मन-शरीर समस्या

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रेने देकार्त का मन-शरीर द्वैतवाद का चित्रण। देकार्त का मानना था कि इनपुट संवेदी इंद्रियों द्वारा मस्तिष्क में अधिप्रवर्ध (एपिफेसिस) तक और वहां से अभौतिक आत्मा तक पहुंचाए जाते थे।

मन-शरीर की समस्या (mind-body problem) मानव मन में विचार और चेतना, तथा शरीर के बीच संबंध विषयक एक दार्शनिक समस्या है। [1] [2]

मुद्दा ये है. हालाँकि यह स्पष्ट है कि मानसिक घटनाएँ और शारीरिक घटनाएँ किसी तरह संबंधित हैं, यह स्पष्ट नहीं है कि इस संबंध की प्रकृति व इसका स्वभाव क्या है। उदाहरण के लिए, यह स्पष्ट है कि उदासी की भावनाएँ (जो मानसिक घटनाएँ हैं) लोगों को रोने पर मजबूर कर देंगी (जो कि शरीर की एक भौतिक स्थिति है), या कि किसी चुटकुले को मज़ेदार समझना (एक मानसिक घटना) किसी को हँसने पर मजबूर कर देगी (दूसरी शारीरिक स्थिति), या कि दर्द की भावनाएँ (मन में) परिहार व्यवहार का कारण बनेंगी (शरीर में), और इसी तरह। इसी तरह, यह सर्वविदित है कि दवाओं (जैसे एंटीसाइकोटिक्स (मनोविक्षिप्तरोधि), एसएसआरआई जैसे प्रतिअवसादक या अल्कोहल) के माध्यम से शरीर (और विशेष रूप से मस्तिष्क) की रसायनिकी को बदलने से किसी की मनःस्थिति को अतुच्छ तरीकों से अहम पैमाने पर बदला जा सकता है। या, दूसरी दिशा में, यह ज्ञात है कि संज्ञानात्मक व्यवहारपरक चिकित्सा जैसे चिकित्सीय हस्तक्षेप उन तरीकों से संज्ञान को बदल देंगे जिनका शारीरिक स्वास्थ्य पर अनुप्रवाह प्रभाव पड़ता है। ये उन असंख्य तरीकों के केवल कुछ उदाहरण हैं जिनमें मन और शरीर की स्थिति घनिष्ठ रूप से जुड़ी हुई प्रतीत होती है; किसी के दिन-प्रतिदिन के अनुभवों पर चिंतन करने से और भी कई उदाहरण मिल सकते हैं।

सामान्य तौर पर, इन मन-शरीर संबंधों का अस्तित्व असमस्यात्मक लगता है। हालाँकि, मुद्दे तब उठते हैं, जब कोई इस पर विचार करता है कि हमें इन संबंधों को तत्त्वमीमांसक या वैज्ञानिक दृष्टिकोण से वास्तव में क्या समझना चाहिए। इस तरह के विचार तुरंत कई प्रश्न खड़े करते हैं जैसे:

  • क्या मन और शरीर दो अलग-अलग इकाईयाँ हैं, या एक ही इकाई है?
  • यदि मन और शरीर दो अलग-अलग इकाईयां हैं, तो क्या वे दोनों अन्योन्यक्रिया (interact) यूँ ही करते हैं?
  • क्या इन दो अलग-अलग इकाईयों के लिए अन्योन्यक्रिया यूँ ही करना संभव है?
  • इस अन्योन्यक्रिया की प्रकृति (स्वभाव, nature of interaction) क्या है?
  • क्या यह अन्योन्यक्रिया कभी अनुभवजन्य अध्ययन का विषय हो सकती है?
  • यदि मन और शरीर एक ही इकाई हैं, तो क्या मानसिक घटनाओं को भौतिक घटनाओं के संदर्भ में समझा जा सकता है, या इसके विपर्येण?
  • क्या मानसिक और भौतिक घटनाओं के बीच संबंध कुछ ऐसा है जो विकास के एक निश्चित बिंदु पर नए सिरे (de novo) से उत्पन्न होता है?

और इसी तरह कई अन्य। ये और अन्य प्रश्न जो मन और शरीर के बीच संबंध पर चर्चा करते हैं वे सभी प्रश्न 'मन-शरीर समस्या' के बैनर तले आते हैं।

  1. "Dualism". The Stanford Encyclopedia of Philosophy. Metaphysics Research Lab, Stanford University. 2020.
  2. Georgiev, Danko D. (2020). "Quantum information theoretic approach to the mind–brain problem". Progress in Biophysics and Molecular Biology. 158: 16–32. arXiv:2012.07836. PMID 32822698. डीओआइ:10.1016/j.pbiomolbio.2020.08.002. The mind-brain problem is to explain how the unobservable conscious mind and the observable brain relate to each other: do they interact or does one unilaterally generate the other?