"देवकी": अवतरणों में अंतर
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[[चित्र:Krishna meets parents.jpg|thumb|right|200px|कृष्ण और बलराम का माता-पिता से मिलनः [[राजा रवि वर्मा]] की कलाकृति]]'''देवकी''' [[महाभारत]] काल में [[मथुरा]] के राजा [[उग्रसेन]] के भाई [[देवक]] की कन्या थी और श्री[[कृष्ण]] और [[बलराम]] की माता थीं। उनको [[अदिति]] का अवतार भी माना जाता है। यह भी माना जाता है कि उनका पुनर्जन्म पृष्णि के रूप में हुआ और उस जन्म में उनका विवाह राज सुतपस से हुआ।<ref>{{Cite web |url=http://www.mythfolklore.net/india/encyclopedia/devaki.htm |title=संग्रहीत प्रति |access-date=19 मार्च 2008 |archive-url=https://web.archive.org/web/20160304001738/http://www.mythfolklore.net/india/encyclopedia/devaki.htm |archive-date=4 मार्च 2016 |url-status=dead }}</ref> |
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देवकी के रूप में इनका विवाह [[वसुदेव]] से हुआ। उग्रसेन के क्रूर बेटे [[कंस]] को जब यह भविष्यवाणी सुना कि उसका वध देवकी के आठवें बेटे के हाथों होगा तो उसने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके छ: बेटों की जन्म होते ही हत्या कर दी। [[बलराम]] इनके सातवें पुत्र थे। आठवें बच्चे कृष्ण (जो वास्तव में भगवान [[विष्णु]] का अवतार थे) का जन्म होते ही वसुदेव उसे पास में ही एक दूसरे गाँव [[गोकुल]] में छोड़ आए जहाँ [[नंद]] और उनकी पत्नी [[यशोदा]] ने उसका पालन-पोषण किया। लौटते समय वसुदेव यशोदा की कन्या महामाया को अपने साथ लेते आए। कहते हैं कि जब कंस ने उसको मारने की चेष्टा की तो वह हाथ से छूट गई और आकाश की ओर जाते |
देवकी के रूप में इनका विवाह [[वसुदेव|वसुदेव यादव]] से हुआ। उग्रसेन के क्रूर बेटे [[कंस]] को जब यह भविष्यवाणी सुना कि उसका वध देवकी के आठवें बेटे के हाथों होगा तो उसने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके छ: बेटों की जन्म होते ही हत्या कर दी। [[बलराम]] इनके सातवें पुत्र थे। आठवें बच्चे कृष्ण (जो वास्तव में भगवान [[विष्णु]] का अवतार थे) का जन्म होते ही वसुदेव उसे पास में ही एक दूसरे गाँव [[गोकुल]] में छोड़ आए जहाँ [[नंद]] और उनकी पत्नी [[यशोदा]] ने उसका पालन-पोषण किया। लौटते समय वसुदेव यशोदा की कन्या महामाया को अपने साथ लेते आए। कहते हैं कि जब कंस ने उसको मारने की चेष्टा की तो वह हाथ से छूट गई और आकाश की ओर जाते हुआ उसने भविष्यवाणी कि कि तुझे मारनेवाला तो गोकुल में जन्म ले चुका है। |
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वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी से [[सुभद्रा]] नामक कृष्ण की एक बहन थीं। इसका विवाह [[अर्जुन]] से हुआ और [[अभिमन्यु (अर्जुनपुत्र)|अभिमन्यु]] की माता थीं। |
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कृष्ण और बलराम ने कंस को मारकर मथुरा को उसके अत्याचारों से मुक्त किया और वसुदेव तथा देवकी को कारागार से मुक्ति दिलायी। |
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== सन्दर्भ == |
== सन्दर्भ == |
19:22, 17 जून 2023 का अवतरण
देवकी महाभारत काल में मथुरा के राजा उग्रसेन के भाई देवक की कन्या थी और श्रीकृष्ण और बलराम की माता थीं। उनको अदिति का अवतार भी माना जाता है। यह भी माना जाता है कि उनका पुनर्जन्म पृष्णि के रूप में हुआ और उस जन्म में उनका विवाह राज सुतपस से हुआ।[1]
देवकी के रूप में इनका विवाह वसुदेव यादव से हुआ। उग्रसेन के क्रूर बेटे कंस को जब यह भविष्यवाणी सुना कि उसका वध देवकी के आठवें बेटे के हाथों होगा तो उसने देवकी और वसुदेव को कारागार में डाल दिया और उनके छ: बेटों की जन्म होते ही हत्या कर दी। बलराम इनके सातवें पुत्र थे। आठवें बच्चे कृष्ण (जो वास्तव में भगवान विष्णु का अवतार थे) का जन्म होते ही वसुदेव उसे पास में ही एक दूसरे गाँव गोकुल में छोड़ आए जहाँ नंद और उनकी पत्नी यशोदा ने उसका पालन-पोषण किया। लौटते समय वसुदेव यशोदा की कन्या महामाया को अपने साथ लेते आए। कहते हैं कि जब कंस ने उसको मारने की चेष्टा की तो वह हाथ से छूट गई और आकाश की ओर जाते हुआ उसने भविष्यवाणी कि कि तुझे मारनेवाला तो गोकुल में जन्म ले चुका है।
वसुदेव की दूसरी पत्नी रोहिणी से सुभद्रा नामक कृष्ण की एक बहन थीं। इसका विवाह अर्जुन से हुआ और अभिमन्यु की माता थीं।
सन्दर्भ
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 मार्च 2008.