भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक

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भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक
Small Industries Development Bank of India (SIDBI)
[[Image:|200|भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक
Small Industries Development Bank of India (SIDBI)]]
संस्था अवलोकन
स्थापना 2 अप्रैल 1990; 33 वर्ष पूर्व (1990-04-02)
मुख्यालय लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत
संस्था कार्यपालक एस रमन्ना ( अप्रैल 2021से)chief1_position = (Chairman and Managing Director)[1]
वेबसाइट
www.sidbi.in

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक या सिडबी (Small Industries Development Bank of India) भारत की स्वतंत्र एक वित्तीय संस्था है जो सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों की वृद्धि एवं विकास के लक्ष्य से स्थापित किया गया है। यह लघु उद्योग क्षेत्र के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास तथा इसी तरह की गतिविधियों में लगी अन्य संस्थाओं के कार्यां में समन्वयन के लिए प्रमुख विकास वित्तीय संस्था है। इसका मुख्यालय लखनऊ में है और समग्र देश में इसके कार्यालय हैं।

भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) भारत की एक प्रमुख विकास वित्तीय संस्था है। इसका उद्देश्य पुनर्वित्त सुविधाएं और उद्योगों को अल्पकालिक ऋण प्रदान करना है। यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र की शीर्ष वित्तीय संस्था के रूप में कार्य करता है। सिडबी इस प्रकार की गतिविधियों में संलग्न संस्थाओं के समन्वय का भी कार्य करता है। सिडबी भारत सरकार के वित्तीय सेवाएँ विभाग के तहत काम करता है।

अगस्त 2017 से मोहम्मद मुस्तफा सिडबी के अध्यक्ष सह प्रबंध निदेशक हैं। मोहम्मद मुस्तफा भारतीय प्रशासनिक सेवा उत्तर प्रदेश कैडर के 1995 बैच के अधिकारी हैं।

सिडबी की स्थापना 2 अप्रैल 1990 को हुई। इसकी स्थापना संबंधी अधिकार-पत्र भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक अधिनियम, 1989 में सिडबी की परिकल्पना लघु उद्योग क्षेत्र के उद्योगों के संवर्द्धन, वित्तपोषण और विकास और लघु उद्योग क्षेत्र के उद्योगों को संवर्द्धन व वित्तपोषण अथवा विकास में लगी संस्थाओं के कार्यों में समन्वय करने और इसके लिए प्रासंगिक मामलों के लिए प्रमुख वित्तीय संस्था के रूप में की गई है।

सिडबी, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित और पर्यवेक्षित चार अखिल भारतीय वित्तीय संस्थाओं में एक है; अन्य तीन आयात-निर्यात बैंक, नाबार्ड और राष्ट्रीय आवास बैंक हैं। ऋण प्रदायगी द्वारा और पुनर्वित्त परिचालन गतिविधियों के माध्यम से ये वित्तीय बाजारों में एक सहायक की भूमिका निभाते हैं और औद्योगिक क्षेत्र की दीर्घकालिक वित्त पोषण आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।

सिडबी फाउंडेशन फॉर माइक्रो क्रेडिट के माध्यम से सिडबी, माइक्रो फाइनेंस संस्थाओं के विकास में सक्रिय है और माइक्रो फाइनेंस इंस्टीट्यूशन (एमएफआई) के माध्यम से माइक्रोफाइनेंस प्रदान करने में सहायता करता है। इसका संवर्द्धन और विकास कार्यक्रम ग्रामीण उद्यमों के संवर्द्धन और उद्यमिता विकास पर केंद्रित है।

एमएसई क्षेत्र में धन की आपूर्ति को बढ़ाने और उसे समर्थन करने के लिए यह एक पुनर्वित्त कार्यक्रम संचालित करता है जिसे संस्थागत वित्त कार्यक्रम के रूप में जाना जाता है। इस कार्यक्रम के तहत, सिडबी, बैंकों, लघु वित्त बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों को सावधि  ऋण सहायता प्रदान करता है। पुनर्वित्त परिचालन के अलावा, सिडबी सीधे भी एमएसएमई को ऋण देता है।

