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पचौली

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पचौली के पौधे की पत्तियाँ और फूल

पचौली (वानस्पतिक नाम : Pogostemon cablin) एक पौधा है जिसके पत्तियों से तेल निकाला जाता है जिसका प्रयोग बड़े पैमाने में मादक और गैर मादक पदार्थों जैसे केन्डी, दूध से बनी मिठाई, वेक्ड पदार्थ में संघटक के रूप में किया जाता है। साथ ही इसका उपयोग साबुन, इत्र, बाँडी लोशन, सेविंग लोशन, डिटर्जेंट, तंबाखू और सुंगध में भी किया जाता है। पचौली की ताजी पत्तियों का काढ़ा बनाकर उपयोग किया जाता है।

पचौली पुदीना जाति का झाड़ीदार शाकीय पौधा है। इससे प्राप्त तेल के लिए इसकी खेती की जाती है। पचौली तेल का उपयोग बड़े पैमाने में संघटक के रूप में किया जाता है। पचौली तेल को चंदन तेल के साथ मिलाने पर सर्वश्रेष्ठ अत्तर प्राप्त होता है।

यह मूल रूप से फिलीपिन्स का पौधा है। यह पौधा मलेशिया, इंडोनेशिया और सिंगापुर में जंगली रूप से बढ़ता है। यह प्राकृतिक रूप से पैरग्वे, पैनांग, वेस्टइंडीज में फैला हुआ है। यह पौधा भारत में 1942 में टाटा ऑयल मिल्स के द्दारा प्रस्तुत किया गया था।

पचौली की पत्तियों की तेल को विभिन्न प्रकार से उपयोग में लाया जाता है | इसे कई प्रकार के कॉस्मेटिक पदार्थों के अलावा भाप लेने के लिए, एयर फ्रेशनर की तरह, नहाने के पानी में और बालों से डैंड्रफ को ख़त्म करने के लिए भी किया जाता है |[1] Archived 2021-06-02 at the वेबैक मशीन

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