भूत-प्रेत का अपसारण

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सेंट फ्रांसिस ने अरेज्जो में राक्षसों का भूत-अपसारण किया; गिओटो द्वारा एक फ्रेस्को पर एक चित्रण में.

भूतापसारण (भूत-प्रेत का अपसारण या झाड़फूंक; अंग्रेजी : एक्सॉसिज़्म (प्राचीन लैटिन शब्द exorcismus, ग्रीक शब्द exorkizein – शपथ देकर बांधना) किसी ऐसे व्यक्ति अथवा स्थान से भूतों या अन्य आत्मिक तत्त्वों को निकालने की प्रथा है। जिसके बारे में विश्वास किया जाता है कि भूत ने उसे शपथ दिलाकर अपने वश में कर लिया है। यह प्रथा अत्यंत प्राचीन है तथा अनेक संस्कृतियों की मान्यताओं का अंग रही है। प्राचीन काल से माना जाता है कि इस दुनिया से परे एक और दुनिया होती है और इस दुनियाँ को मौत कि दुनिया के नाम से जाना जाता हे। जैसे हम सब को पता हे कि मौत कि दुनिया मे मृत लोगो कि आत्माएं होती है लेकिन इसके परे इस मौत कि दुनिया मे राक्षस और आध्यत्मिक संस्था का साया भी होता है। लोग जब मरते है तब उनकी आत्मा का उध्धार नहीं होता या इसके विपरीत बहुत सारी शर्ते होती है। जैसे कि अगर कोइ इन्सान एक ऐसी मौत मरा है जिसमें उसको बहुत तक्लीफ हुई हो या फिर बे मौत मारा गया हो तो इस के कारण उस इन्सान का आत्मा उस जगह पर ही रह जाती है और आसानी से उस आत्मा का उद्धर नहि होता, कोइ ऐसे स्थान भी होते हे जिधर से मृत लोगो कि आत्मा उध्दार होता हैं, यह जगह कोइ घना जंगल मे होता हे यातो फिर कोइ सुन्सान जगह में। ऐसे ही जगह से मृत दुनिया से राक्षस और आध्यात्मिक सन्स्था हमारी दुनिया मे प्रवेश करते है, और जीवित इन्सानो कि आत्मा पर शिकार करते हैं और इसी अवस्था मे झाङ-फूँक कि सन्कल्पना आती हैं। झाड़-फूँक राक्षस और आध्यात्मिक सन्स्थाओ का हटाना उत्ना का अभ्यास होता हे। झाड़-फूँक ऐसे लोग या जगह या चीज़ों पर किया जाता हे जो राक्शस या किसी आध्याथ्मिक सन्स्थाओ के अधीन होते हे। झाड़-फूँक ओझा के आध्याथ्मिक विश्वासो के आधार पर किया जाता हे। धर्म के आधार पर झाड़-फूँक के अन्य तरीके होते हे। कुछ ऐसे दर्वाज़े होते हे जो खुल्ने पर बुरे सप्ने हकीकत मे बदल जाते हे।

एशियाई संस्कृति[संपादित करें]

हिन्दुत्व[संपादित करें]

भूत-प्रेत के अपसारण की प्रथा से संबंधित धारणा और/अथवा रिवाज़ मुख्य रूप से दक्षिण के प्राचीन द्रविड़ों से जुड़े हुए हैं। चार वेदों (हिन्दुओं के पवित्र ग्रंथ) में, बताया जाता है कि अथर्ववेद में जादू-टोनों और औषधि से संबंधित रहस्य हैं। इस ग्रंथ में वर्णित अनेक अनुष्ठान भूतों और दुष्ट आत्माओं को भगाने से संबंधित हैं। ये धारणाएं, खास तौर पर पश्चिम बंगाल, उड़ीसा तथा केरल जैसे दक्षिणी राज्यों में मजबूत और प्रचलित हैं।

भूत-प्रेत के अपसारण का मुख्य साधन मंत्र और यज्ञ होते हैं जिनका प्रयोग वैदिक तथा तांत्रिक दोनों परंपराओं में किया जाता है। हिन्दि धर्म् का झाड़-फूँक इन्ड़दु धर्म मे -फूँक के विश्वास तथा प्रार्थना हिन्दु धर्म मे प्रमुख्ता से जुदा हुआ हे। झाड़-फूँक के क्शेत्र हिन्दु धर्म के अन्य धर्म ग्रन्थ मे दिया गया हे। झाड़-फूँक के बारे मे चार वेदो मे कुछ इस तरह कहा गया हे। अथर्व वेद मे जादू और कीमिया से सम्बन्धित के बारे मे रहस्य हे। हिन्दि धर्म धर्म मे मन्त्रा, यग्न जाद फून्क के बुनियाअदि सादान हे। गीता महत्या पद्मा पुराना के अनुसार जब भागवत गीता के तीस्रा, सात्वा और नौवि अध्याय पद्ने और मानसिक रूप से प्रस्ताव कर्ने पर आथ्मा उद्धार बहुत आसान हो जाता हे। पूजा पाठ कर्ना, पवित्र जल का छिड़काव, शास्त्रों और देवताओं की पवित्र तस्वीर रखना, पूजा के दौरान जलती धूप, यह सब झाड़-फूँक के लिये अछ्ची प्रथा हे।

वैष्णव परंपराएं भी नरसिंह के नामों के उच्चारण तथा जोर-जोर से बोलकर धर्मग्रंथों (खासकर भागवत पुराण) के पाठ का सहारा लेती हैं। पद्म पुराण के गीता महात्म्य के अनुसार, भगवद् गीता के तीसरे, सातवें तथा आठवें अध्याय का पाठ तथा इसका फल दिवंगत व्यक्तियों को मानसिक रूप से प्रदान करने से, उन्हें प्रेत-योनि से छुटकारा पाने में सहायता मिलती है। कीर्तन, निरंतर मंत्रोच्चार, घर में धर्मग्रंथों तथा देवी-देवताओं (शिव, विष्णु, ब्रह्मा, शक्ति इत्यादि) (खासकर नरसिंह) की पवित्र तस्वीरों की उपस्थिति, पूजा के दौरान देवता के आगे धूप-अगरबत्ती जलाना, पवित्र नदियों से लाए गए जल का छिड़काव तथा पूजा के दौरान शंखनाद अन्य प्रभावकारी रिवाज हैं।

बौद्ध धर्म[संपादित करें]