भारत सरकार सिडबी का सबसे बड़ा शेयरधारक है जिसके पास 20.85% शेयर हैं। इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक(15.65%) और भारतीय जीवन बीमा निगम(13.33%) आते हैं।

लन्दन की 'दि बैंकर' की हालिया रैंकिंग में सिडबी ने विश्व के 30 सर्वोच्च विकास बैंकों में अपनी जगह बनाए रखी। दि बैंकर, लंदन के मई 2001 अंक के अनुसार पूँजी व आस्तियों की दृष्टि से सिडबी का स्थान 25वाँ था।

गैर वित्तीय हस्तक्षेप[संपादित करें]

एमएसएमई क्षेत्र में गैर-वित्तीय हस्तक्षेप के एक भाग के रूप में, सिडबी ने अतीत में भी विभिन्न उपाय किए हैं । हाल ही में, क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल और क्रेडिट सूचना कंपनी ट्रांसयूनियन सिबिल के सहयोग से सिडबी ने "क्रिसिडेक्स" और "एमएसएमई पल्स" का प्रारम्भ  किया है।

सूक्ष्म और लघु उद्यमों (एमएसई) के लिए भारत के पहले सेंटिमेंट सूचकांक क्रिसिडेक्स को क्रिसिल और सिडबी द्वारा संयुक्त रूप से विकसित किया गया है। यह एक समग्र सूचकांक है जो 8 मापदण्डों के प्रसार सूचकांक पर आधारित है और यह 0 (अत्यंत नकारात्मक) से 200 (अत्यंत सकारात्मक) के पैमाने पर एमएसई व्यापार सेंटिमेंट को मापता है। क्रिसिडेक्स का प्रमुख लाभ यह है कि इसकी रीडिंग संभावित विपरीत परिस्थितियों और उत्पादन चक्रों के बदलावों को अंकित करेगी और इस प्रकार यह बाजार क्षमता के सुधार में मदद करेगी। निर्यातकों और आयातकों के सेंटिमेंट को समझकर, यह विदेशी व्यापार पर कार्रवाई योग्य संकेतक भी प्रदान करेगा।

देश में एमएसएमई घटक की बारीकी से निगरानी करने के लिए ट्रांसयूनियन सिबिल के सहयोग से सिडबी ने एमएसएमई क्रेडिट गतिविधि पर तिमाही रिपोर्ट "एमएसएमई पल्स" आरम्भ की  है। यह रिपोर्ट भारतीय बैंकिंग प्रणाली में औपचारिक क्रेडिट तक पहुंच रखने वाले और चालू ऋण सुविधा प्राप्त पचास लाख से अधिक सक्रिय एमएसएमई इकाईयों पर किए गए एक अध्ययन पर आधारित है।

सिडबी ने एमएसएमई को क्रेडिट और हैंडहोल्डिंग सेवाओं की पहुंच में सुधार के लिए 'उद्यमी मित्र' पोर्टल लॉन्च किया है। उद्यमी इस पोर्टल के माध्यम से पसंदीदा बैंकों का चयन कर आवेदन कर सकते हैं। व्यक्तिगत रूप से किसी भी बैंक शाखा में जाए बिना उद्यमी, पोर्टल के माध्यम से ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं । वे 1 लाख से अधिक बैंक शाखाओं में से किसी को चुन सकते हैं, अपनी आवेदन स्थिति को ट्रैक कर सकते हैं और अनेक ऋण सुविधाएं प्राप्त कर सकते हैं। इस पोर्टल में सभी आवश्यक दस्तावेज अपलोड करने की सुविधा भी है। पोर्टल के माध्यम से एमएसएमई इकाईयां वित्त प्राप्त करने के लिए हैंडहोल्डिंग सहायता भी मांग सकती हैं। असेवित और अल्पसेवित एमएसएमई तक उद्यमी मित्र पोर्टल को पहुंचाने के लिए सिडबी ने सीएससी ई-गवर्नेंस सर्विसेज (सीएससीईजीएस) के साथ एक अनुबंध भी किया है। सीएससीईजीएस इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी (मीटवाई) मंत्रालय द्वारा स्थापित एक स्पेशल पर्पज  वेहिकल (एसपीवी) है जो देश के गांवों को विभिन्न डिजिटल गठबंधन सेवाओं के कनेक्ट पॉइंट के रूप में कार्य करता है।

