लीबिया का एचआईवी मुकदमा

लीबिया का एचआईवी मुकदमा (या बुल्गारियाई नर्सों का मामला) उन मुकदमों, अपीलों और अंतत: छ: चिकित्साकर्मियों की रिहाई से सम्बंधित है जिन पर यह आरोप था कि उन्होंने एक षड्यंत्र के अंतर्गत १९९८ में ४०० बच्चों को एचआईवी से प्रभावित करने का प्रयास किया था, जिससे यह महामारी अल-फ़तह बाल अस्पताल में फैली जो बेनगाज़ी, लीबिया में स्थित है। [1] प्रभावित होने वाले ५६ बच्चे अगस्त २००७ तक मर चुके थे।[2]
अभियुक्तों को १९९९ में गिरफ़्तार किया गया था। उनमें एक फ़िलस्तीन चिकित्सा इंटर्न और पाँच बुल्गारियाई नर्स शामिल बताए गए थे, जिन्हें अधिकांश रूप से "मेडिक्स" कहा जा रहा था।[3] उन्हें सर्व प्रथम मौत की सज़ा सुनाई गई, फिर उनके मुकदमे को लीबिया के सर्वोच्च न्यायालय के हवाले किया गया, जहाँ फिर से उनके मृत्युदंड की घोषणा हुई, जिसे इस न्यायालय द्वारा जुलाई २००७ के प्रारंभ में समर्थित किया गया था। इसके पश्चात इन छ: लोगों की सज़ा को लीबियाई सरकारी पैनल द्वारा आजीवन कारावास में बदल दिया गया।[4] इन छ: लोगों को यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों के साथ हुए एक समझौते के अंतरगत मानवतावादी आधारों पर रिहा किया गया — यूरोपीय संघ ने दोषी घोषित किए जाने वाले न्यायिक निर्णय को कभी खारिज नहीं किया। [5] २४ जुलाई २००७ को पाँच चिकित्साकर्मियों और डॉक्टर को प्रत्यर्पण के रूप में बुल्गारिया भेजा गया जहाँ वहाँ के राष्ट्रपति ग्योर्गी पर्वानोव ने उन्हें दंड-मुक्त किया और उन्हें छोड़ दिया गया। इसके अतिरिक्त रिहाई से जुड़ा एक विवाद छिड़ गया था जिसमें कथित रूप से शस्त्र की बिकरी और नागरिक परमाणु सहयोग समझौते पर फ़्राँस के राष्ट्रपति निकोलास सरकोज़ी ने जुलाई २००७ में हस्ताक्षर कर दिए थे। बुल्गारिया और फ़्राँस के राष्ट्रपतियों ने इस बात को खारिज कर दिया कि इन दो समझौतों का इन छ: व्यक्तियों की रिहाई से कुछ लेना-देना था। हालाँकि इस बात को कथित रूप से कई स्रोतों से कहा गया था, जिनमें सैफ़ अल-इस्लाम गद्दाफ़ी भी थे जो भूतपूर्व लीबियाई नेता मुअम्मर गद्दाफी के पुत्र थे। [उद्धरण चाहिए]
अल-फ़तह की इस महामारी और इससे जुड़े मुकदमे को राजनीतिक रंग दिया गया और विवादास्पद रहा। चिकित्साकर्मियों ने कहा कि उन्होंने यातनाओं के चलते अपना गुनाह स्वीकार किया और वे निर्दोष थे। सैफ़ अल-इस्लाम गद्दाफ़ी ने बाद में पुष्टि की कि लीबियाई जाँचकर्ताओं ने चिकित्साकर्मियों को बिजली के झटकों के प्रयोग से यातनाएँ दी थी और यह भी धमकी दी थी कि कबूल करवाने के लिए वे लोग आरोपियों के परिवारजनों को भी निशाना बना सकते हैं। सैफ़ ने यह भी माना कि कुछ बच्चे इन चिकित्साकर्मियों के लीबिया आने से पूर्व भी एचआईवी से प्रभावित थे। [6] उनके अनुसार लीबियाई न्यायालय का दोषी घोषित किए जाने वाला निर्णय "विवादित रिपोर्टों" पर आधारित है, और कहा: "वहाँ लापरवाही और त्रासदी सामने आई है, पर वह जानबूझकर नहीं थी।"
विश्व के कई प्रसिद्ध एचआईवी विशेषज्ञों ने न्यायालयों और लीबियाई सरकार को लिखकर अभियोग पक्ष की ओर से सूचित किया है कि महामारी का कारण अस्पताल की खराब स्वास्थ्य सेवा है।[4] इस महामारी की विशेषता यह है कि किसी भी अस्पताल के इतिहास में सर्वाधिक एचआईवी फैलने वाला मामला है, और यह पहली बार है कि एचआईवी/ एड्स पर लीबिया में सार्वजनिक चर्चा हुई। विश्व के दो सर्वश्रेष्ठ एचआईवी विशेषज्ञ लुक मॉन्टैगनियर और विट्टोरियो कोलिज़्ज़ी ने चिकित्साकर्मियों के पक्ष का समर्थन किया।[7][8] उनकी दोषसिद्धि पर प्रतिक्रिया तुरन्त थी, जिसके साथ कई वैज्ञानिक तथा मानवाधिकार संगठनों की याचिकाएँ, न्यायिक निर्णय के कई आधिकारिक खंडन और कूटनीतिक प्रयास प्रारंभ हुए थे।[उद्धरण चाहिए]
बुल्गारियाई चिकित्साकर्मियों में से तीन ने मुकदमे से जुड़ी अपनी आत्मकथाओं को प्रकाशित किया है:
चिकित्साकर्मी का नाम (बुल्गारियाई भाषा/ लातीनी लिपि और देवनागरी में) | आत्मकथा का शीर्षक |
---|---|
