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तारिम द्रोणी

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तारिम द्रोणी
अंतरिक्ष से तारिम द्रोणी की तस्वीर
तारिम क्षेत्र में मिला खरोष्ठी में लिखा एक काग़ज़ का टुकड़ा (दूसरी से पाँचवी सदी ईसवी)

तारिम द्रोणी या तारिम बेसिन मध्य एशिया में स्थित एक विशाल बंद जलसंभर इलाका है जिसका क्षेत्रफल ९०६,५०० वर्ग किमी है (यानि सम्पूर्ण भारत का लगभग एक-चौथाई क्षेत्रफल)।[1] वर्तमान राजनैतिक व्यवस्था में तारिम द्रोणी चीनी जनवादी गणराज्य द्वारा नियंत्रित श़िंजियांग उइग़ुर स्वराजित प्रदेश नाम के राज्य में स्थित है। तारिम द्रोणी की उत्तरी सीमा तियाँ शान पर्वत श्रंखला है और दक्षिणी सीमा कुनलुन पर्वत श्रंखला है। कुनलुन पर्वत श्रंखला तारिम द्रोणी के इलाक़े को दक्षिण में स्थित तिब्बत के पठार से विभाजित करती है। तारिम द्रोणी का अधिकतर क्षेत्र रेगिस्तानी है और हलकी आबादी वाला है। यहाँ ज़्यादातर लोग उइग़ुर और अन्य तुर्की जातियों के हैं।

तारिम द्रोणी और उत्तर भारत

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तारिम द्रोणी का उत्तर भारत और पाकिस्तान के साथ गहरा ऐतिहासिक और आनुवंशिकी (यानि जॅनॅटिक) सम्बन्ध है। यहाँ पर पाई गई लगभग सारी प्राचीन लिखाई खरोष्ठी लिपि में है, बोले जाने वाली प्राचीन भाषाएँ तुषारी भाषाएँ थीं जो भाषावैज्ञानिक दृष्टि से हिन्द-आर्य भाषाओं की बहनें मानी जाती हैं और जितने भी प्राचीन शव मिले हैं उनमें हर पुरुष का आनुवंशिकी पितृवंश समूह आर१ए१ए है जो उत्तर भारत के ३०-५०% पुरुषों में भी पाया जाता है, लेकिन पूर्वी एशिया की चीनी, जापानी और कोरियाई आबादियों में और पश्चिमी एशिया की अरब आबादियों में लगभग अनुपस्थित है।

इतिहासकारों का मानना है के, क्योंकि तारिम द्रोणी बेहद शुष्क क्षेत्र है और चारों तरफ से ऊंचे पहाड़ों के घिरा हुआ है, यह शायद एशिया का अंतिम इलाक़ा था जहाँ मनुष्यों का वास हुआ। वहाँ बसने से पहले यह आवश्यक था के मानव सभ्यता में पानी के रख-रखाव और एक स्थान से दुसरे स्थान तक यातायात की तकनीके विकसित हों।[2] तारिम के क्षेत्र में स्थित शियाओहे समाधिक्षेत्र में कई प्राचीन शव मिले हैं जो इस इलाक़े की शदीद शुष्कता के कारण मम्मी बन चुके हैं और इसलिए साबुत हैं। इन शरीरों के डी॰एन॰ए॰ की जाँच करने पर पता चला है के कांस्य युग से ही यहाँ पर बसने वाले प्राचीन लोग पश्चिमी और पूर्वी यूरेशिया की जातियों का मिश्रण थे। यहाँ के लोग मातृवंश की ओर से ज़्यादातर पूर्वी यूरेशिया के मातृवंश समूह सी (यानि हैपलोग्रुप C) के थे, लेकिन इनमें कुछ-कुछ मातृवंश समूह एच (हैपलोग्रुप H) और मातृवंश समूह के (हैपलोग्रुप K) से भी थे। पितृवंश की ओर से यहाँ के सभी पुरुष पितृवंश समूह आर१ए१ए (हैपलोग्रुप R1a1a) के पाए गएँ हैं, जो कि उत्तर भारत में आम है। माना जाता है के पश्चिम और पूर्व की यूरेशियाई जातियों का यह मिश्रण तारिम में नहीं बल्कि दक्षिण साइबेरिया में हुआ और वहाँ से यह मिश्रित जाती तारिम में जा बसी।[3] तारिम में हिंद-आर्य भाषाओँ से पारिवारिक सम्बन्ध रखने वाली तुषारी भाषाएँ बोली जातीं थीं।

अन्य भाषाओँ में

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तारिम द्रोणी को अन्य भाषाओँ में इन नामों से जाना जाता है -

द्रोणी या जलसंभर उस भौगोलिक क्षेत्र को कहते हैं जहाँ वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी नदियों, नेहरों और नालों से बह कर एक ही स्थान पर एकत्रित हो जाता है। भारत में यमुना का जलसंभर वह क्षेत्र है जहाँ यमुना नदी में विलय हो जाने वाले सारे नदी नाले फैले हुए हैं और जिसके अंत से केवल यमुना नदी ही निकास करती है। बंद जलसंभर ऐसा जलसंभर होता है जिसमें वर्षा अथवा पिघलती बर्फ़ का पानी एकत्रित हो कर किसी नदी के ज़रिये समुद्र या महासागर में बहने की बजाय किसी सरोवर, दलदली क्षेत्र या शुष्क क्षेत्र में जाकर वहीँ रुक जाता है। अंग्रेज़ी में "द्रोणी" को "बेसिन" (basin), "जलसंभर" को "वॉटरशॅड" (watershed) या "कैचमेंट" (catchment) और बंद जलसंभर को "एनडोरहेइक बेसिन" (endorheic basin) कहा जाता है।

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. "Encyclopedia Britannica". Archived from the original on 11 मई 2015. Retrieved 16 अप्रैल 2011.
  2. Wong, Edward (2009-07-12). "Rumbles on the Rim of China's Empire". www.nytimes.com. Archived from the original on 4 दिसंबर 2011. Retrieved 2009-07-13. {{cite news}}: Check date values in: |archive-date= (help)
  3. Li, Chunxiang. "Evidence that a West-East admixed population lived in the Tarim Basin as early as the early Bronze Age". BMC Biology. Archived from the original on 22 मार्च 2010. Retrieved 17 फ़रवरी 2010.