बौद्ध धर्म में भूत-प्रेत के अपसारण का अस्तित्व बौद्ध संप्रदाय पर निर्भर करता है। प्रत्येक की धारणा एक-दूसरे से भिन्न होती है, कुछ इसे रूपक के तौर पर, अथवा गुह्य एवं यहां तक कि शाब्दिक भी मानते हैं। कुछ तिब्बती बौद्ध गुह्यतंत्र को अन्य कुछ नहीं बस मस्तिष्क से नकारात्मक विचारों को निष्कासित कर इसे प्रज्ञावान मस्तिष्क में रूपांतरित करने हेतु एक रूपक प्रतीकात्मकता के रूप में मानते हैं।

कुछ बौद्ध स्वयं को नकारात्मक विचारों तथा/अथवा बुरी आत्माओं से बचाने के लिए भूत-प्रेत के अपसारण की बजाए कृपा (आशीर्वाद) में विश्वास रखते हैं। जोसफस् बलिदान बनाकर जहरीला जड़ के अर्क और अन्य लोगों को प्रशासन द्वारा प्रदर्शन जाड -फुन्क् रिपोर्ट. [14] मृत सागर स्क्रॉल झाड़ – फूंक यहूदी धर्म के (एस्सेने) शाखा द्वारा किया गया है। हाल के समय में, रब्बी येहूद फेटाय झाड़ - फूंक के साथ बड़े पैमाने पर सौदों जो किताब मिन्छट येहूद पास के लोगों के साथ अपने अनुभव और यहूदी सोचा की अन्य विषयों के लेखक, पुस्तक हिब्रू में लिखी गई है और अंग्रेजी में अनुवाद किया गया था। न्यू मैक्सिको के रब्बी गेर्शोन विंकलर एक यहूदी झाड़ - फूंक के लिए प्रक्रिया रखने बल दूर ड्राइव करने के लिए, लेकिन स्वामी और चिकित्सा के एक अधिनियम में पास दोनों की मदद करने के लिए न केवल इरादा है कि बताते हैं। यहूदी झाड़ - फूंक अनुष्ठान व्यावहारिक दासता में महारत हासिल है, जो एक रब्बी द्वारा किया जाता है। इसके अलावा वर्तमान पास व्यक्ति के चारों ओर एक चक्र में जमा हुए एक मिन्यन् (दस वयस्क पुरुषों के एक समूह), है। समूह भजन ९१ में तीन बार पाठ करता है और फिर रब्बी एक शोफर् (एक राम के सींग) चल रही है। [15]शोफर् रखने बल ढीले हिलाकर रख दिया जाएगा तो यह है कि "शरीर को चकनाचूर करने के लिए" प्रभाव में, विभिन्न नोट और तन् के साथ, एक निश्चित तरीके से उड़ा दिया है। यह ढीला हिल गया है, के बाद रबी इसके साथ संवाद करने और इसे इस तरह यह पास के शरीर रखने है क्यों के रूप में सवाल पूछने के लिए शुरू होता है। मिन्यन् इसके लिए प्रार्थना करते हैं और सुरक्षित महसूस करने के लिए सक्षम करने के क्रम में इसके लिए एक रस्म है और यह व्यक्ति के शरीर छोड़ कर सकें

ईसाई धर्म[संपादित करें]

ईसाई रिवाज़ में भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया संपन्न करने वाला व्यक्ति जिसे एक्सॉसिस्ट (ओझा) कहते हैं, प्राय: चर्च का एक सदस्य अथवा ईश्वर द्वारा विशिष्ट शक्तियों या हुनर से संपन्न व्यक्ति होता है। एक्सॉसिस्ट प्रार्थनाओं तथा तंत्र-मंत्र संकेतों, प्रतीकों, मूर्तियों, ताबीज़ों इत्यादि जैसे धार्मिक सामग्रियों का इस्तेमाल करते हैं। भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया को संपन्न करने के लिए एक्सॉसिस्ट प्राय: ईश्वर, यीशु तथा/अथवा अनेक विभिन्न देवदूतों तथा महादूतों का आह्वान करते हैं। भूत-प्रेत के अपसारण का संबंध मूल रूप से कैथोलिक चर्च से रहा है, यद्यपि गैर-कैथोलिक ईसाई भी भूत-प्रेत का अपसारण संपन्न करने का दावा करते हैं। कैथोलिक क्रिश्चियनिटी मे झाड़-फूँक जीसस क्राइस्ट के नाम पर प्रदर्शन कर्ते हे। ओपचारिक झाड़-फूँक और मुक्ति कि प्रार्थना के बीच अन्तर होत हे। ओपचारिक झाड़-फूँक सिर्फ कैथोलिक प्रीस्ट बपतिस्म के दौरान कर्ते हे या बिशप के अनुमति से किय जाता हे। ओझा झाड़-फूँक के दौरान रुब्रिक्स सन्सार के अनुसार प्रार्थना पाठ कर्ते हे इस्के विपरित झाड़-फूँक के दौरान ओझा धार्मिक साम्ग्री का प्रयोग भी कर्ते हे। ओझा विशेश रूप से जीसस के नाम पर आह्वान कर्ते हे और चर्च त्रियंफंट के सदस्य और आरचंगेल माइकल की झाड़-फूँक की दौरान हस्त्क्शेप कर्ने क प्रार्थना कर्ते हे। इस तरह क्रिश्चियनिटी मे झाड़-फूँक की कार्य्कलाप किय जाता हे।

आमतौर पर, भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्ति अपने-आप में दुष्ट नहीं माना जाता न ही अपने क्रियाकलापों के लिए उसे उत्तरदायी ठहराया जाता है। अत:, भूत-प्रेत का अपसारण करने वाले व्यक्ति द्वारा इस क्रिया को सजा से अधिक उपचार के तौर पर लिया जाता है। मुख्य अनुष्ठान में इस बात को ध्यान में रखा जाता है कि भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्ति के प्रति कोई हिंसा न हो और इसलिए यदि बाधा-ग्रस्त व्यक्ति हिंसा पर उतारू हो तो उसे बांधने का प्रावधान है।[1]

यीशु[संपादित करें]

ईसाई धर्म में भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया यीशु की शक्ति का प्रयोग कर किया जाता है, अथवा जीसस के नाम पर किया जाता है। उनकी धारणा में यह तथ्य निहित है कि यीशु ने अपने नाम पर अपने अनुयायियों को, दुष्ट आत्माओं को दूर भगाने का आदेश दिया है।Matthew 10:1,Matthew 10:8;Mark 6:7;Luke 9:1;10:17;Mark 16:17 भूत-प्रेत के अपसारण पर कैथोलिक विश्वकोश के आलेख के अनुसार: अपने मसीहा होने के प्रतीक के रूप में यीशु द्वारा अपनी इस क्षमता की ओर इशारा किया गया है और उन्होंने अपने अनुयायियों को भी ऐसा कर सकने की शक्ति से संपन्न बनाया है।[2].

