म्लेच्छ
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म्लेच्छ प्राचीन भारत में दूसरे देशों से आये हुए लोगों को कहते थे जो ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, और शूद्र से इतर थे। शुक्रनीतिसार में शुक्राचार्य का कथन है-
- त्यक्तस्वधर्माचरणा निर्घृणा: परपीडका: ।
- चण्डाश्चहिंसका नित्यं म्लेच्छास्ते ह्यविवेकिन: ॥ ४४ ॥
- (अर्थ : जिन्होंने अपने धर्म का आचरण करना छोड़ दिया हो, जो निर्घृण हैं, दूसरों को कष्ट पहुँचाते हैं, क्रोध करते हैं, नित्य हिंसा करते हैं, अविवेकी हैं - वे म्लेच्छ हैं।)
सन्दर्भ[संपादित करें]
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