"एकीकृत परिपथ": अवतरणों में अंतर
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[[संकर एकीकृत परिपथ]] भी लघु आकार के एकीकृत परिपथ होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये ''मोनोलिथिक आई सी'' से भिन्न हैं। |
[[संकर एकीकृत परिपथ]] भी लघु आकार के एकीकृत परिपथ होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये ''मोनोलिथिक आई सी'' से भिन्न हैं। |
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सन् १९४७ में [[ट्रांजिस्टर]] के आविष्कार के बाद एकीकृत परिपथ के के विकास का रास्ता साफ हो गया था। सन् १९५८-५९ में दो व्यक्तियों ने लगभग एक ही तरह की आई सी लगभग एक ही समय विकसित की। वे अलग-अलग काम कर रहे थे और एक-दूसरे के काम से अनभिज्ञ थे। ये व्यक्ति थे - टेक्सास इंस्ट्रूमेन्ट्स में कार्यरत [[जैक किल्बी]] (Jack Kilby), और फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर कारपोरेशन के सह-संस्थापक रॉबर्ट नॉयस (Robert Noyce) । दोनो ही विद्युत इंजीनियर थे और दोनो ही इस बात का हल निकालने में जुटे हे थे कि अनेकानेक संख्याओं वाले परिपथों को कैसे विश्वसनीय रूप से निर्मित किया जाय और उनका आकार कैसे छोटा किया जाय। आज हम कह सकते हैं कि यदि ट्रांसिस्टर का आविष्कार न होता तो एकीकृत परिपथ न होता; और एकीकृत परिपथ न होता तो [[कम्प्यूटर]] और अन्य एलेक्ट्रॉनिक उपकरण न होते जिनका परिपथ करोड़ों-अरबों अवयवों से बना होता है। |
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एकीकृत परिपथ के विकास से निम्नलिखित लाभ होते हैं- |
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* लाखों, करोड़ों या अरबों अवयवों वाले परिपथ भी विश्वसनीय रूप से काम करते हैं। |
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* इतने सारे अवयवों (components) की असेम्बली में लगने वाला समय अब नहीं लगता। |
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* परिपथ का आकार बहुत छोटा हो जाता है जिससे छोटे आकार के एलेक्ट्रॉनिक चीजें बनायी जा सकतीं हैं। |
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* बड़े परिपथ इस प्रकार डिजाइन किये जा सकते हैं कि वे कम से कम शक्ति (पॉवर) से काम कर सकें। |
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* 555 टाइमर आइसी - लोकप्रिय टाइमर आइसी है। यह अन्य कामों के अलावा मुख्यतः ए-स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर एवं मोनो-स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर बनाने के लिये काम आता है। |
* 555 टाइमर आइसी - लोकप्रिय टाइमर आइसी है। यह अन्य कामों के अलावा मुख्यतः ए-स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर एवं मोनो-स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर बनाने के लिये काम आता है। |
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* [[741 ऑपरेशनल प्रवर्धक]] |
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* [[7400 series]] [[Transistor-transistor logic|TTL]] logic building blocks (तार्किक निर्माण ब्लॉक) |
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* [[Intel 4004]], विश्व का पहला [[माइक्रोप्रोसेसर]] (सूक्ष्मप्रक्रमक) |
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* The [[MOS Technology 6502]] and [[Zilog Z80]] microprocessors, used in many [[home computer]]s of the early 1980s |
