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परवरिश क्या है

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परवरिश (Parenting) एक ऐसा व्यवहार है जिसको माता पिता अपने बच्चे पर अपनाते हैं। इस व्यव्हार के द्वारा बच्चे के सभी पहलुओं का ध्यान रखा जाता है। यह एक ऐसी क्रिया है जो बालक में बचपन से लेकर प्रौढ़ावस्था तक चलती है। इसके अंतर्गत शारीरिक, मानसिक, तथा सामजिक सभी पहलु शामिल होते हैं। हम सभी के जीवन में परवरिytoश का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है। हमारा व्यवहार, आदतें और रहने का तरीका आदि सभी चीज़ें परवरिश के ज़रिये ही हमें मिल पाती हैं।

बच्चों की परवरिश जिस प्रकार के वातावरण में होगी, बच्चे का जीवन भी उसी प्रकार का होगा। अर्थात बच्चों की मानसिक स्थिति, स्वस्थ्य, आत्मसम्मान आदि सभी उनकी परवरिश पर ही निर्भर करते हैं। बच्चों की परवरिश अलग-अलग प्रकार की होने की वजह से ही उनमें-अलग अलग गुण पाए जाते हैं। परवरिश कई प्रकार से की जाती है और उन सभी परवरिश के तरीकों को हम परवरिश की शैलियों का नाम देते हैं।

परवरिश की शैलियां (Parenting Styles)

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परवरिश की शैलियां चार प्रकार की होती हैं। इन सभी शैलियों के अंतर्गत बच्चों का पालन-पोषण अलग प्रकार से किया जाता है। परवरिश की शैलियाँ इस प्रकार से हैं-

  1. साधिकारत्मक परवरिश शैली (Authoritative Parenting Style)
  2. सत्तावादी परवरिश शैली (Authoritarian Parenting Style)
  3. अनुज्ञानात्मक परवरिश शैली (Indulgent Parenting Style)
  4. असावधानीपूर्ण परवरिश शैली (Neglectful Parenting Style)

शिशु के जन्म से लेकर उसके वयस्क होने तक उसे शिक्षित एवं संस्कारित करना पालन-पोषण या बाल संस्कार (पैरेन्टिंग) कहलाता है।

अधिकांश शिशु एवं बालक/बालिका अपने माता-पिता के साथ रहते हैं। कुछ शिशुओं के साथ उनके दादा-दादी या नाना-नानी भी रहते हैं। किन्तु कुछ स्थितियों में सरकार या स्वयंसेवी संस्थायें बच्चों देखभाल करती हैं।

माता-पिता के कर्तव्य

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शारीरिक सुरक्षा प्रदान करना

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  • भोजन, वस्त्र एवं आवास प्रदान करना
  • शिशु को खतरों से बचाना
  • शिशु को रोगों से बचाना

शारीरिक विकास

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  • बच्चे के लिये स्वास्थ्यवर्धक वातावरण प्रदान करना
  • उन साधनों की व्यवस्था जो शारीरिक विकास के लिये आवश्यक हैं।
  • बच्चे को खेलों में से परिचित कराना एवं प्रशिक्षित करना
  • स्वास्थ्यकर आदतें विकसित करना

मानसिक सुरक्षा प्रदान करना

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  • शांतिपूर्ण वातावरण प्रदान करना
  • घर में न्यायप्रद वातावरण देना
  • ऐसा वातावरण देना जिसमें कोई डर, धमकी या बच्चे के साथ कोई दुराचरण न हो
  • बच्चे को दुलार

मानसिक विकास के लिये प्रयत्न करना

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  • पढना, लिखना, गणना करना सिखाना
  • मानसिक खेल
  • सामाजिक दक्षता एवं संस्कार
  • नैतिक एवं आध्यात्मिक विकास


इन्हें भी देखें

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1. (Jamia, CRSU, IPU, DU, MDU)

2. परवरिश की शैली (Wikipedia)

4.[[Parenting Phase.] The biggest challenge for young parents is balancing their job and family life.because many jobs require long hours and successful employees can be required to travel frequently on short notice, which can obviously set back the flexibility of working schedules for parents trying to juggle work, home and childcare responsibilities.