तारकीय आंधी

तारकीय आंधी आणविक या आयोनित गैस के उस प्रवाह को कहते हैं जो किसी तारे के ऊपरी वायुमंडल से तारे के बाहर के व्योम में बहता है।[1] इस आंधी से तारों का द्रव्यमान तीव्र या धीमी गति से कम होता रहता है। भिन्न प्रकार के तारों की अलग-अलग तरह की तारकीय आंधियाँ होती हैं:
- मुख्य अनुक्रम के बाद के मरते हुए लाल दानव या महादानव तारे अक्सर बड़ी मात्रा में लेकिन धीमी गति से अपना द्रव्य को बाहर उछालते हैं। मिसाल के लिए ऐसे तारे हर वर्ष हमारे सूरज के द्रव्यमान का हजारवाँ हिस्सा १० किलोमीटर प्रति सैकिंड की गति की तारकीय आंधी के ज़रिये शून्य में फेंक सकते हैं। इन तारों की ऊपरी सतह पर लम्बे अरसे के नाभिकीय संलयन (न्यूक्लीयर फ्यूज़न) के बाद बहुत खगोलीय धूल बनकर जमती है जो विकिरण (रेडियेशन) के दबाव से बाहर फेंकी जाती है।
- O और B श्रेणी के बड़े तारों से जो आंधियाँ उत्पन्न होती हैं उनमें द्रव्यमान कम तादाद में बहता है (हर वर्ष सूरज का दस लाखवाँ हिस्सा) लेकिन उसकी गति बहुत तेज़ होती है (२,००० किलोमीटर प्रति सैकिंड)। इन आँधियों के वर्णक्रम (स्पेक्ट्रम) का अध्ययन करके ज्ञात हुआ है के इनमें कार्बन और नाइट्रोजन जैसे भारी तत्व मौजूद होते हैं।
- पृथ्वी के सूरज जैसे G श्रेणी के तारों में आंधी उनके बाहरी प्लाज़्मा के वायुमंडल (जिसे कोरोना कहते हैं) के चुम्बकीय प्रभाव के कारण बाहर बहती है। हमारे सूरज की तारकीय आंधी को "सौर आंधी" कहा जाता है। इन आँधियों में अधिक शक्ति वाले ऍलॅक्ट्रॉन और प्रोटॉन होते हैं जो कोरोना के ऊँचे तापमान से उत्तेजित होकर तारे के गुरुत्वाकर्षक बंधन को तोड़कर व्योम में बह जाते है।
हमारे सूरज जैसे मुख्य अनुक्रम तारों पर तारकीय आंधियों का अधिक असर नहीं होता लेकिन O श्रेणी जैसे भीमकाय तारे इन आँधियों के द्वारा अपना आधे से भी अधिक द्रव्यमान खो सकते हैं, जिसका तारे के जीवन में आगे जाकर भारी प्रभाव होता है। मिसाल के लिए कुछ तारे जिनको अपने द्रव्यमान के कारण आगे चलकर महानोवा (सुपरनोवा) विस्फोट में ध्वस्त हो जाना चाहिए अपनी आंधी से इतना द्रव्य खो देते हैं कि अपने जीवन के अंतिम काल में महानोवा की बजाए सफ़ेद बौने बन जाते हैं।[2]
अन्य भाषाओँ में
[संपादित करें]"तारकीय आंधी" को अंग्रेज़ी में "स्टॅलर विंड" (stellar wind) और फ़ारसी में "बाद-ए-सिताराए" (ur) कहते हैं।
इन्हें देखिये
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Henny J. G. L. M. Lamers, Joseph P. Cassinelli. "Introduction to stellar winds". Cambridge University Press, 1999. ISBN 9780521595650.
- ↑ Paul Murdin, Lesley Murdin. "Supernovae". Cambridge University Press, 1985. ISBN 9780521300384.
... It seems that stars of up to 8 solar masses can lose enough matter by stellar winds to drop below the critical Chandrasekhar Limit of 1.4 solar masses and therefore become white dwarfs ...