हरसौंठ

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हरसौंठ

हरसौंठ (जिप्सम) (Ca SO4, 2H2o) एक तहदार खनिज है जिसे 'सैलैनाइट' भी कहते हैं। रासायनिक संरचना की दृष्टि से यह कैल्सियम का सल्फेट है, जिसमें जल के भी दो अणु रहते हैं। गरम करने से जल के अणु निकल जाते हैं और यह अजल हो जाता है। आकृति में यह दानेदार संगमर्मर सदृश होता है। ऐसे हरसौंठ को सेलेनाइट या सेलखड़ी (अलाबास्टर) कहते हैं। नमक की खानों में नमक के साथा हरसौंठ भी मिला रहता है। समुद्र के पानी में भी हरसौंठ रहता है। समुद्री पानी को सुखाने पर जो लवण प्राप्त होते हैं उनमें हरसौंठ के मणिभ पाए जाते हैं।

प्राप्ति[संपादित करें]

हरसौंठ की एक किस्म, सेलेनाइट, दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के अंडामूका पर्वत शृंखला से

यह खनिज विशेषतः ऊसर भूमि और शुष्क भागों में अधिक पाया जाता है। हरसौंठ संसार के अन्य देशों में प्रचुरता से पाया जाता है। भारत में राजस्थान, गुजरात, तमिलनाडु और बिहार में इसके निक्षेप मिले हैं।

उपयोग[संपादित करें]

  • इसके स्वच्छ टूटे पट्टों का उपयोग सेलों के वर्गीकरण में तथा सेलों के प्रकाशीय नियतांकों के निर्धारण में होता है।

गुणधर्म[संपादित करें]

हरसौंठ के मणिभ प्रिज्म के आकार के या नलाकार होते हैं। अनेक स्थलों में सेलेनाइट के सुंदर, सूक्ष्म मणिभ पाए गए हैं।

हरसौंठ कोमल होता है। नखों से इसपर खरोच पड़ जाती है। इसकी कठोरता 1.5 से 2 तक होती है तथा विशिष्ट गुरुत्व 2.3 के लगभग। यह जल में अल्प विलेय होता है। हरसौंठ से होकर बहते हुए पानी में हरसौंठ का कुछ अंश घुला हुआ रहता है, जिससे पानी कठोर हो जाता है।

शुद्ध हरसौंठ सफेद या वर्णरहित होता है। पर साधारण: अपद्रव्यों के कारण इसका रंग धूसर, पीला या गुलाबी दिखाई देता है। यदि 75% जल निकालकर हरसौंठ को पीस डाला जाए तो उत्पाद प्लास्टर ऑव पैरिस के नाम से व्यापक रूप से सीमेंट के रूप में प्रयुक्त होता है। हरसौंठ को प्लास्टर पत्थर या साँचा पत्थर भी कहते हैं क्योंकि इस प्लास्टर ऑव पैरिस बड़ी मात्रा में और साँचे बड़ी संख्या में बनते हैं।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]