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[[चित्र:Garh Kundar.JPG|right|thumb|300px|गढ़कुण्डार या कुण्डार दुर्ग]]
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''' खेतसिंह खंगार ''' (११४०-१२१२ ई.) गढ़ कुंडर के के एक राजा थे।<ref name="myth">{{cite news|url=https://www.amarujala.com/uttar-pradesh/ghatampur/maharaja-khet-singh-jayanti-will-be-celebrated-in-sajeti|title=सजेती में मनाई जाएगी महाराज खेत सिंह की जयंती|date=16 December 2017|work=Amar Ujala|language=hi}}</ref>
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राजा रुद्रदेव के पुत्र खंगार का जन्म 27 दिसंबर 1140 को [[जूनागढ़]], [[गुजरात]] में जूनागढ़ के शाही परिवार में विक्रम संवत में पौष माह चैत्र शुक्ल पक्ष में हुआ था। उनके पिता गुजरात के राजा थे। वह मूल रूप से बनारस का रहने वाला थे। वह 1180 में बुन्देलखण्ड चले गये और जूनागढ़ पर कब्ज़ा कर लिया। [[चंद बरदाई राव]] द्वारा लिखित 16वीं शताब्दी के हिंदू महाकाव्य [[पृथ्वीराज रासो]] से संकेत मिलता है कि 1161 ईस्वी में महोबा युद्ध के दौरान खंगार जेजक भक्ति में एक युद्ध में थे, जिसमें [[पृथ्वीराज चौहान]] एक कमांडर थे। महाकाव्य में बताया गया है कि कैसे संघर्ष के परिणामस्वरूप महोबा के चंदेल सेनापति [[उदल]] और उसके भाई [[आल्हा]] की हत्या हुई।<ref>{{cite book|url=https://books.google.com/books?id=SpYYEAAAQBAJ&dq=Khet+Singh+Khangar&pg=PA80|title=Khajuraho Paryatan Book|last1=Agrawal|first1=Rohit|publisher=Rohit Agrawal|language=en}}</ref>
राजा रुद्रदेव के पुत्र खंगार का जन्म 27 दिसंबर 1140 को [[जूनागढ़]], [[गुजरात]] में जूनागढ़ के शाही परिवार में विक्रम संवत में पौष माह चैत्र शुक्ल पक्ष में हुआ था। उनके पिता गुजरात के राजा थे। वह मूल रूप से बनारस का रहने वाला थे। वह 1180 में बुन्देलखण्ड चले गये और जूनागढ़ पर कब्ज़ा कर लिया। [[चंदबरदाई]] द्वारा लिखित 16वीं शताब्दी के हिंदू महाकाव्य [[पृथ्वीराज रासो]] से संकेत मिलता है कि 1161 ईस्वी में महोबा युद्ध के दौरान खंगार जेजक भक्ति में एक युद्ध में थे, जिसमें [[पृथ्वीराज चौहान]] एक कमांडर थे। महाकाव्य में बताया गया है कि कैसे संघर्ष के परिणामस्वरूप महोबा के चंदेल सेनापति [[उदल]] और उसके भाई [[आल्हा]] की हत्या हुई।<ref>{{cite book|url=https://books.google.com/books?id=SpYYEAAAQBAJ&dq=Khet+Singh+Khangar&pg=PA80|title=Khajuraho Paryatan Book|last1=Agrawal|first1=Rohit|publisher=Rohit Agrawal|language=en}}</ref>