यीशु पर यहूदी विश्वकोश का आलेख कहता है, कि “यीशु खास तौर पर बुरी आत्माओं (भूतों) को दूर हटाने के कार्य में समर्पित थे” तथा यह भी विश्वास किया जाता है कि उन्होंने अपनी इस प्रवृत्ति को अपने अनुयायियों में हस्तांतरित किया, “उनके अनुयायियों के ऊपर उनकी श्रेष्ठता बुरी आत्माओं को उनके द्वारा दूर करने से प्रदर्शित होती है जिसे करने में उनके अनुयायी असफल रहे.”[3]

यीशु के समय में, न्यू टेस्टामेंट से इतर यहूदी स्रोतों के अनुसार विषैली जड़ों के अर्क वाली दवाओं के प्रयोग द्वारा अथवा बलि देकर भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया संपन्न की जाती थी।[4] वे उल्लेख करते हैं कि भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया यहूदी धर्म की एसीन (Essene) शाखा द्वारा की जाती थी (कुमरान पर डेड सी स्क्रोल्स)।

रोमन कैथोलिक धर्म[संपादित करें]

फ्रांसिस्को गोया द्वारा सेंट फ्रांसिस बोर्गियो की भूत-प्रेत के अपसारण का प्रदर्शन करते हुए एक चित्रकारी.

रोमन कैथोलिक मतानुसार बप्तिसमा अथवा पापस्वीकरण के विपरीत भूत-प्रेत का अपसारण एक अनुष्ठान है, कोई संस्कार नहीं. संस्कार के विपरीत भूत-प्रेत के अपसारण की "अखंडता और प्रभावशीलता किसी अपरिवर्तनशील सूत्र अथवा बताए गए कर्मों के व्यवस्थित क्रम पर निर्भर नहीं करती हैं। इसकी प्रभावशीलता दो तत्त्वों पर निर्भर करती है: वैध और कानून सम्मत चर्च के अधिकारियों द्वारा प्रदत्त अधिकार एवं एक्सॉसिस्ट की आस्था।"[5] ऐसा कहा जाता है, कि कैथोलिक एक्सॉसिज़्म मौजूदा सभी भूत-प्रेत के अपसारण की क्रियाओं में सर्वाधिक कठोर और संगठित हैं। चर्च के केनन कानून के अनुसार, औपचारिक भूत-प्रेत का अपसारण केवल किसी अभिषिक्त पादरी (अथवा उच्च स्तरीय धर्माधिकारी) द्वारा किया जा सकता है, जिसे स्थानीय बिशप द्वारा स्पष्ट अनुमति प्राप्त हो और यह क्रिया मानसिक रोग की संभावनाओं को खारिज करने वाले सावधानीपूर्वक किए गए चिकित्सीय परीक्षण के बाद ही किया जाना चाहिए। कैथोलिक विश्वकोश (1908) के आदेशानुसार: “अन्धविश्वास का धर्म के साथ घालमेल बिल्कुल नहीं किया जाना चाहिए यद्यपि उनके इतिहास आपस में मिले-जुले हुए हो सकते हैं और न ही जादू का, यद्यपि वैध धार्मिक क्रिया के साथ यह सफेद हो सकता है”. रोमन अनुष्ठान में उन बातों की सूची जो व्यक्ति के भूत-बाधा से ग्रस्त होने का संकेत देती है: विदेशी अथवा प्राचीन भाषा बोलना जिससे भूत-बाधा ग्रस्त व्यक्ति का किसी प्रकार का कोई पूर्व परिचय नहीं है; अति प्राकृतिक क्षमता और शक्ति; छुपी हुई अथवा दूर स्थित वस्तुओं का ज्ञान जिसके बारे में बाधा-ग्रस्त व्यक्ति को अन्य किसी प्रकार से जानकारी नहीं हो सकती, किसी भी पवित्र वस्तु से अरुचि, भरपूर ईशनिंदा, तथा/अथवा अपवित्रीकरण.

जनवरी 1999 में कैथोलिक चर्च ने भूत-प्रेत के अपसारण के अनुष्ठान का पुनरावलोकन किया, यद्यपि लैटिन में भूत-प्रेत के अपसारण के पारंपरिक अनुष्ठान को एक विकल्प के तौर पर अनुमति दी गई है। भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया को अविश्वसनीय रूप से खतरनाक आत्मिक कार्य माना जाता है। इस अनुष्ठान के अंतर्गत, यह माना जाता है कि बाधा-ग्रस्त व्यक्तियों के पास अपनी स्वतंत्र इच्छा रहती है, यद्यपि उनके भौतिक शरीर पर भूत का अधिकार हो सकता है और वह प्रार्थनाओं, आशीर्वादों तथा आह्वान में भूत-प्रेत के अपसारण तथा कुछ विशेष प्रार्थनाओं (एक्सॉसिज़्म्स एंड सर्टेन एप्लिकेशंस) के दस्तावेज के प्रयोग द्वारा शामिल हो सकता है। अतीत में अन्य सूत्रों (निदानों) का प्रयोग भी किया जा सकता था, जैसे कि बेनेडिक्टाइन वाडे रेट्रो संताना (Benedictine Vade retro satana) आधुनिक युग में कैथोलिक बिशपों द्वारा शायद ही कभी भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया को अनुमति दी जाती है, उनके पास आने वाले मामलों में व्यक्ति के मानसिक अथवा शारीरिक रोग से ग्रस्त होना अधिक संभाव्य होता है। साधारण स्थितियों में चैप्लेट ऑफ़ सेंट माइकल का प्रयोग किया जा सकता है।[उद्धरण चाहिए].

