंकि कृत्रिम आसूचना (IA), प्रौद्योगिकी नवोन्मेषणों के उपयोग ने इसे आम लोगों के लिए और अधिक सुलभ बना दिया है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]