मागे पर्ब

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मागे पर्व या मागे परब या माघ परब; झारखण्ड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के हो, मुण्डा और भूमिज आदिवासी समुदाय का एक पारंपरिक पर्व है। यह त्यौहार माघ महीने की शुरुआत यानी जनवरी-फरवरी में मनाया जाता है, जो आदि धर्म व संस्कृति एंव मानव उत्पत्ति यानी सृष्टि रचना पर्व है। त्योहार के उत्सव के लिए कोई निश्चित तिथि निर्धारित नहीं की जाती है क्योंकि विभिन्न गाँव अलग-अलग तिथियों पर त्योहार मनाते हैं। "मागे" शब्द का अर्थ माता होता है।[1]

इस त्योहार आठ दिनों मे सम्पन्न किया जाता हैं: 1) अनादेर पर्व, 2) लोयो-गुरि, 3) ओते इलि, 4) गौ महरा , 5) हेःसकम 6) मरंग पोरोब, 7) बसि (जतरा) और 8) हर मगेया। किसी-किसी गांव मे टुउमुटू पर्व भी मनाया जाता है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "गूंजने लगे लोकगीत, मागे के रंग में रंगा हो समाज". दैनिक जागरण. जमशेदपुर. 13 फरवरी 2016. मूल से 22 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 अगस्त 2016.