एंग्लिंकन संप्रदाय[संपादित करें]

1974 में इग्लैंड के चर्च ने “डेलिवरेंस मिनिस्ट्री” की स्थापना की। इसके निर्माण के अंग के रूप में देश के प्रत्येक डाइअसीज़ (धर्मप्रदेश) में भूत-प्रेत के अपसारण और मनोचिकित्सा में प्रशिक्षित व्यक्तियों का एक समूह नियुक्त किया गया। इसके प्रतिनिधियों के अनुसार इसके पास लाए जाने वाले अधिकतर मामलों की पारंपरिक व्याख्या होती है और वास्तविक भूत-प्रेत का अपसारण अत्यंत विरले किया जाता है; यद्यपि, लोगों को मानसिक कारणों से कभी-कभी आशीर्वाद प्रदान किए जाते हैं।[6]

एपिस्कोपल चर्च में, द बुक ऑफ ऑकेज़नल सर्विसेज़ में भूत-प्रेत के अपसारण के प्रावधान की चर्चा मिलती है; किंतु यह किसी विशेष अनुष्ठान का जिक्र नहीं करता, न ही यह "एक्सॉसिस्ट" के लिए किसी कार्यालय की स्थापना करता है।[7] चर्च के अपने अन्य सभी कर्तव्यों से मुक्त हो जाने पर डाइअसीजन एक्सॉसिस्ट आमतौर पर अपनी भूमिका निभाना जारी रखते हैं। एंग्लिंकन पादरी डाइअसीजन बिशप से बिना अनुमति प्राप्त किए भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया नहीं संपन्न कर सकता. आमतौर पर यदि बिशप और उसकी टीम के विशेषज्ञ (एक मनोचिकित्सक तथा सामान्य चिकित्सक सहित) यदि स्वीकृति प्रदान न करें तो भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया आमतौर पर संपन्न नहीं की जाती.

लूथरवाद[संपादित करें]

लूथरवादी चर्च के भूत-प्रेत के अपसारण की प्रथा की शुरुआत उस आध्यात्मिक दावे से मानता है जिसके अनुसार यीशु मसीह ने एक साधारण आदेश से बुरी आत्माओं को भगा दिया था (मार्क 1:23–26; 9:14–29; ल्यूक 11:14–26)। [8] अपॉसल (धर्मप्रचारक/यीशु के शिष्य) द्वारा शक्ति के साथ तथा जीसस के नाम पर इस प्रथा को जारी रखा गया (मैथ्यू 10:1; एक्ट 19:11–16)। [8] अनेक तर्कों पर आधारित जिसमें वह भी शामिल है कि किसी व्यक्ति को, जिसे एक आस्तिक के रूप में यीशु मसीह ने पाप से मुक्त कर दिया (रोमन 6:18), वह फिर से अपने जीवन में पाप से ग्रस्त हो सकता है इसलिए वह पुन: अपने जीवन में बुरी आत्मा के चपेट में आ सकता है“ ईसाई धर्म के कुछ संप्रदायों के विपरीत, लूथरवाद यह पुष्टि करता है कि आस्तिक और नास्तिक दोनों प्रकार के व्यक्ति को भूतों द्वारा सताया जा सकता है।[9]

प्रोटेस्टेंट सुधार के बाद मार्टिन लूथर ने भूत-प्रेत के अपसारण के लिए प्रयुक्त रोमन कर्मकांडों को संक्षिप्त कर दिया। [10] 1526 में, अनुष्ठान को पुन: संक्षिप्त किया गया। भूत-प्रेत के अपसारण के लिए लूथरवादी अनुष्ठान का यह रूप लूथरवादी सेवा पुस्तकों के समूह में शामिल कर लिया गया और लागू किया गया।[10][11] लूथरवादी चर्च की धर्म पुस्तिका के अनुसार

In general, satanic possession is nothing other than an action of the devil by which, from God's permission, men are urged to sin, and he occupies their bodies, in order that they might lose eternal salvation. Thus bodily possession is an action by which the devil, from divine permission, possesses both pious and impious men in such a way that he inhabits their bodies not only according to activity, but also according to essence, and torments them, either for the punishment or for the discipline and testing of men, and for the glory of divine justice, mercy, power, and wisdom.[10][12]

ये धार्मिक नियमावलि चेतावनी देते हैं कि प्राय: हर्षोन्माद, अपस्मारिक दौरे, आलस्य, पागलपन तथा उन्माद की स्थिति प्राकृतिक कारणों के परिणाम हैं और इन्हें भूत-बाधा समझने की गलती नहीं करनी चाहिए। [12] लूथरवादी चर्च के अनुसार भूत-प्रेत के अपसारण की आवश्यकता वाली भूत-बाधा को इंगित करने वाले लक्षणों में शामिल है:

  1. गुप्त चीजों का ज्ञान, उदाहरण के लिए भविष्य कथन की क्षमता (एक्ट 16:16), खोए मनुष्य अथवा वस्तुओं का पत लगा लेना, अथवा ऐसी जटिल चीजों की जानकारी रखना जिसे व्यक्ति ने कभी सीखा ही नहीं (जैसे कि दवाई)। ऐसा कहा जाता है कि भविष्यवक्ताओं द्वारा भी प्राय: मदद के लिए आत्मा को बुलाया जाता है और इस आत्मा द्वारा उन्हें कुछ शक्तियां प्राप्त होती हैं। स्थिति में बुरी आत्मा सहयोगी होती हैं और जरूरी नहीं कि यह व्यक्ति के शरीर पर कब्जा करे ही.[12]
  2. ऐसी भाषा का ज्ञान हो जाना जिसे व्यक्ति ने कभी सीखा न हो। ठीक जिस प्रकार दुष्टात्मा किसी व्यक्ति के ज़ुबान को बन्द कर देता है (ल्यूक 11:14), आरंभिक चर्च के काल में और सुधार के युग में, ऐसी सूचनाएं मिली हैं कि कुछ भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्ति ऐसी भाषाएं बोल सकते थे जो उन्हें कभी नहीं आती थी।[12]
  3. अतिप्राकृतिक शक्ति (मार्क 5:2-3), व्यक्ति के लिंग और आकार के अनुसार जो उनके पास पहले था या होना चाहिए, उससे बहुत अधिक. प्रेत-बाधा ग्रस्तता के आकलन के लिए बहुत सावधानी की आवश्यकता होती है। सारी परिस्थितियां और लक्षण ध्यान में रखा जाना चाहिए। पागलपन को भूत-बाधा समझने की भूल नहीं करनी चाहिए। दूसरी ओर, भूत-बाधा वहां भी हो सकती है जहां ये लक्षण अनुपस्थित हों.[12]

