राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन
| चित्र:National Mission for Manuscript.png | |
| स्थापना | 7 फ़रवरी 2003[1] |
|---|---|
| मुख्यालय | 11, Mansingh Road, नई दिल्ली - 110001 |
पैतृक संगठन |
Ministry of Culture, Government of India |
| जालस्थल | Official Website |
राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन (National Mission for Manuscripts, NAMAMI / नमामि) की स्थापना भारत सरकार के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्रालय ने सन २००३ के फरवरी माह में की। इसका उद्देश्य भारत की विशाल पाण्डुलिपि सम्पदा को खोजना एवं उसको संरक्षित करना है। इस मिशन को 2024-31 की अवधि के लिए केन्द्रीय क्षेत्र की योजना के रूप में 'ज्ञान भारतम् मिशन' नाम से पुनर्गठित किया गया है।
- मिशन के प्रमुख उद्देश्य[2]
- सर्वेक्षण और दस्तावेजीकरण : भारत की पाण्डुलिपि संपदा का व्यापक रिकॉर्ड बनाए रखने के लिए राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण और पाण्डुलिपियों का पंजीकरण करना।
- संरक्षण एवं परिरक्षण : भारत में विभिन्न संग्रहों में पांडुलिपियों का वैज्ञानिक संरक्षण एवं निवारक परिरक्षण।
- डिजिटलीकरण : व्यापक पहुंच के लिए राष्ट्रीय डिजिटल पांडुलिपि पुस्तकालय बनाने हेतु पांडुलिपियों का बड़े पैमाने पर डिजिटलीकरण।
- प्रकाशन और अनुसंधान : विद्वत्तापूर्ण अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए दुर्लभ और अप्रकाशित पांडुलिपियों का संपादन, अनुवाद और प्रकाशन।
- क्षमता निर्माण: विशेषज्ञता निर्माण के लिए पांडुलिपि विज्ञान, पुराविज्ञान और संरक्षण में प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करना।
- सामाजिक सम्पर्क (आउटरीच) और जागरूकता : पांडुलिपि विरासत के बारे में सार्वजनिक जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रदर्शनियों, सेमिनारों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करना।
- संस्थाओं के साथ सहयोग : पाण्डुलिपि अनुसंधान और संरक्षण प्रयासों के लिए भारत में शैक्षणिक संस्थाओं और उद्योग जगत के अग्रणी लोगों के साथ सहयोग करना।
ऐसा अनुमान है कि भारत में लगभग ५० लाख पांडुलिपियाँ हैं जो सम्भवतः विश्व में सबसे बड़ी पांडुलिपियों की संख्या है। सब मिलाकर ये पांडुलिपियाँ ही भारत के इतिहास, एवं चिन्तन की स्मृति हैं। ये पाण्डुलिपियाँ विभिन्न भाषाओं, लिपियों एवं विषयों की हैं। ये भारत के अन्दर और भारत के बाहर, सरकारी संस्थाओं या निजी हाथों में हैं। नमामि इन सबका पता लगाने, इनको सुरक्षित रखने, इनका दस्तावेज बनाने और इनको जनता के लिये सुलभ बनाने के उद्देश्य से स्थापित की गयी है ताकि भारत के भूत (past) को इसके वर्तमान एवं भविष्य से जोड़ा जा सके।
अवलोकन
