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* सन् १७४९ में गार्गिस-लूई लेक्लर्क (Georges-Louis Leclerc) ने प्रदर्शित किया कि [[पृथ्वी]] की आयु [[बाइबल]] में वर्णित आयु से कई गुना अधिक है। |
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* स्कॉटलैण्ड के भूविज्ञानी जेम्स हट्टन (James Hutton) का दृढ मत था कि जिन प्रक्रमों ने पृथ्वी को अब तक बदला है वे ही अब भी इसे बदल रहे हैं। |
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* उन्नीसवीं शती में भूविज्ञान के क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई। सन् १८१५ में [[विलियम स्मिथ]] ने विश्व का प्रथम भूवैज्ञानिक मानचित्र बनाया। इसमें उन्होने 'स्ट्राटा' के अपने ज्ञान का उपयोग किया। |
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* चार्ल्स लेल (Charles Lyell) उस समय के सबसे विख्यात शैक्षिक भूवैज्ञानिक थे। उन्होने बताया कि भिन्न-भिन्न स्ट्राटा, भिन्न-भिन्न जीवाश्मों से संबन्धित हैं। |
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* डार्विन के समय तक अधिकांश भूवैज्ञानिक ज्ञान जीवाश्मों के अध्ययन से प्राप्त ज्ञान ही था। इसलिये [[डार्विन का विकासवाद|डार्विन के विकासवाद]] ने आधुनिक भूवैज्ञानिक चिन्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। |
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*बीसवीं शती में भूवैज्ञानिक पृथ्वी की आयु और अधिक बताने लगे। जहाँ पहले मिलियन वर्षों की बात होती थी, अब 'बिलियन वर्षों' की बात होने लगी। वैगनर (Wagner) के 'महाद्वीपीय शिफ्ट' के सिद्धान्त को बल मिला। |
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04:13, 2 अप्रैल 2012 का अवतरण
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भौमिकी का इतिहास बहुत पुराना है। शायद 'पृथ्वी की उत्पत्ति' सम्बन्धी विचारों को सबसे पहला भूवैज्ञानिक विचार कहा जा सकता है।
- सन् १७४९ में गार्गिस-लूई लेक्लर्क (Georges-Louis Leclerc) ने प्रदर्शित किया कि पृथ्वी की आयु बाइबल में वर्णित आयु से कई गुना अधिक है।
- स्कॉटलैण्ड के भूविज्ञानी जेम्स हट्टन (James Hutton) का दृढ मत था कि जिन प्रक्रमों ने पृथ्वी को अब तक बदला है वे ही अब भी इसे बदल रहे हैं।
- उन्नीसवीं शती में भूविज्ञान के क्षेत्र में बहुत प्रगति हुई। सन् १८१५ में विलियम स्मिथ ने विश्व का प्रथम भूवैज्ञानिक मानचित्र बनाया। इसमें उन्होने 'स्ट्राटा' के अपने ज्ञान का उपयोग किया।
- चार्ल्स लेल (Charles Lyell) उस समय के सबसे विख्यात शैक्षिक भूवैज्ञानिक थे। उन्होने बताया कि भिन्न-भिन्न स्ट्राटा, भिन्न-भिन्न जीवाश्मों से संबन्धित हैं।
- डार्विन के समय तक अधिकांश भूवैज्ञानिक ज्ञान जीवाश्मों के अध्ययन से प्राप्त ज्ञान ही था। इसलिये डार्विन के विकासवाद ने आधुनिक भूवैज्ञानिक चिन्तन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- बीसवीं शती में भूवैज्ञानिक पृथ्वी की आयु और अधिक बताने लगे। जहाँ पहले मिलियन वर्षों की बात होती थी, अब 'बिलियन वर्षों' की बात होने लगी। वैगनर (Wagner) के 'महाद्वीपीय शिफ्ट' के सिद्धान्त को बल मिला।