चर्च द्वारा द्वितीयक लक्षण के रूप में निम्नलिखित लक्षणों की सूची बनाई गई है- भयानक चीख (मार्क 5:5), ईश्वर की निन्दा, पड़ोसियों का उपहास उड़ाना, गतिविधियों में विकृति (जैसे कि भयानक संचलन, चेहरे का सिकुड़न, अस्वाभाविक हंसी, दांत किटकिटाना, थूकना, कपड़े उतारना, खुद की चीड़-फाड़ करना, मक. (Mk.) 9:20; लक. (Lk.) 8:26f), अमानवीय मस्ती (उदाहरण के लिए जब प्राकृतिक क्षमता से अधिक भोजन लिया जाए), शारीरिक यातना, खुद के शरीर और आस-पास के लोगों के शरीर पर असामान्य चोट, शरीर की असामान्य गति (उदाहरण के लिए एक वृद्ध व्यक्ति जो भूत-बाधा से ग्रस्त था, घोड़े जितनी तेज गति से दौड़ सकता था), तथा किए हुए काम को विस्मृत करना। [12] दूसरे लक्षणों में शामिल हैं मनुष्य की तार्किकता में विकृति जो उसे जानवर बना देता है, विषण्णता, मृत्यु का गतिवर्धन (मार्क 9:18 [आत्महत्या की कोशिशें]), तथा अन्य अतिप्राकृतिक घटनाएं.[12]

इन सबका निर्धारण हो जाने के बाद, चर्च द्वारा अनुभवी चिकित्सक को यह निर्धारित करने की सलाह दी जाती है कि व्यक्ति के व्यवहार का क्या कोई चिकित्सीय व्याख्या है।[12] जब सही मायने में कोई भूत-बाधा पहचानी जाती है, तो पीड़ित व्यक्ति को चर्च के पुरोहित (मिनिस्टर) की देखभाल में रखा जाता है, जो उचित धर्म-सिद्धांत की शिक्षा देता है, निष्कलंक जीवन जीने वाला होता है, जो तुच्छ आर्थिक लाभ के लिए कुछ नहीं करता किंतु सब कुछ आत्मा से करता है।[12] तब पुरोहित को परिश्रमपूर्वक जांच करनी पड़ती है कि भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्ति अब तक किस प्रकार का जीवन जीता था और फिर उस व्यक्ति को कानून के रास्ते अपने पाप स्वीकारने को प्रेरित किया जाता है।[12] यह सब हो जाने के बाद भर्त्सना अथवा सांत्वना देने का कार्य होता है, प्राकृतिक चिकित्सक के कर्यों का उपयोग किया जाता है, जो उचित प्रकार की दवा के साथ हानिकारक द्रवों द्वारा भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्ति की सफाई करेगा। [12] धर्म पुस्तिका तब कहती है:

  • Let the confession of the Christian faith be once required of Him, let him be taught concerning the works of the devil destroyed by Christ, let him be sent back faithfully to this Destroyer of Satan, Jesus Christ, let an exhortation be set up to faith in Christ, to prayers, to penitence.
  • Let ardent prayers be poured forth to God, not only by the ministers of the Church, but also by the whole Church. Let these prayers be conditioned, if the liberation should happen for God's glory and the salvation of the possessed person, for this is an evil of the body.
  • With the prayers let fasting be joined, see Matthew 17:21.
  • Alms by friends of the possessed person, Tobit 12:8-9.
  • Let the confession of the Christian faith be once required of Him, let him be taught concerning the works of the devil destroyed by Christ, let him be sent back faithfully to this Destroyer of Satan, Jesus Christ, let an exhortation be set up to faith in Christ, to prayers, to penitence.[12]

मेथोडिज़्म[संपादित करें]

मेथोडिस्ट चर्च के अनुसार भूत-प्रेत के अपसारण के अनुष्ठान में शामिल है “दुष्टात्मा की वस्तुनिष्ठ शक्ति को दूर करना जिसने किसी व्यक्ति पर अधिकार कर लिया हो”.[13] इसके अतिरिक्त, मेथोडिस्ट चर्च बताता है कि “भूत-अपसारण का अधिकार उस रूप में चर्च को दिया गया जिसमें ईसामसीह की मिनिस्ट्री (धर्म सेवा) संसार में कायम है”.[14] अभिषिक्त पादरी को भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया संपन्न करने के क्रम में सबसे पहले जिला अधीक्षक (डिस्ट्रिक्ट सुपरिंटेंडेंट) से संपर्क करना चाहिए। [15] मेथोडिस्ट चर्च की यह धारणा है कि यह बात सबसे अधिक महत्वपूर्ण है कि सहायता चाहने वाले व्यक्ति को इस बात का यकीन दिलाया जाए कि ईसामसीह की उपस्थिति और उनका प्यार उसे निश्चित रूप से उपलब्ध है।[16] इसके अलावा “बाइबल, प्रार्थना तथा संस्कार" की मिनिस्ट्री का विस्तार इन व्यक्तियों तक भी होना चाहिए। [17] इन चीजों का सम्मिलन प्रभावशाली सिद्ध हुआ है।[18] उदाहरण के लिए एक खास परिस्थिति में, एक रोमन कैथोलिक महिला का यह विश्वास था कि उसका घर भुतहा है और इसलिए उसने अपने पादरी से मदद के लिए संपर्क किया। क्योंकि महिला के घर से भूतों को भगाने के लिए वह उपलब्ध नहीं था, इसलिए महिला ने मेथोडिस्ट पुरोहित से संपर्क किया, जिसने एक कमरे से बुरी आत्माओं को अपसारित किया, जिसे घर में चल रहे संकट का स्रोत माना गया और उसी स्थान पर होली कम्यूनियन (धर्म समाज) का आयोजन किया गया;[18] इस क्रिया के बाद घर में फिर कोई समस्या नहीं रही। [18]

पेंटेकोस्टलिज़्म[संपादित करें]

