विनाशक पोत
विनाशक या ध्वसंक (अंग्रेज़ी: destroyer)- सामुद्रिक/नौसैनिक भाषा में विनाशक पोत तेजी से चल कर हमला करने वाले युद्ध पोतों को कहा जाता हैं। इनका आविष्कार २०वीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में हुआ और तभी से नौसेनायुद्ध में इसक स्थान बेजोड़ रहा है। बहुमुखी और विश्वसनीय कार्यों का दायित्व सफलतापूर्वक वहन करने के कारण नौसेना के इतिहास में इसका स्थान बेजोड़ हो गया है। अत: इसका अतीत, वर्तमान और भविष्य अध्ययन करने योग्य है।
विकास के इतिहास
[संपादित करें]यह निश्चित है कि विनाशक का आविष्कार तारपीडो के कारण हुआ। तारपीडो ने नौसेनायुद्ध में क्रांति ला दी। यह पहला अवसर था जब तारपीडो से लैस छोटा जहाज विशाल नौसेना से मोर्चा लेकर उसे नष्ट कर सकता था। नौसैनिक समरतंत्र में इस क्रांतिकारी आविष्कार से छोटे जहाजों का विकास आवश्यक हो गया। इसके दो कारण थे :
- (1). शत्रु के भारी जहाजों पर तारपीडो द्वारा आक्रमण करने के लिए छोटे द्रुतगामी, अत्यधिक युद्धाभ्यासक्षम जहाजों की आवश्यकता पड़ी।
- (2). शत्रु के तारपीडो आक्रमण से अपने भारी जहाजों की रक्षा करने के लिए भी ऐसे छोटे जहाजों की आवश्यकता पड़ी।
इन कारणों से ही विनाशक का आविष्कार हुआ। प्रारंभिक ध्वसंकों में, जिन्हें "तारपीडो नौध्वसंक' कहते थे, केवल दो तारपीडो नलिकाएँ होती थीं। शत्रु के ध्वंसकों पर आक्रमण करने के लिए इनपर आगे की ओर एक तोप आरूढ़ होती थी। ये जहाज बहुत छोटे, २०० से ३०० टन विस्थापन के, होते थे।
समय बीतने पर ध्वंसक का प्रभाव बढ़ाने के लिए उसपर अधिकाधिक तारपीडो लादना आवश्यक समझा गया। तारपीडो नलियों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ती गई और द्वितीय विश्वयुद्ध के समय तक दो माउटिंग (mounting) पर आठ नलिकाआें के रहने का मानवीकरण हुआ।
आक्रमक अस्रों में हवाई जहाज का प्रवेश होते ही देखा गया कि हवाई आक्रमणों से बचाव के लिए ध्वंसक पर हवामार तोप का रहना आवश्यक है। प्रारंभ में ध्वंसक पर सामान्य मशीनगन स्थापित की गई थी, पर ऐसी छोटी तोपों में संहारशक्ति नहीं होती थी, अत: बाद में उभय प्रयोजन की तोप स्थापित की गई। पनडुब्बी का विकास होने पर विनाशक पर एक काम और आ पड़ा। वह था, पनडुब्बियों का पता लगाना और उनका विनाश करना। इसके परिणामस्वरूप ध्वंसक पनडुब्बीमार अस्त्र भी ढोने लगे। इससे ध्वंसक का आकार और विस्तार बढ़ जाना स्वाभाविक था। प्रथम विश्वयुद्ध के पूर्व जहाँ विनाशक केवल ३०० दिन टन विस्थापन के होते थे वहाँ आज २,००० टन से अधिक विस्थापन के विनाशक बनने लगे हैं।
विनाशकों की विशेषताएँ
[संपादित करें]पिछली कुछ दशाब्दियों में विनाशकों में अनेक आमूल सुधार हुए हैं, लेकिन इसकी आधारभूत विशेषताओें, जैसे तेज गति और युद्धाभ्यासक्षमता में (जो सदा ही इनकी विशेषता रही है) अंतर नहीं हुआ है। तेज गति के अभाव में बड़े बड़े जहाजों पर आक्रमण करते समय विनाशकों के बच निकलने की संभावना कम रह जाती है। समुद्र में रक्षित रहने (sea keeping) इनकी आश्चर्यजनक क्षमता इनके सुवाही आकार (stream lined shape) और अभिकल्प के कारण है।
अत्रशस्त्र
[संपादित करें]ध्वंसक में जो अस्त्र-शस्त्र रहते हैं वे तीन श्रेणियों में विभक्त किए जा सकते हैं :
1. जहाजों पर आक्रमण करने के लिए तारपीडो,
2. पनडुब्बी पर आक्रमण के लिए अस्र शस्र,
3. वायुयान और छोटी-मोटी स्थल सेनाओं से लड़ने के लिए उभयप्रयोजनीय तोपें।
तारपीडो
[संपादित करें]यों तो विनाशक का निर्माण ही बड़े जहाजों पर तारपीडो से आक्रमण करने के लिए होता है, तथापि आधुनिक नौसेनायुद्ध में तारपीडो आक्रमण के अवसर कम होने के कारण तारपीडो का महत्व धीरे-धीरे घट रहा है। किंतु ऐसा नहीं कहा जा सकता कि तारपीडो आक्रमण के दिन अब लद चले। पीछा करनेवाले (running) और लौटनेवाले (homing) तारपीडो के आगमन से जहाजवाहित तारपीडो के दिन फिर लौट सकते हैं।
पनडुब्बीनाशक अस्र-शस्र
