जसवंत सिंह रावत

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राइफलमैन
जसवंत सिंह रावत
महावीर चक्र
जन्म 19 अगस्त 1941
बरयूं, ब्रिटिश गढ़वाल जिला, संयुक्त प्रांत, ब्रितानी राज
(वर्तमान- धुमाकोट पौड़ी गढ़वाल जिला, उत्तराखंड, भारत)
देहांत 17 नवम्बर 1962(1962-11-17) (उम्र 21)
नूरानांग, नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर एजेंसी, भारत
(वर्तमान अरुणाचल प्रदेश, भारत)
निष्ठा भारत भारत गणराज्य
सेवा/शाखा  भारत सेना
सेवा वर्ष 1
उपाधि राइफलमैन
दस्ता चौथी गढ़वाल राइफल्स
युद्ध/झड़पें भारत-चीन युद्ध
सम्मान Maha Vir Chakra ribbon.svg महावीर चक्र

राइफलमैन जसवंत सिंह रावत, एमवीसी (19 अगस्त 1941 - 17 नवंबर 1962) भारतीय थलसेना में सेवारत एक भारतीय सेना के गढ़वाल राइफल्स में सैनिक थे, जिन्हें अरुणाचल प्रदेश में 1962 भारत-चीन युद्ध में नूरानांग की लड़ाई के दौरान उनके कार्यों के परिणामस्वरूप मरणोपरांत प्रतिष्ठित महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। [1] भारत चीन युद्ध के दौरान जसवंत सिंह रावत जी ने अकेले ही अपनी पोस्ट बदल बदल कर चीनी सैनिकों इस भ्रम में रखा की अभी भारत के काफी जवान वहां पर है जो कई जगहों से गोलियां चला रहे है क्योंकि जसवंत सिंह ने सभी पोस्ट पर रायफल रख दी थी और पोस्ट बदल बदल कर कई जगहों से अकेले ही गोलियां चला रहे थे इस तरह से उन्होंने अकेले ही लगभग 300 चीनी सैनिकों को मार गिराया । जब इस बात की जानकारी जसवंत सिंह को राशन पहुंचाने वाले को चीनी सैनिकों द्वारा पकड़े जाने पर चीनी कमांडर को पता चली तो वह बहुत क्रोधित हुआ और जसवंत सिंह की ओर चीनी सैनिक भेज दिए लेकिन तब तक जसवंत सिंह के पास कारतूस खत्म हो चुके थे उन्होंने चीनी सैनिकों को अपनी तरफ आते देख खुद ही अपने गोली मार ली और वह वीरगति को प्राप्त हो गए ।


सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "72 Hours: A Movie On Jaswant Singh, The Man Who Saved Arunachal Pradesh From The Chinese". IndiaTimes (अंग्रेज़ी में). 2016-04-13. अभिगमन तिथि 2020-07-12.