[संपादित करें]संगठन अनुसंधान और प्रकाशन के माध्यम से पहुंच और छात्रवृत्ति को बढ़ावा देने के लिए भारतीय पांडुलिपियों की बहाली और संरक्षण के क्षेत्र में काम करता है। इसने संस्थानों और पांडुलिपि रिपॉजिटरी का एक राष्ट्रीय नेटवर्क भी स्थापित किया है, जिसमें पांडुलिपि संसाधन केंद्र (MRC-s), पांडुलिपि संरक्षण केंद्र (MCC-s), पांडुलिपि साथी केंद्र (MPC-s) और पांडुलिपि संरक्षण केंद्र (MCPC-s) शामिल हैं। देश भर में फैल गया। इसने अपनी वेबसाइट पर डिजिटल संग्रह, पांडुलिपियों के राष्ट्रीय डेटाबेस क्रिटिसम्पदा की भी स्थापना की है ।
मिशन भी एक मिला ऋग्वेद पांडुलिपियों में संरक्षित भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट , पुणे , जहां यह एक 'पांडुलिपियां संसाधन और संरक्षण केंद्र' चलाता है, में शामिल यूनेस्को 'एस, विश्व की स्मृति में 2007 रजिस्टर में अक्टूबर 2010, सयाजी राव गायकवाड़ लाइब्रेरी (सेंट्रल लाइब्रेरी), बीएचयू मिशन के सहयोग से, पुस्तकालय में पांडुलिपि संरक्षण पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की गई।
पांडुलिपि संरक्षण केंद्र (MCC)
[संपादित करें]मिशन भारत भर में 32 संरक्षण इकाइयों का एक नेटवर्क चलाता है, जिसे पांडुलिपि संरक्षण केंद्र (MCC) के रूप में जाना जाता है, जो भौगोलिक क्षेत्रों के अनुसार विभाजित है।
उत्तरी
[संपादित करें]- केंद्रीय बौद्ध अध्ययन संस्थान, लेह
- इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (IGNCA), नई दिल्ली
- भाषा और संस्कृति विभाग, शिमला
- हिमालयन सोसाइटी फॉर हेरिटेज एंड आर्ट कंजर्वेशन, नैनीताल
- वृंदावन शोध संस्थान, वृंदावन
- रामपुर रज़ा लाइब्रेरी , रामपुर
- नागार्जुन बौद्ध फाउंडेशन, गोरखपुर
- भारतीय संरक्षण संस्थान, लखनऊ
- विश्वेश्वरानंद बिस्वबंधु इंस्टीट्यूट ऑफ संस्कृत एंड इंडोलॉजिकल स्टडीज, होशियारपुर
- केंद्रीय पुस्तकालय , बनारस हिंदू विश्वविद्यालय , बनारस
दक्षिण
[संपादित करें]- ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट , श्री वेंकटेश्वर विश्वविद्यालय , तिरुपति
- सालार जंग संग्रहालय , हैदराबाद, तेलंगाना
- INTACH चित्रकला परिषद कला संरक्षण केंद्र, बैंगलोर , कर्नाटक
- तमिलनाडु सरकार संग्रहालय , चेन्नई , तमिलनाडु
- कर्नाटक राज्य अभिलेखागार, बैंगलोर, कर्नाटक
- तंजौर महाराजा सेरफ़ोजी का सरस्वती महल पुस्तकालय , तंजावुर , तमिलनाडु
- हेरिटेज स्टडीज़ हिल पैलेस संग्रहालय , थ्रिपुनिथुरा , केरल का केंद्र
- क्षेत्रीय संरक्षण प्रयोगशाला, तिरुवनंतपुरम , केरल
- राज्य अभिलेखागार और अनुसंधान संस्थान, हैदराबाद, तेलंगाना
पूर्व
[संपादित करें]- सरस्वती, भद्रक
- खुदा बख्श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी , पटना
- श्री देव कुमार जैन प्राच्य शोध संस्थान, अर्रा
- पांडुलिपि पुस्तकालय, कलकत्ता विश्वविद्यालय , कोलकाता, पश्चिम बंगाल
- INTACH उड़ीसा कला संरक्षण केंद्र, भुवनेश्वर , ओडिशा
- AITIHYA, भुवनेश्वर, ओडिशा
- संबलपुर विश्वविद्यालय , बुर्ला, ओडिशा
- कृष्णा कांता हँडिकि पुस्तकालय, गौहाटी विश्वविद्यालय , गुवाहाटी , असम
- मणिपुर राज्य अभिलेखागार, इंफाल , मणिपुर
- तवांग मठ , तवांग , अरुणाचल प्रदेश
पश्चिम
[संपादित करें]- राजस्थान ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट , जोधपुर
