"सरयूपारीण ब्राह्मण": अवतरणों में अंतर

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पृष्ठ को '{{स्रोतहीन|date=जुलाई 2018}} '''सरयूपारीण ब्राह्मण''' या '''सरवरिया ब्राह्मण''' या '''सरयूपारी ब्राह्मण''' सरयू नदी के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है। ऋग्वेद मे...' से बदल रहा है।
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{{स्रोतहीन|date=जुलाई 2018}}
<ref> https://ia600808.us.archive.org/19/items/SarayuparinBrahmin/Sarayuparin%20brahmin.pdf </ref> ''सरयूपारीण ब्राह्मण''' या '''सरवरिया ब्राह्मण''' या '''सरयूपारी ब्राह्मण''' [[सरयू|सरयू नदी]] के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है। <ref> https://books.google.co.in/books?id=ihENAAAAYAAJ&pg=PA451&dq=sarwariya&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&ovdme=1&sa=X&ved=2ahUKEwjOwsLVrs6CAxVjyDgGHeyxDRsQ6AF6BAgNEAM#v=onepage&q=sarwariya&f=false </ref> यह [[कान्यकुब्ज ब्राह्मण]] की शाखा हैं।<ref>{{Cite book |last=Saraswati |first=Baidyanath |url=https://www.google.co.in/books/edition/Brahmanic_Ritual_Traditions_in_the_Cruci/2VIqAAAAYAAJ?hl=en |title=Brahmanic Ritual Traditions in the Crucible of Time |date=1977 |page=78|publisher=Indian institutw of Advanced study|isbn=9780896844780 |language=en}}</ref><ref>{{Cite book |last=Russell |first=Robert Vane |url=https://archive.org/details/hindutribescaste00mash/page/22/mode/1up |title=The Tribes and Castes of the Central Provinces of India (Volumes I and II) |date=2020-09-28 |page=107|publisher=Library of Alexandria |isbn=978-1-4655-8294-2 |language=en}}</ref> [[ऋग्वेद]] में मुख्य रूप से तीन नदियों का उल्लेख ही है। इनमे सरस्वती, सिंधु और सरयू नदी का ज़िक्र है। ये शुद्ध आर्यवंशी षट्कर्मा वेदपाठी आदिकालिक समूह है जो की आदिकाल से ही ब्राह्मण धर्म का अधिष्ठाता रहा है। एक लोक कथा के अनुसार रावण जो की ब्राह्मण थे उनकी हत्या करने पर ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्त होने के लिए जब श्री राम ने भोजन ओर दान के लिए ब्राह्मणों को आमंत्रित किया तो जो ब्राह्मण स्नान करने के बहाने से सरयू नदी पार करके उस पार चले गए ओर भोजन तथा दान समंग्री ग्रहण नहीं की वे ब्राह्मण सरयूपारीन ब्राह्मण कहे गए। पहले के समय में, सरयूपारीण ब्राह्मण वेदों के अध्ययन के लिए समर्पित थे, उन्होंने वैदिक ग्रंथों, भाष्यों और अन्य पवित्र ग्रंथों में भारी योगदान दिया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के मठों पर सरयूपारीण ब्राह्मण शास्त्रीयों का प्रभुत्व था और हैं, काशी गणित एवं दर्शनशास्त्र विद्यालय पर सरयूपारीण ब्राह्मणों का प्रभुत्व था। सरयूपारीण ब्राह्मण विभिन्न रूढ़िवादी वैदिक विद्यालयों के ध्वजवाहक थे। <ref> https://books.google.co.in/books?id=UgG6EAAAQBAJ&pg=PT69&dq=%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A3+%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A3&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&ovdme=1&sa=X&ved=2ahUKEwjIwtmnss6CAxVgTGwGHfibDKEQ6AF6BAgGEAM#v=onepage&q=%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%AF%E0%A5%82%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A5%80%E0%A4%A3%20%E0%A4%AC%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%B9%E0%A5%8D%E0%A4%AE%E0%A4%A3&f=false </ref> आधुनिक काल में, अधिकांश सरयूपारीण ब्राह्मण जमींदार, साहूकार, प्रशासनिक अधिकारी और राजनीतिक नेता थे, जबकि उनका एक छोटा वर्ग पुरोहिती और खेती के अपने पारंपरिक व्यवसायों में लगा रहा। उस समय के बड़े बैंकर बलदीराम पांडे, भवानीदत्त पांडे, सदानंद पांडे, बलदेव मिश्र सरयूपारीण ब्राह्मण थे। धानेपुर राज, चेतिया राज, दत्तनगर राज, बीसलपुर राज, बरहमपुर राज, मनैन राज, नरहरिया राज के राजा सरयूपारीण ब्राह्मण थे। सरयूपारीण ब्राह्मण पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिमी बिहार में स्वतंत्रता आंदोलन के ध्वजवाहक थे, मंगल पांडे, ज्ञानेश्वर मिश्र, शालिग्राम शुक्ल, कमलनाथ तिवारी, शिवशंकर मिश्र, मुनीश्वर उपाध्याय, सीताराम शुक्ल, लक्ष्मीकांत मिश्र, विजयनाथ त्रिपाठी, चित्तू पांडे, चन्द्रशेखर मिश्र जैसे स्वतंत्रता सेनानी थे। सरयूपारीण ब्राह्मण थे. सरयूपारीण ब्राह्मण समुदाय ने कई ऐसे राजनीतिक नेताओं को जन्म दिया है, जिन्होंने उत्तर प्रदेश की राजनीति पर अपना दबदबा कायम किया है, श्रीपति मिश्रा, हजारीप्रसाद द्विवेदी, नरोत्तम मिश्रा, जगत मिश्रा कमलनाथ तिवारी, हरिशंकर तिवारी, कमलापति त्रिपाठी, विजय मिश्रा, सतीश पांडे, अश्विनी चैबे जैसे कद्दावर नेता सरयूपारीण ब्राह्मण हैं।
'''सरयूपारीण ब्राह्मण''' या '''सरवरिया ब्राह्मण''' या '''सरयूपारी ब्राह्मण''' [[सरयू|सरयू नदी]] के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है। [[ऋग्वेद]] में मुख्य रूप से तीन नदियों का उल्लेख ही है। इनमे सरस्वती, सिंधु और सरयू नदी का ज़िक्र है। ये शुद्ध आर्यवंशी षट्कर्मा वेदपाठी आदिकालिक समूह है जो की आदिकाल से ही ब्राह्मण धर्म का अधिष्ठाता रहा है।{{उद्धरण आवश्यक}}