सिडबी ने भारत में उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए और स्वरोजगार को लोगों को अपनाने को प्रेरित करने के लिए 'स्वावलंबन' एवं 'बेचैन सपनों को पंख' नामक देशव्यापी मुहिम चलाया है ताकि देश में उद्यमों को बढ़ावा मिले और लोग रोजगार मांगने की बजाय रोजगार उत्पन्न करने के लियर उन्मुख होवें।

अन्य गतिविधियाँ[संपादित करें]

सिडबी ने संबंधित गतिविधियों के लिए कई अन्य संस्थाओं की स्थापना की है, जिनमें निम्नलिखित शामिल हैं:

• सिडबी वेंचर कैपिटल लिमिटेड (एसवीसीएल)  - एमएसएमई को उद्यम पूंजी (वीसी) सहायता प्रदान करने के लिए;  

• माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी (मुद्रा) - देश में वित्त वंचित सूक्ष्म उद्यमों के निधीयन हेतु;

• एमएसएमई को प्राप्तियों की शीघ्र उगाही में समर्थ बनाने के लिए रिसीवेबल एक्सचेंज ऑफ इंडिया लिमिटेड (आरएक्सआईएल);

• स्मेरा रेटिंग्स लिमिटेड (एसएमईआरए)  - एमएसएमई की क्रेडिट रेटिंग के लिए, जिसका नाम बदलकर ऐक्विट रेटिंग्स एंड रिसर्च लिमिटेड रखा गया।;

• इंडिया एसएमई टेक्नोलॉजी सर्विसेज लिमिटेड (आईएसटीएसएल) - प्रौद्योगिकी सलाहकार और परामर्श सेवाओं के लिए और

• एमएसएमई क्षेत्र में गैर-निष्पादक आस्ति (एनपीए) के त्वरित समाधान के लिए इंडिया  एसएमई असेट रिकन्स्ट्रकशन कंपनी लिमिटेड (आईसार्क)]।

सिडबी एमएसएमई के विकास से जुड़ी भारत सरकार की पहलों का समर्थन करता है व कुछ योजनाओं जैसे मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया के लिए नोडल एजेंसी के रूप में काम करता है।

सिडबी के कारोबार की दायरा[संपादित करें]

सिडबी के कारोबार के दायरे में लघु उद्योग इकाइयाँ समाहित हैं, जो उत्पादन, रोजगार और निर्यात की दृष्टि से राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय योगदान करती हैं। लघु एवं मध्यम उद्योग ऐसी औद्योगिक इकाइयाँ हैं, जिनमें प्लांट व मशीनरी में निवेश 10 करोड़ रुपये से अधिक न हो। ऐसी इकाइयों की संख्या लगभग 31 लाख है जिनमें 1.72 करोड़ व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त है और भारत के निर्यात में उनका हिस्सा 36 प्रतिशत तथा औद्योगिक विनिर्माण में 40 प्रतिशत है। साथ ही, सिडबी की सहायता परिवहन, स्वास्थ्य-सेवाओं और पर्यटन क्षेत्र के साथ-साथ ऐसे प्रोफेशनल और स्व-नियोजित व्यक्तियों को भी उपलब्ध है, जो लघु आकार के प्रोफेशनल उद्यम स्थापित करते हैं।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Board of Directors". Accessed 9 December 2019.

सिडबी