राधेलाल हरदेव रिछारिया

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डॉ राधेलाल हरदेव रिछारिया (१९०९ - १९९६) छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक थे। वे केन्द्रीय चावल अनुसंधान संस्थान, कटक (CRRI) के निदेशक (१९५९ में) भी रहे।

वे भारत में धान पर अग्रणी विशेषज्ञों में से एक थे। उन्‍होने अपने कैरियर के दौरान एक चावल की 19,000 प्रजातियाँ एकत्र की थी। उनका अनुमान था कि भारत में चावल की 200,000 प्रजातियाँ होंगी। उन्होने जीवन भर छोटे किसानों को बड़े व्यापारिक कम्पनियों से बचाने एवं उनकी विरासत को बचाने के लिये कार्य किया।

परिचय[संपादित करें]

डॉ॰ रिछारिया ने छत्तीसगढ़ में वर्ष 1971 से 1978 तक धान पर व्यापक अनुसंधान किया था। इस अवधि में डॉ॰ रिछारिया मध्यप्रदेश सरकार के कृषि सलाहकार के रूप में एवं वर्ष 1975 से 1978 तक मध्यप्रदेश धान अनुसंधान केंद्र, रायपुर के निदेशक भी रहे। इस दौरान उन्होंने छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश के धान उत्पादक किसानों से धान के 18 हजार से अधिक जननद्रव्यों का संकलन किया। डा. रिछारिया द्वारा संकलित धान के जननद्रव्यों (germplasm) का उपयोग कर इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर ने धान की अब तक लगभग 75 किस्मों का विकास कर लिया है।

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