पेंटेकोस्टल चर्च में, चमत्कारिक गतिविधि तथा ईसाई धर्म के अन्य अल्प औपचारिक भाग, भूत-प्रेत के अपसारण के अनुष्ठान के कई रूप और धारणा संरचनाएं होती हैं। इनमें से सबसे सामान्य है मुक्ति अनुष्ठान. मुक्ति, भूत-प्रेत के अपसारण से भिन्न है जिसमें दुष्टात्मा, व्यक्ति को पूर्णत: वश में करने के बजाए व्यक्ति के जीवन में पैठ बना लेता है। यदि व्यक्ति को पूर्णत: वश में कर लिया गया हो तो एक पूर्ण विधिवत भूत-प्रेत के अपसारण की आवश्यकता होती है। यद्यपि अपनी आस्था पर जमे रहने वाला एक आत्माविष्ट ईसाई भूत-बाधा से ग्रस्त नहीं हो सकता. इस धारणा संरचना के अंतर्गत दुष्टात्मा द्वारा पैठ बनाने के कारणों की व्याख्या सामान्यत: ब्रह्मविद्या के सिद्धांत से एक प्रकार के विचलन के रूप में किया जा सकता है अथवा इसका कारण धर्मांतरण-पूर्व के कर्म हो सकते हैं (जैसे कि तंत्र-मंत्र से सरोकार रखना)। [19][20]

किसी व्यक्ति को मुक्ति की आवश्यकता है या नहीं इसके निर्धारण की पारंपरिक विधि का प्रयोग किसी ऐसे व्यक्ति को उपस्थित रखकर किया जाता है जिसमें आत्माओं को अपसारित करने का हुनर हो। यह 1 कोरिंथियंस (Corinthians) 12 से पवित्र आत्मा का एक वरदान है जो किसी व्यक्ति को दुष्टात्मा की उपस्थिति को महसूस करने में सक्षम बनाता है।[21] यद्यपि आरंभिक निदान को प्राय: संगत द्वारा चुनौती नहीं दी जाती, किंतु जब एक ही संगत में ऐसे बहुत से वरदान प्राप्त व्यक्ति हों तो परिणाम अलग-अलग होते हैं।[22]

फ्रांसिस गैब्रियल एमॉर्थ (Fr. Gabriele Amorth) ऐसे लोगों को “सीअर्स (द्रष्टा) तथा सेंसिटिव्स” कह कर इंगित करते हैं और अनेक अवसरों पर उनका इस्तेमाल करते हैं; उनमें दुष्टात्मा की उपस्थिति का पता लगाने की क्षमता होती है। यद्यपि, वह नोट करते हैं कि “वे हमेशा सही नहीं होते: उनके अनुभव की जांच अवश्य की जानी चाहिए”. उनके उदाहरणों में, वे उन घटनाओं का पता लगाने में सक्षम होते हैं जिसके कारण भूत का प्रवेश हुआ है, अथवा वे उस दुष्ट वस्तु को ढ़ूढने में सक्षम होते हैं जिसने व्यक्ति को अभिशापित किया है। वह लिखते हैं कि “वे हमेशा विनीत रहते हैं।”[23]

प्राच्य परंपरानिष्ठा (रूढ़िवाद)[संपादित करें]

इथियोपियाई ओर्थोडोक्स टेवाहिडो चर्च(Ethiopian Orthodox Tewahedo Church) में पादरी द्वारा भूत-प्रेत के अपसारण का संयोजन और निष्पादन किया जाता है, उन सब लोगों के लिए किया जाता है जिन्हें बुडा अथवा भूत से ग्रस्त माना जाता है। भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्तियों को किसी चर्च अथवा प्रार्थना सभा में लाया जाता है।[24] प्राय: जब कोई वृद्ध व्यक्ति आधुनिक चिकित्सा उपचार से चंगा नहीं होता तो उसकी बीमारी का कारण भूतों को माना जाता है।[24] अस्वाभाविक अथवा विशेष रूप से विकृत कर्म, खासकर जब लोगों के सामने किया जाता है तो इसे भूत-ग्रस्तता का लक्षण मानते हैं।[24] अतिमानवीय शक्ति, उदाहरण के लिए, बंधनों को तोड़ देना, जैसा कि न्यू टेस्टामेंट में वर्णित है- इसके साथ ग्लोसोलेलिया भी भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्ति में देखा जाता है।[24] आमसालु जिलेटा (Amsalu Geleta), एक आधुनिक केस स्टडी में, ऐसे तत्त्वों के बारे में बताते हैं जो इथियोपियाई ईसाई भूत-प्रेत के अपसारण में सामान्य हैं:

इसके अंतर्गत शामिल हैं स्तुति तथा विजय गीतों का गान, धर्मग्रंथों का पाठ, प्रार्थना तथा यीशु का नाम लेकर आत्मा का सामना. आत्मा से वार्तालाप, भूत-प्रेत के अपसारण के अनुष्ठान का एक अन्य महत्वपूर्ण अंग है। यह भूत-अपसारक (एक्सॉसिस्ट) को यह जानने में मदद करता है कि भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्ति के जीवन में आत्मा किस प्रकार कार्य करती है। आत्मा द्वारा व्यक्त लक्षण और घटनाओं की पुष्टि, मुक्ति के बाद पीड़ित द्वारा की जाती है।[24]

भूत-प्रेत का अपसारण हमेशा सफल नहीं होता और जिलेटा दूसरे उदाहरण के बारे में बताते हैं जिसमें सामान्य विधियां असफल हो गई थीं और भूत ने बाद में जाकर पीड़ित को प्रत्यक्ष रूप से छोड़ा. किसी घटना में, “सभी मामलों में भूत को किसी और नहीं बल्कि यीशु के नाम से आदेश दिया जाता है।"[24]

मनोविज्ञान[संपादित करें]

