वार्ता:खाटूश्यामजी
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मेरे बाबा को झूठ से नफ़रत है आज कहीं झूठा ना हो जाए मेरे बाबा हर वचन करते हैं पूरा कही वचन अधूरा ना रह जाए। जग से हारा हूं बाबा तन से भी हार गया हूं हारे सारे नाते रिश्ते मन से भी हार गया हूं हारे सब देव देवियां ओर भगवन अब कहीं हारे के सहारे तू ना हार जाए। अब बाबा जीने की चाहत खत्म होने लगी है अब रिश्ते नाते तन मन धन सबसे नफ़रत होने लगी है अब तक अटूट श्रद्धा प्रेम है तुझसे लाज रख सांवरे कही नास्तिक ना हो जाए।