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माइक्रोचिप के कई और लाभ भी हैं। वर्तमान में माइक्रोचिप का प्रयोग जैविक प्रणालियों (बॉयोलॉजिकल सिस्टम) में होता है। इसका प्रयोग जीवन बचाने में भी होने लगा है। हृदय रोगियों के लिए पेसमेकर में भी माइक्रोचिप रहती है। पेसमेकर हृदय गति नियत्रिंत रखता है। माइक्रोचिप का प्रयोग घड़ियों, मोबाइल फोन से लेकर स्पेस शटल तक में हो रहा है। |
माइक्रोचिप के कई और लाभ भी हैं। वर्तमान में माइक्रोचिप का प्रयोग जैविक प्रणालियों (बॉयोलॉजिकल सिस्टम) में होता है। इसका प्रयोग जीवन बचाने में भी होने लगा है। हृदय रोगियों के लिए पेसमेकर में भी माइक्रोचिप रहती है। पेसमेकर हृदय गति नियत्रिंत रखता है। माइक्रोचिप का प्रयोग घड़ियों, मोबाइल फोन से लेकर स्पेस शटल तक में हो रहा है। |
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== संदर्भ == |
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05:00, 12 जनवरी 2012 का अवतरण
एलेक्ट्रॉनिकी में एकीकृत परिपथ या इन्टीग्रेटेड सर्किट (IC) को माइक्रोसर्किट (सूक्ष्मपरिपथ), माइक्रोचिप, सिलिकॉन चिप, या केवल चिप के नाम से भी जाना जाता है। यह एक अर्धचालक पदार्थ के अन्दर बना हुआ एलेक्ट्रॉनिक परिपथ ही होता है जिसमें प्रतिरोध, संधारित्र आदि पैसिव कम्पोनेन्ट (निष्क्रिय घटक) के अलावा डायोड, ट्रान्जिस्टर आदि अर्धचालक अवयव निर्मित किये जाते हैं। जिस प्रकार सामान्य परिपथ का निर्माण अलग-अलग (डिस्क्रीट) अवयव जोड़कर किया जाता है, आईसी का निर्माण वैसे न करके एक अर्धचालक के भीतर सभी अवयव एक साथ ही एक विशिष्ट प्रक्रिया का पालन करते हुए निर्मित कर दिये जाते हैं। एकीकृत परिपथ आजकल जीवन के हर क्षेत्र में उपयोग में लाये जा रहे हैं। इनके कारण एलेक्ट्रानिक उपकरणों का आकार अत्यन्त छोटा हो गया है, उनकी कार्य क्षमता (परफार्मैन्स) बहुत अधिक हो गयी है एवं उनकी शक्ति (पॉवर) की जरूरत बहुत कम हो गयी है।
संकर एकीकृत परिपथ भी लघु आकार के एकीकृत परिपथ होते हैं किन्तु वे अलग-अलग अवयवों को एक छोटे बोर्ड पर जोड़कर एवं एपॉक्सी आदि में जड़कर (इम्बेड करके) बनाये जाते हैं। अतः ये मोनोलिथिक आई सी से भिन्न हैं।
इतिहास
सन् १९४७ में ट्रांजिस्टर के आविष्कार के बाद एकीकृत परिपथ के के विकास का रास्ता साफ हो गया था। सन् १९५८-५९ में दो व्यक्तियों ने लगभग एक ही तरह की आई सी लगभग एक ही समय विकसित की। वे अलग-अलग काम कर रहे थे और एक-दूसरे के काम से अनभिज्ञ थे। ये व्यक्ति थे - टेक्सास इंस्ट्रूमेन्ट्स में कार्यरत जैक किल्बी (Jack Kilby), और फेयरचाइल्ड सेमीकंडक्टर कारपोरेशन के सह-संस्थापक रॉबर्ट नॉयस (Robert Noyce) । दोनो ही विद्युत इंजीनियर थे और दोनो ही इस बात का हल निकालने में जुटे हे थे कि अनेकानेक संख्याओं वाले परिपथों को कैसे विश्वसनीय रूप से निर्मित किया जाय और उनका आकार कैसे छोटा किया जाय। आज हम कह सकते हैं कि यदि ट्रांसिस्टर का आविष्कार न होता तो एकीकृत परिपथ न होता; और एकीकृत परिपथ न होता तो कम्प्यूटर और अन्य एलेक्ट्रॉनिक उपकरण न होते जिनका परिपथ करोड़ों-अरबों अवयवों से बना होता है।
लाभ
एकीकृत परिपथ के विकास से निम्नलिखित लाभ होते हैं-
- लाखों, करोड़ों या अरबों अवयवों वाले परिपथ भी विश्वसनीय रूप से काम करते हैं।
- इतने सारे अवयवों (components) की असेम्बली में लगने वाला समय अब नहीं लगता।
- परिपथ का आकार बहुत छोटा हो जाता है जिससे छोटे आकार के एलेक्ट्रॉनिक चीजें बनायी जा सकतीं हैं।
- बड़े परिपथ इस प्रकार डिजाइन किये जा सकते हैं कि वे कम से कम शक्ति (पॉवर) से काम कर सकें।
