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महाविस्फोट सिद्धान्त

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(बिग बैंग सिद्धांत से अनुप्रेषित)
बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार, यह ब्रह्मांड अति सघन (एक प्रोटोन से छोटा)था। इस सिद्धन्त के अनुसार इस प्रोटोन से छोटे ब्राह्मण के अंदर एक महा विस्फोट हुआ।यह विस्फोट इतना ज्यादा ऊर्जावान था कि अब तक इसका विस्तार जारी है। एक सामान्य धारणा के अनुसार अंतरिक्ष स्वयं भी अपनी आकाशगंगाओं सहित विस्तृत होता जा रहा है। ऊपर दर्शित चित्र ब्रह्माण्ड के एक सपाट भाग के विस्तार का कलात्मक दृश्य है।

बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार लगभग 13.8 अरब वर्ष पूर्व (13.8 Billion year ago) ब्रह्मांड सिमटा हुआ था।[1] इसमें हुए एक विस्फोट के कारण इसमें सिमटा हर एक कण फैलता गया जिसके फलस्वरूप ब्रह्मांड की रचना हुई। यह विस्तार आज भी जारी है जिसके चलते ब्रह्मांड आज भी फैल रहा है।[2] इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती हैं जिसे बिग बैंग सिद्धान्त कहा जाता है। महाविस्फोट नामक इस महाविस्फोट के धमाके के मात्र 1.43सेकेंड अंतराल के बाद समय, अंतरिक्ष की वर्तमान मान्यताएं अस्तित्व में आ चुकी थीं। भौतिकी के नियम लागू होने लग गये थे।1.34वें सेकेंड में ब्रह्मांड १०३० गुणा फैल चुका था और क्वार्क, लैप्टान और फोटोन का गर्म द्रव्य बन चुका था।1.4सेकेंड पर क्वार्क मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाने लगे और ब्रह्मांड अब कुछ ठंडा हो चुका था। हाइड्रोजन, हीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे।[3][4]

ब्रह्मांड का जन्म एक महाविस्फोट के परिणामस्वरूप हुआ।[5] इसी को महाविस्फोट सिद्धान्त या बिग बैंग सिद्धान्त कहते हैं।[3], जिसके अनुसार लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था।[6] उस समय मानवीय समय और स्थान जैसी कोई अवधारणा अस्तित्व में नहीं थी।[4]

ब्रह्मांडीय कैलेंडर

बिग बैंग सिद्धांत के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लेमैत्रे ने लिखा हुआ है।[7] लैमेंन्तेयर एक रोमन कैथोलिक पादरी थे और साथ ही वैज्ञानिक भी। उनका यह सिद्धान्त अल्बर्ट आइंसटीन के प्रसिद्ध सामान्य सापेक्षवाद के सिद्धांत पर आधारित था। यह ऍडविन हबल थे जिन्होंने वर्ष 1929 में यह बताया कि सभी गैलेक्सी एक दूसरे से सिकुड़ रहे हैं। महाविस्फोट सिद्धांत दो मुख्य धारणाओं पर आधारित होता है। पहला भौतिक नियम और दूसरा ब्रह्माण्डीय सिद्धांत। ब्रह्माण्डीय सिद्वांत के मुताबिक ब्रह्मांड सजातीय और समदैशिक (आइसोट्रॉपिक) होता है। १९६४ में ब्रिटिश वैज्ञानिक पीटर हिग्गस ने महाविस्फोट के बाद एक सेकेंड के अरबें भाग में ब्रह्मांड के द्रव्यों को मिलने वाले भार का सिद्धांत प्रतिपादित किया था, जो भारतीय वैज्ञानिक सत्येन्द्र नाथ बोस के बोसोन सिद्धांत पर ही आधारित था। इसे बाद में 'हिग्गस-बोसोन' के नाम से जाना गया। इस सिद्धांत ने जहां ब्रह्मांड की उत्पत्ति के रहस्यों पर से पर्दा उठाया, वहीं उसके स्वरूप को परिभाषित करने में भी मदद की।[8]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. "हिरण्यगर्भ में छिपा सृष्टि और प्रलय का बीज".
  2. कोमात्सू, ई; एत अल. (२००९). "फ़ाइव इयर विल्किन्सन माइक्रोवेव ऐनिस्ट्रॉपी प्रोब ऑब्ज़र्वेशंस: कॉस्मोलॉजिकल इन्टर्प्रेटेशंस". ऍस्ट्रोफिज़िकल जर्नल सप्लीमेन्ट. १८०: ३३०. बिबकोड:2009ApJS..180..330K.
  3. यह महाविस्फोट की पुनरावृत्ति नहीं है? Archived 2008-09-14 at the वेबैक मशीनअमर उजाला(हिन्दी)। श्य़ामरत्न पाठक, तारा भौतिकविद
  4. महाविस्फोट सिद्धान्त[मृत कड़ियाँ]हिन्दुस्तान लाइव(हिन्दी)२७ अक्टूबर, २००९
  5. "बिग बैंग थ्यौरी क्या है?". मूल से 7 नवंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 नवंबर 2017.
  6. महाविस्फोट थ्यौरी क्या है? Archived 2009-06-21 at the वेबैक मशीनबीबीसी हिन्दी(हिन्दी)। बीबीसी संवाददाता, लंदन:ममता गुप्ता और महबूब ख़ान
  7. "ब्रह्मांड की उत्पत्ति: बिग बैंग थ्योरी". मूल से 29 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 15 जून 2020.
  8. महाविस्फोट प्रयोग के प्रणेता हैं बोस, पर नहीं मिला नोबल[मृत कड़ियाँ]। दैट्स हिन्दी॥(हिन्दी)१० सितंबर, २००८। इंडो-एशियन न्यूज सर्विस।

बाहरी कड़ियाँ

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