मातादीन वाल्मीकि
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मातादीन वाल्मीकि | |
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जन्म | मेरठ, कंपनी राज |
मौत | कंपनी राज |
पेशा | ईस्ट इण्डिया कम्पनी |
प्रसिद्धि का कारण | भारतीय स्वतंत्रता सैनानी[1] |
मातादीन वाल्मीकि भारत के स्वतंत्रता सैनानी थे जिन्होंने 1857 के भारतीय विद्रोह में भाग लिया।[2][3][4] वो ब्रितानी ईस्ट इण्डिया कम्पनी की एक इकाई में कारतूस निर्माण का कार्य करने वाले मजदूर थे।[5] वो उन शुरुआती लोगों में से थे जिन्होंने '1857 की क्रांति' के विद्रोह का बीज बोया।[6][7]
इतिहास
[संपादित करें]यह १८५७ की लड़ाई में मास्टरमाइंड थे सबसे पहले फांसी भी इनको ही दी गई और चारशीत भी सबसे पहले इनकी ही दाखिल हुई।[उद्धरण चाहिए]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ नारायण, बद्री (2006-11-14). Women Heroes and Dalit Assertion in North India: Culture, Identity and Politics (अंग्रेज़ी में). सेग पब्लिकेशन्स. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-0-7619-3537-7.
- ↑ "UNWRITING HISTORY". www.telegraphindia.com. अभिगमन तिथि 2020-08-05.
- ↑ "Dalits took part in 1857 revolt: Study". Rediff (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-08-05.
- ↑ "A good time to mourn?". DNA India (अंग्रेज़ी में). 2007-09-30. अभिगमन तिथि 2020-08-05.
- ↑ Kumar, Darshna (2019-05-10). "Back In Time: 162 Years Ago Today, India Took Its First Step Towards Independence With The Sepoy Mutiny". ED Times | The Youth Blog (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2020-08-05.
- ↑ Bates, Crispin (2013-10-30). Mutiny at the Margins: New Perspectives on the Indian Uprising of 1857: Volume V: Muslim, Dalit and Subaltern Narratives (अंग्रेज़ी में). SAGE Publishing India. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-321-1902-9.
- ↑ Naimiśarāya, Mohanadāsa (2010). Dalit Freedom Fighters (अंग्रेज़ी में). Gyan Publishing House. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-212-1020-1.