भूत-प्रेत के अपसारण की ईसाई प्रथा ऐसे व्यक्ति के लिए होती है जो गंभीर मानसिक अथवा शारीरिक रोग की प्रक्रिया के अंतर्गत है और भूत-प्रेत के अपसारण के अनुष्ठान की आधिकारिक स्वीकृति से पूर्व रोग के मानसिक अथवा शारीरिक कारण नहीं हैं, इस बात की पुष्टि के लिए मानसिक और शारीरिक चिकित्सकों की नियुक्ति की जाती है। जब सारे संभावित सुसाध्य कारणों को खारिज कर दिया जाए तो मामले का उपचार एक असाध्य भूत-बाधा ग्रस्तता के रूप में किया जाता है और इस स्थिति में भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया की जा सकती है। भूत भगाने कब्जे के लक्षणों का अनुभव लोगों पर काम करता है कि भ्रम के कूट-भेषज प्रभाव और सुझाव की शक्ति को कुछ लोगों द्वारा जिम्मेदार ठहराया है। कुछ अनुमान अधीन व्यक्तियों वास्तव में आत्ममोह या जैसे कम आत्मसम्मान और अभिनय से पीड़ित हैं एक ध्यान हासिल करने के क्रम में "दानव व्यक्ति के पास। मनोचिकित्सक एम. स्कॉट पेक झाड़-फूँक शोध किया है और दो खुद को आयोजित करने का दावा किया। उन्होंने कब्जे की ईसाई अवधारणा एक वास्विक घटना थी कि संपन्न हुआ। उन्होंने कहा कि रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा इस्तेमाल उन लोगों से कुछ अलग नैदानिक मानदंडों निकाली गई। उन्होंने यह भी झाड़ - फूंक प्रक्रियाओं और प्रगति में मतभेद देखने के लिए दावा किया। अपने अनुभवों के बाद और अपने शोध मान्य प्राप्त करने के प्रयास में, वह प्रयास किया लेकिन डीएसएम-IV के लिए "" बुराई की परिभाषा जोड़ने के लिए मनोरोग समुदाय पाने में विफल रहे। [21]पेक के पहले काम बड़े पैमाने पर लोकप्रिय स्वीकृति के साथ मुलाकात की थी, उसकी बुराई के विषयों पर काम और अधिकार महत्वपूर्ण बहस और उपहास उत्पन्न। ज्यादा पेक लगातार एक झूठा और जोड़तोड़ मार्टिन कहा जाता है कि इस तथ्य के बावजूद विवादास्पद मलाकी मार्टिन, एक रोमन कैथोलिक पादरी और एक पूर्व जेसुइट (के लिए और प्रशंसा) के साथ अपने सहयोग के लिए बनाया गया था। [22] [23] पेक के खिलाफ लगाए गए अन्य आलोचनाओं उन्होंने ईसाई धर्म स्वीकार करने के लिए अपने रोगियों के लिए राजी करने की कोशिश में पेशेवर नैतिकता की सीमाओं को पार किया था कि दावों शामिल थे। [22].

इस्लाम[संपादित करें]

इस्लामी धर्म मे झाड़-फूँक को रुख्या कहा जाता हे। झाड़-फूँक कुछ इस तरह किया जाता के जिस्मे इलाज कर्ने वाले व्यक्ति लेटा होता हे और एक शैख उस्के माथे पर हाथ फैलाता हे और क़ुरान शरीफ के कुछ आयत को दोहराते हे, इस्के बाद इलाज किया जाने वाले व्यक्ती को ज़म ज़म पानी (पवित्र जल) पिलाया जाता हे। क़ुरान शरीफ से कुछ छन्द आयत जैसे आयत अल-कुर्सि पदा जाता हे जो परमेश्वर की महिमा कि प्रशन्सा कर्ता हे और भग्वान कि मदद कि मानग कर्ता हे। कुछ मामलों में अज़ान् (दैनिक प्रार्थना के लिए कॉल) भी पढ़ा जाता है इस गैर दिव्य अनदेखी प्राणियों हटाने का असर कतर्ता हे। पैगंबर मुहम्मद [स्ल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ] अप्ने अनुयायियों से केह्ते हे की क़ुरान शरीफ कि आख्री तीन सूराह पढ्ना अच्छा होता हे। इस तराह इस्लाम धर्म मे झाड़-फूँक के बारे मे कहा गया हे।

उल्लेखनीय उदाहरण[संपादित करें]

  • सैल्वाडोर डाली (Salvador Dalí), जब वह 1947 में फ्रांस में थे, इटैलियन सन्यासी गैब्रियल मारिया बेरर्दी (Gabriele Maria Berardi) से भूत-प्रेत के अपसारण का अनुष्ठान करवाने के लिए विख्यात हुए. डाली ने ईसामसीह की एक मूर्ति क्रॉस पर निर्मित कर अपने धन्यवाद के रूप में प्रदान किया।[25]
  • एनेलीज मिशेल (Anneliese Michel) जर्मनी की एक कैथोलिक महिला थी जिसके बारे में कहा जाता था कि वह छ: अथवा अधिक भूतों से ग्रस्त थी और इसके बाद 1975 में उसके लिए भूत-प्रेत के अपसारण का अनुष्ठान किया गया। दो चलचित्र, द एक्सॉसिज़्म ऑफ़ एमिली रोज़ (The Exorcism of Emily Rose) तथा रेक़ुइएम (Requiem) मोटे तौर पर एनेलीज की कहानी पर आधारित हैं। भूत-प्रेत के अपसारण की प्रक्रियाओं के मूल ऑडियो टेप वाली एक डॉक्युमेंट्री फिल्म एक्सॉसिज़्म ऑफ़ एनेलीज मिशेल (Exorcism of Anneliese Michel)[26] भी बनाई गई (पोलिश भाषा में, लेकिन इसका अंग्रेजी सब-टाइटल भी उपलब्ध है).
  • “रोबी” ए.के.ए छद्म नाम वाला एक बालक था। 1949 में “रोबी डो” का भूत-प्रेत का अपसारण किया गया जो विलियम पीटर ब्लैटी द्वारा लिखित द एक्सॉसिस्ट नामक हॉरर उपन्यास तथा फिल्म की मुख्य प्रेरणा बना। जब ब्लैटी जार्जटाउन विश्वविद्यालय में 1950 की कक्षा में छात्र था, तभी उसने इस घटना के बारे में सुना था। भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया आंशिक रूप से कॉटेज सिटी, मैरिलैंड और बेल-नोर, मिसौरी[27] दोनों शहरों में फादर विलियम एस. बॉदर्न, एस.जे., फादर रेमंड बिशप एस.जे. और तब जेसुइट पंडित फ्रैंसिस वाल्टर हैलोरन, एस.जे. द्वारा संपन्न की गई थी।[28]
  • कोलकाता के आर्कबिशप हेनरी डिसूजा के निर्देशन में मदर टेरेसा को अपने जीवन के बाद के दिनों में एक भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया से गुजरना पड़ा था, जब आर्कबिशप ने इस बात पर गौर किया कि वे अपनी नींद में बुरी तरह परेशान होती थीं और उन्हें इस बात का अंदेशा हुआ कि उन पर किसी दुष्टात्मा का प्रकोप है।[29]
  • वैलंगटन, न्यूजिलैंड में वैनुइओमाता (Wainuiomata) के उपनगरीय इलाके में वर्ष 2007 में की गई एक भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया के दौरान एक महिला की मौत हो गई और एक किशोर को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. एक लम्बे मुकदमें के बाद, परिवार के पांच सदस्यों को दोषी ठहराया गया और उन्हें गैर-हिरासती (non-custodial) सजा सुनाई गई।[30]
  • 1842 – 1844 के दौरान दो वर्षों तक जर्मनी के मॉटलिंजन (Möttlingen) में जोहान ब्लूमहार्ट (Johann Blumhardt) ने गोट्लिबिन डिटस (Gottliebin Dittus) की भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया संपन्न की। इसके बाद पुरोहित ब्लूमहार्ट के यजमान ने भूल स्वीकार और स्वास्थ्य लाभ के साथ सुधार महसूस किया, जिसका श्रेय उसने सफल भूत-प्रेत के अपसारण की क्रिया को दिया। [31][32]

