भारत में महिला स्वास्थ
भारत में महिला स्वास्थ को कई संकेतकों के संदर्भ में परीक्षण कर सकते हैंं, जो भौगोलिक, सामाजिक आर्थिक खड़े और संस्कृति श्रेणी में हो सकते हैंं। [1] महिला का स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण कारण है जो मानव कल्याण और आर्थिक विकास में योगदान देता है।
वर्तमान में, भारत में महिलाओं के स्वास्थ्य समस्ये अनेक है जो की भारत के अर्थव्यवस्था के उत्पादन को प्रभावित भी करती हैं।
स्वास्थ्य देखभाल पर भारत में लिंग पूर्वाग्रह
[संपादित करें]संयुक्त राष्ट्र भारत को मध्य आय वाले देश के रूप में स्थान देता है।[2] लिंग असमानता में विश्व आर्थिक मंच भारत को सबसे पिछड़े देशो में गिनता है| शादी के दायित्वों के कारण भारत में महिलाओं को परिवार के लिए कम मूल्यवान माना जाता है। हालांकि अवैध है यह भारत में पर भारतीय सांस्कृतिक मानदंड अक्सर पति के परिवार को दहेज का भुगतान करने के लिए मजबूर करते हैं। यह वित्तीय बोझ लिंग में अंतर डालता है और परिवारों के बालक की तरफ प्रसत्साहित करता है|
भारत की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में समस्याएं
[संपादित करें]21 वीं शताब्दी में भारत की स्वास्थ्य सेवा में स्वास्थ्य पेशेवरों की कमी है| शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली में अत्यधिक केंद्रित है पर गांवो में यह विपरीत है। गावों में यह भी पाया गया है की बहुत लोग जो अपने आप को चिकित्सक बताते है वो असल में नहीं है|
2005 में भारत में राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (एनआरएचएम) अधिनियमित लाया गया[3]|इसके कुछ पूर्व शर्त शिशु मृत्यु दर और मातृ मृत्यु दर कम करना है|
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ https://obgyn.onlinelibrary.wiley.com/doi/abs/10.1111/j.1471-0528.2011.03112.x[मृत कड़ियाँ]
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 1 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अक्तूबर 2018.
- ↑ "संग्रहीत प्रति". मूल से 3 अक्तूबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 अक्तूबर 2018.