नानाभाई भट्ट (लोकभारती)
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नरसिंह प्रसाद कालिदास भट्ट | |
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जन्म |
11 नवम्बर 1882 भावनगर, गुजरात, भारत |
मौत |
31 दिसम्बर 1961 भावनगर, गुजरात, भारत |
प्रसिद्धि का कारण | शिक्षा सुधार, ग्राम कल्याण, दक्षिणामूर्ति, लोकभारती |
नरसिंह प्रसाद कालिदास (जिन्हें नानाभाई भट्ट के नाम से जाना जाता है।) प्रख्यात शिक्षाविद्, विचारक, स्वतंत्रता सेनानी और एक रचनात्मक लेखक थे। उनका जन्म ११ नवम्बर १८८२ को भावनगर में हुआ। नानाभाई, गिजुभाई बधेका और हरभाई त्रिवेदी के समकालीन और भावनगर की मशहूर त्रिमूर्ति थे जिन्होंने भारत में शिक्षा सुधार, ग्रामीण विकास और बाल शिक्षा के क्षेत्र में महान प्रेरणा और दृष्टि छोड़ी। नानाभाई भट्ट दक्षिणमूर्ति विद्यार्थी भवन/दक्षिणार्थी विनय मंदिर - भावनगर, ग्राम दक्षिणामूर्ति - अम्बाला और सिहोर ब्लॉक सनोसारा स्थित लोकभारती, भावनगर जैसी प्रतिष्ठित और अद्वितीय शैक्षिक संस्थानों के संस्थापक रहे।[1]
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अमरेश दत्ता. The Encyclopaedia Of Indian Literature (Volume one (A To Devo), Volume 1 [भारतीय साहित्य का विश्वकोश (प्रथम भाग)] (अंग्रेज़ी में). साहित्य अकादमी. पृ॰ 473. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-260-1803-1. मूल से 24 दिसंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 अप्रैल 2014.