- महावीर दिगंबर जैन पांडुलिपि समरक्षण केंद्र, जयपुर , राजस्थान
- लालभाई दलपतभाई इंस्टीट्यूट ऑफ इंडोलॉजी , अहमदाबाद , गुजरात
- भंडारकर ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट (BORI), पुणे, महाराष्ट्र
केंद्रीय
[संपादित करें]- सिंधिया ओरिएंटल रिसर्च इंस्टीट्यूट (SORI), उज्जैन
पांडुलिपि अध्ययन
[संपादित करें]- बेसिक लेवल कोर्स ऑन मैनुस्क्रिप्टोलॉजी एंड पेलियोग्राफी
- पांडुलिपि और पेलियोग्राफी पर उन्नत स्तर की कार्यशाला
- अनुसंधान फैलोशिप (गुरुकुल फैलोशिप)
ज्ञान भारतम् मिशन
[संपादित करें]भारत के 2025-26 के केंद्रीय बजट में ज्ञान भारतम् मिशन की शुरुआत की गई है , जिसका उद्देश्य भारत की विशाल पांडुलिपि विरासत का सर्वेक्षण, दस्तावेजीकरण और संरक्षण करना है। इस पहल का उद्देश्य शैक्षणिक संस्थानों, संग्रहालयों, पुस्तकालयों और निजी संग्रहों में रखी एक करोड़ से अधिक पांडुलिपियों का संरक्षण करना है। इस नई पहल को समायोजित करने के लिए, राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन के लिए बजट आवंटन 3.5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 60 करोड़ रुपये कर दिया गया है।[3][4][5]
'ज्ञान भारतम' मिशन (2025) के तहत कार्य विस्तार के लिए सरकार ने 17 संस्थानों के साथ समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए। इस मिशन का विजन है- भारत की विशाल पांडुलिपि विरासत को संरक्षित करना, डिजिटाइज़ करना और प्रसारित करना। साथ ही, भविष्य की पीढ़ियों के लिए इसकी सभ्यतागत ज्ञान परंपराओं को पुनर्जीवित करना। संस्कृति मंत्रालय इसका इसका नोडल मंत्रालय है।
- मुख्य उद्देश्य
(१) देश भर में 1 करोड़ से अधिक पांडुलिपियों को डिजिटाइज़ और सूचीबद्ध करना।
(२) पांडुलिपियों का एक राष्ट्रीय डिजिटल भंडार स्थापित करना।
(३) स्मार्ट पहुंच, प्रतिलेखन और मूल स्रोत, स्थान आदि के लिए AI, OCR (ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन), और ब्लॉकचेन तकनीकों का एकीकरण करना।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन का जालस्थल
- ज्ञानभारतम् का जालस्थल
- Kritisampada, the National Database of Manuscripts
- कृतिरक्षा (राष्ट्रीय पाण्डुलिपि मिशन की पत्रिका)
- Manuscript mission: Tibetan beats all but three Indian languages (July 2016)
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Prime Minister launches National Manuscripts Mission Archived 17 जून 2011 at the वेबैक मशीन ', 2003 Vol. I (January - February).
- ↑ राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन : भारत की समृद्ध ग्रन्थ-रचना की परंपरा को बनाए रखने के लिए डिजिटलीकरण का विस्तार और सार्वजनिक पहुंच बढ़ाने की पहल
- ↑ ज्ञान भारतम् मिशन
- ↑ भारत की दृष्टि हैं प्राचीन पांडुलिपियां, राष्ट्र की जीवन स्मृति और उसकी सभ्यता के पहचान की नींव
- ↑ “ज्ञान भारतम्” भारत की पांडुलिपि धरोहर को एक जीवन्त विरासत के रूप में पुनर्जीवित करेगा