पद्मजा नायडू
पद्मजा नाइडू (1900 - 2 मई 1975[1]) भारतीय राजनीतिज्ञ सरोजिनी नायडू की सुपुत्री थीं।[2] उन्होने अपनी माँ की तरह भारत के हितों के लिए खुद को समर्पित कर दिया था। केवल इक्कीस वर्ष की उम्र में वे भारत की राष्ट्रीय राजनीति में प्रवेश कर कई थीं, जब उन्हें भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की हैदराबाद इकाई का संयुक्त संस्थापक बनाया गया। उन्होने विदेशी सामानों के बहिष्कार करने और खादी को अपनाने हेतु लोगों को प्रेरित करने का संदेश दिया और समर्पित अभियान में शामिल हुई। वे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण जेल भी गई। स्वतन्त्रता के पश्चात वे पश्चिम बंगाल की राज्यपाल बनीं। उन्होने आधी सदी से भी ज्यादा सार्वजनिक जीवन जिया, इस दौरान वे रेड क्रॉस से भी जुड़ीं और 1971 से 1972 तक वे इसकी अध्यक्ष भी रहीं।[3]
उनके नाम पर दार्जिलिंग में पद्मजा नायडू हिमालयन प्राणी उद्यान है।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Land and People of Indian States and Union Territories - Gopal Bhargava - Google Books. Books.google.de. मूल से 7 दिसंबर 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24.10.2013.
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में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद) - ↑ "Biography". मूल से 23 अक्तूबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 अक्तूबर 2013.
- ↑ Two Alone, Two Together, By Sonia Gandhi, 2004 pg. 18 ISBN 978-0143032458
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