कुछ प्रसिद्ध एकीकृत परिपथ
- 555 टाइमर आइसी - लोकप्रिय टाइमर आइसी है। यह अन्य कामों के अलावा मुख्यतः ए-स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर एवं मोनो-स्टेबल मल्टीवाइब्रेटर बनाने के लिये काम आता है।
- 7400 series TTL logic building blocks (तार्किक निर्माण ब्लॉक)
- 4000 series, the CMOS counterpart to the 7400 series
- Intel 4004, विश्व का पहला माइक्रोप्रोसेसर (सूक्ष्मप्रक्रमक)
- The MOS Technology 6502 and Zilog Z80 microprocessors, used in many home computers of the early 1980s
माइक्रोचिप
माइक्रोचिप, एकीकृत परिपथ यानि इंट्रीग्रेटेड सर्किट की एक चिप होती है, जो कि सिलिकॉन से बनी होती है। यह प्रोगाम लॉजिक और कंप्यूटर मेमोरी के लिए बनाई जाती है। वर्तमान में माइक्रोचिप कंप्यूटर, मोबाइल, पीडीए और माइक्रोवेव ओवन सहित कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आवश्यक अंग बन चुकी हैं। [1] माइक्रोचिप अपने ५० वर्षो की यात्रा पूर्ण कर चुकी है। १९५८ में इसका अविष्कार रॉबर्ट नॉयस और जैक किल्बे ने किया था। ये दोनों अलग-अलग कंपनियों में काम करते थे और दोनों ही कंपनियां इस शोध को अपने दृष्टिकोण से कर रही थी। इस शोध के उपरांत बाद दोनों ही कंपनियों ने इसके पेटेंट के लिए आवेदन किया। बाद में दोनों कंपनियों को सम्मिलित रूप से इसका लाइसेंस दिया गया और इसका सम्मिलत पेटेंट दिया गया। पहली बार माइक्रोचिप १९६१ में लोगों को उपलब्ध हुई। जिक किल्बे ने ही बाद में पोर्टेबल कैलकुलेटर का आविष्कार किया। तब से लेकर अब तक माइक्रोचिप में कई बदलाव आ चुके हैं। पहली माइक्रोचिप में जहां एक ट्रांजिस्टर, एक कैपेसिटर और तीन रजिस्टर थे, वहीं आज की माइक्रोचिप में एक छोटे सी जगह में लगभग १२५ मिलियन ट्रांजिस्टर समाए होते हैं।
माइक्रोचिप के कई और लाभ भी हैं। वर्तमान में माइक्रोचिप का प्रयोग जैविक प्रणालियों (बॉयोलॉजिकल सिस्टम) में होता है। इसका प्रयोग जीवन बचाने में भी होने लगा है। हृदय रोगियों के लिए पेसमेकर में भी माइक्रोचिप रहती है। पेसमेकर हृदय गति नियत्रिंत रखता है। माइक्रोचिप का प्रयोग घड़ियों, मोबाइल फोन से लेकर स्पेस शटल तक में हो रहा है।
इन्हें भी देखें
- सामान्य विषय
- संबंधित युक्तियां एवं शब्द
- IC device technologies
- Integrated injection logic
- Transistor–transistor logic (TTL)
- Bipolar junction transistor
- Emitter-coupled logic (ECL)
- मॉसफेट
- NMOS
- सीमॉस
- BiCMOS
- BCDMOS
- GaAs
- SiGe
- Mixed-signal integrated circuit
- RC delay
- Other
- Chip art
- Memristor
- Microcontroller
- Moore's law
- Semiconductor manufacturing
- Simulation
- Sound chip
- SPICE, HDL, Automatic test pattern generation
- ZIF
- DatasheetArchive
- Three-dimensional integrated circuit
संदर्भ
- ↑ माइक्रोचिप।हिन्दुस्तान लाइव।२१ दिसंबर, २००९
बाहरी कड़ियाँ
सामान्य
- Krazit, Tom "- AMD's new 65-nanometer chips sip energy but trail Intel," C-net, 2006-12-21. Retrieved on January 8, 2007
- a large chart listing ICs by generic number and a larger one listing by mfr. number, both including access to most of the datasheets for the parts.
- Practical MMIC Design published by Artech House ISBN 1-59693-036-5
Author S.P. Marsh
श्रव्य-दृश्य (Audio video)
छवियाँ
आइसी के डाई का फोटो
- IC Die Photography – A gallery of IC die photographs