Kristiyana Vulcheva (क्रिस्तियाना वुलचेवा) | Eight and a Half Years Hostage of Gaddafi[9] |
Snezhana Dimitrova (स्नेज़ाना दिमित्रोवा) | In Gaddafi's Cage [10] |
Valya Cherveniashka (वल्या चेरवेन्याश्का) और Nikolay Yordanov (निकोले यॉरदानोव) | Notes from Hell (नर्क से सूचनाएँ)[11] |
लीबिया की अल फ़तह महामारी और आरोप
[संपादित करें]इस महामारी की विशेषता यह है कि किसी भी अस्पताल के इतिहास में लापरवाही के कारण सर्वाधिक एचआईवी फैलने वाला मामला है, और यह पहली बार है कि एचआईवी/ एड्स पर लीबिया में सार्वजनिक चर्चा हुई।[12] लीबियाई जनता उत्तेजित हो गई थी और कई विदेशी चिकित्साकर्मियों को गिरफ़्तार किया गया था; छ: पर अंतत: आरोप लगाए गए। लीबियाई नेता मुअम्मर अल-गद्दाफ़ी ने प्रारंभ में सी आइ ए या मोसाद पर लीबियाई बच्चों पर जान-लेवा तजरुबा करने का आरोप लगाया।[13]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Kovac, Carl; Khandjiev, Radko (3 February 2001). "Doctors face murder charges in Libya". British Medical Journal. 322 (7281): 260. doi:10.1136/bmj.322.7281.260/b. ISSN 0959-8138. PMC 1119524. PMID 11157524.
- ↑ "Gaddafi admits Bulgarian nurses were tortured". The Telegraph (in ब्रिटिश अंग्रेज़ी). Telegraph Media Group Limited. 2007-08-09. ISSN 0307-1235. Archived from the original on 20 अगस्त 2018. Retrieved 2017-09-23.
- ↑ Human Rights Watch (9 May 2005). Photos of the Bulgarian health workers. प्रेस रिलीज़. http://hrw.org/photos/2005/libya1105/. अभिगमन तिथि: 19 अगस्त 2018.
- ↑ अ आ "Libya commutes medics' death sentence to life in prison". न्यू साइंटिस्ट. ए एफ़ पी. 7 जुलाई 2007. Archived from the original on 19 अगस्त 2007. Retrieved 7 जुलाई 2007.
- ↑ "HIV medics released to Bulgaria". बीबीसी न्यूज़. 24 जुलाई 2007. Archived from the original on 8 अगस्त 2007. Retrieved 24 जुलाई 2007.
- ↑ "Libya 'tortured' Bulgarian medics". BBC News. 9 अगस्त 2007. Archived from the original on 18 दिसम्बर 2007. Retrieved 9 अगस्त 2007.
- ↑ Rosenthal, Elisabeth (12 जुलाई 2007). "Libya Upholds Death Sentence in H.I.V. Case". न्यू यॉर्क टाइम्ज़. Archived from the original on 20 अगस्त 2018. Retrieved 20 अगस्त 2018.
- ↑ Butler, Declan (21 सितम्बर 2006). "Lawyers call for science to clear AIDS nurses in Libya". Nature. 443 (254). doi:10.1038/443254b. Archived from the original on 19 मार्च 2017. Retrieved 20 अगस्त 2018.
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(help) - ↑ "Bulgarian nurse details life as Gaddafi's hostage". अल अरबिया न्यूज़. 12 नवम्बर 2007. Archived from the original on 20 अगस्त 2018. Retrieved 20 अगस्त 2018.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 1 अगस्त 2020. Retrieved 23 दिसंबर 2021.
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(help) - ↑ "संग्रहीत प्रति". Archived from the original on 20 अगस्त 2018. Retrieved 20 अगस्त 2018.
- ↑ Luc Perrin; Sabine Yerly, Rafael Quadri, Francesco Negro, Klara Posfay Barbe, Jean-Jacques Cheseaux, Philippe Burgisser, Claire-Anne Siegrist (10 जुलाई 2001). "Nosocomial Outbreak of Multiple Bloodborne Viral Infections" (PDF). दि जर्नल ऑफ़ इन्फ़ेक्शस डिज़ीज़ज़्. 184 (3): 369–72. doi:10.1086/322036. PMID 11443566. Archived from the original (PDF) on 6 फ़रवरी 2014.
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: CS1 maint: multiple names: authors list (link) - ↑ Charles, Bremner (20 दिसम्बर 2006). "Gaddafi faces outrage as nurses on mercy mission are sentenced to die". London: टाइम्स ऑनलाइन. Archived from the original on 16 मई 2009. Retrieved 20 अगस्त 2018.