[संपादित करें]कुछ लोगों के कथनानुसार पनडुब्बी का इतना विकास हो चुका है कि विनाशक द्वारा उसे नष्ट नहीं किया जा सकता। यद्यपि कुछ सीमा तक यह कथन सत्य है फिर भी निकट परीक्षण से प्रकट होता है कि आज भी विनाशक पनडुब्बी को मारने में सामर्थ है। पिछले महायुद्ध में विनाशकों ने ३०० पनडुब्बियाँ समुद्र में डुबा दी थीं। अब तो सुदूरस्थ लक्ष्वेधी अस्त्रों और सुधरी हुई स्वनान्वेष (sonar) युक्तियाँ उपलब्ध हैं, जिनसे विनाशकों की शक्यता बहुत बढ़ गई है। ड्रोन हेलीकॉप्टर (drone helicopter) और रॉकेट युक्त पनडुब्बीमार तारपीडो के कारण पनडुब्बियों को खोजकर नष्ट करने की क्षमता विनाशकों में बहुत बढ़ गई है।
तोप
[संपादित करें]समुद्री जहाजों के लिए हवाई आक्रमणों का संकट बढ़ जाने से उसके निराकरणार्थ हवामारों की शक्यता बढ़ाना स्वभाविक था। किंतु राडार नियंत्रित और तत्क्षण प्रहार करनेवाली तोपें भी पराध्वनिक (supersonic) आघाती वायुयानों से रक्षा नहीं कर सकतीं। तोप के स्थान पर नियंत्रित मिसाइल (guided missiles) का प्रयोग होने पर, जैसा अंत में होगा, ध्वंसक पहले के समान ही प्रबल हो जाएँगे।
ध्वंसकों के कार्य
[संपादित करें]ध्वंसक जहाजी बेड़े के सर्वाधिक विश्वसनीय अंग हैं। पिछले महायुद्ध में ध्वंसकों ने सब प्रकार का कार्य किया था। इन्होंने कृतिक दलों को छिपाय, काफिलों को अनुरक्षित ले गए, प्रारंभिक सर्वेक्षण दलों का परिवहन किया, जलस्थलीय घाट (amphibious landing) को छिपा रखा, युद्ध में हताहत लोगों को बचाया और डाक वितरण किया। साथ ही लगभग ३०० पनडुब्बियों को भी डुबाया। ये जल के तल पर बहुत निकट स्थित युद्धपोतों से लेकर क्रूज़रों, ध्वंसकों और पेट्रोल जलयानों से जूझे।
ध्वंसकों का भविष्य उज्ज्वल मालूम होता है। भविष्य में ये वाहक कृतिक सेन (task forces) के अत्यावश्यक अंग होंगे। ये कृतिक सेना के परिचयन परास को पर्याप्त बढ़ाकर तथा वाहक हवाई गशत का नियंत्रण करके हवाई प्रतिरक्षा को सुदृढ़ करेगे। तेज जहजों को पनडुब्बी से ध्वंसक ही बचा सकता है। उत्तम पनडुब्बीमार अस्रों से लैस ध्वंसक खोजने मारने की कार्रवाई में बेजोड़ होंगे। ध्वंसक आज भी सार्थ अनुरक्षण कार्य में अत्यधिक उपयोगी जहाज सिद्ध हुअ है।
भावी ध्वंसक
[संपादित करें]भावी ध्वंसक कैसे होंगे, इसकी परिकल्पना ही की जा सकती है, पर आधुनिक झुकाव को ध्यान में रखते हुए यह परिकल्पना बहुत कुछ यथार्थ होगी। भावी ध्वंसक प्राय: निश्चित रूप से न्यूक्लीय शाक्ति संचालित होगा, क्योंकि न्यूक्लीय शक्ति (nuclear power) ही एकमात्र साधन होगी, जिससे ध्वंसक की सहनशीलता बढ़ाई जा सकती है। भविष्य में ध्वंसक की सहनशीलता महत्व का कार्य करेगी, इसमें कोई संदेह नहीं, क्योंकि कृतिक सेना को हफ्तों तक समुद्र में रहना पड़ सकता है। ध्वंसक की चाल भी बढ़ाना आवश्यक होगा। भावी ध्वंसक सरलता से ५० नॉट की चाल से चल सकेगा। तारपीडो अस्त्र-शस्त्रों को कम करना आवश्यक होगा। पर ध्वंसक में पनडुब्बीमार तारपीडो रह सकते हैं। इनमें रॉकेट लगा होगा, तारपीडो में लगी लौटनेवाली सक्रिय युक्तियाँ ऐसी होंगी कि उन्हें श्घ्रीाता से नलों में भरा जा सके। तोपों को पूर्णतया हटा देना पड़ेगा और उनके स्थान पर तल-से-तल वाले नियंत्रित मिसाइल लगे रहेंगे। ध्वंसकों पर ड्रोन हेलिकॉप्टर भी रहेंगे। सारांशत: नवीनतम किस्म के पनडुब्बीमार अस्त्रों, आधुनिकतम किस्म की खोज करनेवाली युक्तियों और नियंत्रित मिसाइल की बैटरियों से युक्त ध्वंसकों का कार्य भावी युद्ध में बहुत ही महत्वपूर्ण होगा।
इन्हें भी देखें
बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- The Japanese 1887 Kotaka (Japanese)[मृत कड़ियाँ]
- The Spanish 1886 Destructor (Spanish)
- MaritimeQuest Minekaze Class Destroyer Class Overview
- USS Joseph P. Kennedy Photos on board the Destroyer Joseph P. Kennedy DD-780 in Fall River, MA
- USS Slater Photos on board the Destroyer Escort USS Slater DE-766 Museum in Albany, NY