पृश्निगर्भ

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पृश्निगर्भ भगवान विष्णु के अवतार हैं। इनके पिता का नाम सुतप और माता का नाम पृश्नि था। स्वायम्भुव मन्वन्तर में सुतप और पृश्नि ने घोर तपस्या कर भगवान विष्णु से उनके समान पुत्र की इच्छा प्रकट की तब भगवान ने इन्हें वर दिया कि वें तीन बार इनके पुत्र बनेंगे। स्वायम्भुव मन्वन्तर में इन्हें पृश्निगर्भ नामक पुत्र प्राप्त हुआ। सुतप और पृश्नि ने दूसरा जन्म कश्यप और अदिति के रूप में पाया तब इन्हें वामन देव के रूप में संतान प्राप्ति हुई। द्वापरयुग में इन्होंने वसुदेव और देवकी के रूप में भगवान कृष्ण को संतान के रूप में पाया। पृश्निगर्भ ने ही ध्रुवलोक का निर्माण किया, जहां बाद में ध्रुव को स्थान मिला।[1][2][3]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Swami Venkatesananda (1989). The Concise Śrīmad Bhāgavataṁ. SUNY Press. पृ॰ 238. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 1438422830. अभिगमन तिथि 24 June 2013.
  2. A. C. Bhaktivedanta Swami Prabhupāda. Krsna. Taylor & Francis. पृ॰ 30. अभिगमन तिथि 24 June 2013.
  3. "कृष्णकोश". मूल से 30 अक्तूबर 2020 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 सितम्बर 2020.