पारम्परिक चिकित्सा
पारम्परिक चिकित्सा (traditional medicine) या लोक चिकित्सा (folk medicine) कई मानव पीढ़ीयों द्वारा विकसित वे ज्ञान प्रणालियाँ होती हैं जिनके प्रयोग से आधुनिक चिकित्सा प्रणाली से भिन्न तरीके से शारीरिक व मानसिक रोगों की पहचान, रोकथाम, निवारण और इलाज करा जाता रहा है।[1] कई एशियाई और अफ़्रीकी देशों में ८०% तक जनसंख्या प्राथमिक स्वास्थ्य उपचार में स्थानीय पारम्परिक चिकित्सा पर निर्भर है और केवल उन उपचारों के न काम करने पर ही आधुनिक चिकित्सा का सहारा लेती है। जब एक स्थान की पारम्परिक चिकित्सा शैली अपनी गृहभूमि से बाहर प्रयोग होती है तो उसे "वैकल्पिक चिकित्सा" (alternative medicine) कहते हैं।
विश्व की प्रमुख पारम्परिक चिकित्सा शैलियों में आयुर्वेद, यूनानी चिकित्सा, सिद्ध चिकित्सा, प्राचीन ईरानी चिकित्सा, पारम्परिक चीनी चिकित्सा,पारम्परिक भारतीय एक्युप्रेशर चिकित्सा,पारम्परिक कोरियाई चिकित्सा, एक्यूपंक्चर, मुटी (दक्षिणी अफ़्रीकी पारम्परिक चिकित्सा), इफ़ा (पश्चिमी अफ़्रीकी पारम्परिक चिकित्सा) और अन्य पारम्परिक अफ़्रीकी चिकित्सा शैलियाँ शामिल हैं। पारम्परिक चिकित्सा के भिन्न क्षेत्रों में जड़ी-बूटी चिकित्सा, नृजाति चिकित्साविज्ञान (ऍथ्नोमेडिसिन), लोक वानस्पतिकी (ऍथ्नोबोटेनी) और चिकित्सक मानवशास्त्र सम्मिलित हैं।[2]भारत में एक्युप्रेशर शिक्षा एवं निदान के लिए डा0 श्री प्रकाश बरनवाल के संंंयो जन मेें एक्युप्रेशर काउंसिल नेेेचुआजलालपुर(गोपालगंज)बिहार द्वारा जन जन तक पहुंचा ने का कार्य कििया गया है।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ "Traditional Medicine: Definitions". World Health Organization. 2008-12-01. मूल से 13 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2014-04-20.
- ↑ "Traditional medicines continue to thrive globally - CNN.com". www.cnn.com. मूल से 30 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2016-04-25.