वैज्ञानिक दृष्टिकोण[संपादित करें]

भूत-बाधा ग्रस्तता को डीएसएम-IV (DSM-IV) अथवा आईसीडी-10 (ICD-10) के द्वारा वैध मनोवैज्ञानिक अथवा चिकित्सीय नैदानिक मान्यता प्राप्त नहीं है। वे लोग, जिनका भूत-बाधा ग्रस्तता में विश्वास है, कभी-कभी हिस्टीरिया, मैनिया, साइकॉसिस, टूअरेट्स के (Tourette's) लक्षण, मिरगी, स्किड्जोफीनिया अथवा डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसऑर्डर जैसे मानसिक रोगों के लक्षणों को भूत-बाधा ग्रस्तता से जोड़ते हैं।[33][34][35] डिसोसिएटिव आइडेंटिटी डिसर्डऑर में, जहां बदले हुए व्यक्तित्व के लोगों से उनकी पहचान के बारे में प्रश्न किया जाता है, 29% लोग अपने-आप को भूत बताते पाए गए हैं।[36] इसके अतिरिक्त मोनोमैनिया का एक रूप होता है जिसे डेमोनोमैनिया अथवा डेमोनोपैथी कहते हैं, जिसमें रोगी को यह विश्वास हो जाता है कि उस पर एक या अधिक भूतों का प्रकोप है।

इस तथ्य को, कि भूत-प्रेत का अपसारण ऐसे लोगों पर काम करता है जो भूत-बाधा ग्रस्तता के लक्षणों का अनुभव करते हैं, कुछ लोगों के द्वारा छद्म औषधि के प्रभाव और परामर्श की शक्ति के कारण उत्पन्न प्रभाव माना जाता है।[37] अनुमानित भूत-बाधा से ग्रस्त कुछ लोग वास्तव में आत्मरति से अथवा निम्न आत्मसम्मान से ग्रस्त होते हैं तथा लोगों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट करने के लिए इस प्रकार की हरकतें करते हैं मानो वे "भूत-बाधा से ग्रस्त व्यक्ति" हों.[33]

बहरहाल, मनोचिकित्सक एम. स्कॉट पेक द्वारा भूत-प्रेत के अपसारण पर शोध किया गया है (शुरुआत में भूत-बाधा ग्रस्तता को झुठलाने की कोशिश के रूप में) और उन्होंने दावा किया है कि दो भूत-अपसारण क्रिया खुद उनके द्वारा की गई है। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि भूत-बाधा ग्रस्तता की ईसाई अवधारणा एक सच्ची परिघटना है। उन्होंने रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा प्रयुक्त नैदानिक मानकों से भिन्न मानक विकसित किए। उन्होंने भूत-प्रेत के अपसारण की प्रक्रियाओं तथा उनके अनुक्रम में भिन्नताओं को देखने का दावा भी किया है। अपने अनुभवों के बाद, तथा अपने शोध को मान्यता देने की कोशिशों तथा मनोचिकित्सकों के समुदाय द्वारा डीएसएम-IV (DSM-IV) के अंतर्गत दुष्टात्मा ("Evil") को शामिल करवाने में भी वे अबतक नाकामयाब रहे हैं।[38]

सांस्कृतिक सन्दर्भ[संपादित करें]

भूत-प्रेत का अपसारण कल्पित कथाओं में एक लोकप्रिय विषय रहा है, विशेष रूप से डरावनी कल्पित कथाओं में.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

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अतिरिक्त जानकारी के लिए[संपादित करें]

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  • शकुंतला मोदी, एम.डी., "रिमार्केबल हीलिंगज़, अ साइकेट्रिस्ट डिसकवर्ज़ अन्सस्पेकटिड रूट्स ऑफ़ मेंटल एंड फिज़िकल इलनेस." आईएसबीएन (ISBN) 1-57174-079-1 इस उपचार द्वारा सुधारे जाने वाले रोगों के प्रकार के सांख्यिकीय सारांश और मामले देता है।
  • बॉबी जिंदल, बीटिंग अ डेमन: फिज़िकल डाइमेंनशंज़ ऑफ़ स्पिरिचुअल वारफेयर. (नई ऑक्सफोर्ड की समीक्षा, दिसम्बर 1994)
  • मालाची मार्टिन,होस्टेज टू द डेविल . आईएसबीएन (ISBN) 0-06-065337-X.
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  • मेक्स हिंडल, द वेब ऑफ़ डेस्टिनी (चेप्टर I - पार्ट III: "द ड्वेलर ओन द थ्रेशहोल्ड" अर्थ-बाउंड स्पिरिट्स, भाग IV: द "सिन बोडी"-पोज़ेशन बाय सेल्फ-मेड डीमंज़- एलिमेंटल्ज़, भाग V: ओबसेशन ऑफ़ मैन एंड ऑफ़ एनिमल्ज़), आईएसबीएन (ISBN) 0-911274-17-0
  • फ्रेडरिक एम स्मिथ, द सेल्फ पोज़ेस्ड: डीटी एंड स्पिरिट पोज़ेशन इन साउथ एशियन लिटरेचर एंड सिविलाइज़ेशन . न्यू यॉर्क: कोलंबिया यूनिवर्सिटी प्रेस, 2006. आईएसबीएन (ISBN) 0231137486
  • गैब्रिएल अमोर्थ, एन एक्सॉसिस्ट टेल्ज़ हिज़ स्टोरी सैन फ्रांसिस्को: इग्नेटिअस प्रेस, 1999. वेटिकन के प्रमुख ओझा अपने अनुभव से कई लघुकथाओं के माध्यम से भूत-प्रेत के अपसारण के रोमन कैथोलिक अभ्यास के बारे में बताता है।
  • जी. पेक्सिया, द डेविल'ज़ स्कुर्ज - एक्सॉसिज़्म ड्यूरिंग द इटेलियन रेनेसांस, इडी. वेसरबुक्स 2002.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]