खेत सिंह खंगार ने पृथ्वीराज चौहान की सहायता से कई अनिश्चित युद्ध लड़े। दोनों की जीत के बाद पृथ्वीराज चौहान ने खेत को राज्य का राजा घोषित किया, जिसे 1181 ई. में शासक के रूप में ताज पहनाया गया। खेत ने इस राज्य का नाम जिझौटीखंड (आधुनिक बुंदेलखण्ड में) रखा और गढ़ कुंडर में राजधानी स्थापित की।<ref>{{cite news|url=https://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/banda-banda-people-celebrates-maharaja-khet-singh-khangar-birth-anniversary-uptab-nodrj-2726680.html|title=UP: बांदा में महाराजा खेत सिंह खंगार की जयंती मनी, शोभायात्रा में उमड़े हजारों लोग|date=28 December 2019|work=News18 India}}</ref>
खेत सिंह खंगार ने पृथ्वीराज चौहान की सहायता से कई अनिश्चित युद्ध लड़े। दोनों की जीत के बाद पृथ्वीराज चौहान ने खेत को राज्य का राजा घोषित किया, जिसे 1181 ई. में शासक के रूप में ताज पहनाया गया। खेत ने इस राज्य का नाम जिझौटीखंड (आधुनिक बुंदेलखण्ड में) रखा और गढ़ कुंडर में राजधानी स्थापित की।<ref>{{cite news|url=https://hindi.news18.com/news/uttar-pradesh/banda-banda-people-celebrates-maharaja-khet-singh-khangar-birth-anniversary-uptab-nodrj-2726680.html|title=UP: बांदा में महाराजा खेत सिंह खंगार की जयंती मनी, शोभायात्रा में उमड़े हजारों लोग|date=28 December 2019|work=News18 India}}</ref>

07:33, 21 जनवरी 2024 का अवतरण

खेतसिंह खंगार
खेतसिंह खंगार
राष्ट्रीय संग्रहालय झांसी में संगृहीत खेतसिंह का चित्र
शासनावधि११८२–१२१२ ई•
राज्याभिषेक११८२ में पृथ्वीराज चौहान द्वारा
जन्म२७ दिसम्बर, ११४०
जूनागढ़ गुजरात
निधन३० अगस्त, १२१२
जिझौटीखंड
समाधि
जिझौटीखंड
गढ़कुण्डार या कुण्डार दुर्ग

खेतसिंह खंगार (११४०-१२१२ ई.) गढ़ कुंडर के एक राजा थे।[1]

राजा रुद्रदेव के पुत्र खंगार का जन्म 27 दिसंबर 1140 को जूनागढ़, गुजरात में जूनागढ़ के शाही परिवार में विक्रम संवत में पौष माह चैत्र शुक्ल पक्ष में हुआ था। उनके पिता गुजरात के राजा थे। वह मूल रूप से बनारस का रहने वाला थे। वह 1180 में बुन्देलखण्ड चले गये और जूनागढ़ पर कब्ज़ा कर लिया। चंदबरदाई द्वारा लिखित 16वीं शताब्दी के हिंदू महाकाव्य पृथ्वीराज रासो से संकेत मिलता है कि 1161 ईस्वी में महोबा युद्ध के दौरान खंगार जेजक भक्ति में एक युद्ध में थे, जिसमें पृथ्वीराज चौहान एक कमांडर थे। महाकाव्य में बताया गया है कि कैसे संघर्ष के परिणामस्वरूप महोबा के चंदेल सेनापति उदल और उसके भाई आल्हा की हत्या हुई।[2]

खेत सिंह खंगार ने पृथ्वीराज चौहान की सहायता से कई अनिश्चित युद्ध लड़े। दोनों की जीत के बाद पृथ्वीराज चौहान ने खेत को राज्य का राजा घोषित किया, जिसे 1181 ई. में शासक के रूप में ताज पहनाया गया। खेत ने इस राज्य का नाम जिझौटीखंड (आधुनिक बुंदेलखण्ड में) रखा और गढ़ कुंडर में राजधानी स्थापित की।[3]

सन्दर्भ

  1. "सजेती में मनाई जाएगी महाराज खेत सिंह की जयंती". Amar Ujala. 16 December 2017.
  2. Agrawal, Rohit. Khajuraho Paryatan Book (अंग्रेज़ी में). Rohit Agrawal.
  3. "UP: बांदा में महाराजा खेत सिंह खंगार की जयंती मनी, शोभायात्रा में उमड़े हजारों लोग". News18 India. 28 December 2019.