सरयूपारीण ब्राह्मण सैन्य रूप से भी सक्रिय हैं, उन्होंने सहरंगपुर की लड़ाई में भाग लिया है, बोध तिवारी, नारायणदत्त पांडे, धूत तिवारी, धोंडी शुक्ला, बरखंडी पांडे के नेतृत्व में सरयूपारीण ब्राह्मण ब्राह्मण ने गोंडा के बिसेन राजपूतों के साथ गठबंधन किया और नवाब सेना को हराया। <ref> https://books.google.co.in/books/about/The_Final_Settlement_Report_on_the_Gonda.html?id=i6gIAAAAQAAJ&redir_esc=y </ref> 1797 में, राजा शिवलाल दुबे के नेतृत्व में सरयूपारीण ब्राह्मणों ने कल्ब खान और सल्तनत सिंह की सेना से लड़ाई की और उन्हें हरा दिया। देवीदीन पांडे के नेतृत्व में सरयूपारीण ब्राह्मणों और राजपूतों ने मीर बांकी की सेना का मुकाबला किया, उन्होंने उन्हें पहली लड़ाई में हराया लेकिन वे दूसरी लड़ाई नहीं जीत सके। <ref> https://books.google.co.in/books?id=ovpCmkPbLDoC&pg=PA596&dq=%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%A8+%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%87&hl=en&newbks=1&newbks_redir=0&source=gb_mobile_search&ovdme=1&sa=X&ved=2ahUKEwip_LvGuc6CAxV84DgGHQefCWkQ6AF6BAgIEAM#v=onepage&q=%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B5%E0%A5%80%E0%A4%A6%E0%A5%80%E0%A4%A8%20%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A1%E0%A5%87&f=false </ref> रीवा के कुछ सरयूपारीण ब्राह्मण भी प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में शामिल हुए। रानी लक्ष्मीबाई, तात्या टोपे, नानासाहेब, नवाब अली बहादुर के नेतृत्व में ब्राह्मणों ने स्थानीय राजपूतों के साथ मिलकर ब्रिटिश सेना का मुकाबला किया। मवई की लड़ाई में गाँव के ब्राह्मणों ने सेना का विरोध किया, हालाँकि वे सैय्यद जलाल और ज़बर खान की सेना के इस हमले से पूरी तरह अनजान थे, लेकिन वे सभी बहादुरी से लड़े और शहीद हो गए। उस लड़ाई के बाद सैय्यद जलाल को सुल्तान अलाउद्दीन से दो परगने दिए गए। <ref> https://archive.org/details/dli.ministry.08179/page/493/mode/1up?view=theater </ref>
[[श्रेणी:ब्राह्मण]]
[[श्रेणी:ब्राह्मण]]

09:58, 24 मार्च 2024 का अवतरण

सरयूपारीण ब्राह्मण या सरवरिया ब्राह्मण या सरयूपारी ब्राह्मण सरयू नदी के पूर्वी तरफ बसे हुए ब्राह्मणों को कहा जाता है। ऋग्वेद में मुख्य रूप से तीन नदियों का उल्लेख ही है। इनमे सरस्वती, सिंधु और सरयू नदी का ज़िक्र है। ये शुद्ध आर्यवंशी षट्कर्मा वेदपाठी आदिकालिक समूह है जो की आदिकाल से ही ब्राह्मण धर्म का अधिष्ठाता रहा है।[उद्धरण चाहिए]