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छद्म विज्ञान

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(छद्म-विज्ञान से अनुप्रेषित)
वैज्ञानिक पद्धति परिकल्पना, भविष्यवाणी, परीक्षण और पूछताछ का एक निरंतर चक्र है।

छद्म विज्ञान (अंग्रेज़ी: pseudoscience) एक ऐसे दावे, आस्था या प्रथा को कहते हैं जिसे विज्ञान की तरह प्रस्तुत किया जाता है, पर जो वैज्ञानिक विधि का पालन नहीं करता है।[1][2][3] अध्ययन के किसी विषय को अगर वैज्ञानिक विधि के मानदण्डों के संगत प्रस्तुत किया जाए, पर वो इन मानदण्डों का पालन नहीं करे तो उसे छद्म विज्ञान कहा जा सकता है।[4] छद्म विज्ञान हानिकारक हो सकता है। टीके विरोधी टीके छद्म वैज्ञानिक अध्ययन प्रस्तुत करते हैं जो टीकों की सुरक्षा पर गलत तरीके से सवाल उठाते हैं। बिना किसी सक्रिय तत्त्व के होम्योपैथिक उपचार को घातक बीमारियों के उपचार के रूप में बढ़ावा दिया गया है।

छद्म विज्ञान के ये लक्षण हैं: अस्पष्ट, असंगत, अतिरंजित या अप्रमाण्‍य दावों का प्रयोग; दावे का खंडन करने के कठोर प्रयास की जगह पुष्टि पूर्वाग्रह रखना, विषय के विशेषज्ञों द्वारा जांच का विरोध; और सिद्धांत विकसित करते समय व्यवस्थित कार्यविधि का अभाव। छद्म विज्ञान शब्द को अपमानजनक माना जाता है,[5] क्योंकि ये सुझाव देता है किसी चीज को गलत या भ्रामक ढ़ंग से विज्ञान दर्शाया जा रहा है। इसलिए, जिन्हें छद्म विज्ञान का प्रचार या वकालत करते चित्रित किया जाता है, वे इस चित्रण का विरोध करते हैं।[6]

विज्ञान एम्पिरिकल अनुसन्धान (अंग्रेज़ी: empirical research) से प्राकृतिक जगत में अंतर्दृष्टि देता है। इसलिए ये देव श्रुति, धर्मशास्त्र और अध्यात्म से बिलकुल अलग है।[7]

सन्दर्भ

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  1. "pseudoscience". Oxford Dictionaries (अंग्रेज़ी में). Oxford Dictionaries. मूल से 23 नवंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2015.
  2. Hansson, Sven Ove (2015). "Science and Pseudo-Science, Section 3.2: Non-science posing as science". The Stanford Encyclopedia of Philosophy (अंग्रेज़ी में). The Stanford Encyclopedia of Philosophy. मूल से 5 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2015. Many writers on pseudoscience have emphasized that pseudoscience is non-science posing as science. The foremost modern classic on the subject (Gardner 1957) bears the title Fads and Fallacies in the Name of Science. According to Brian Baigrie (1988, 438), "[w]hat is objectionable about these beliefs is that they masquerade as genuinely scientific ones." These and many other authors assume that to be pseudoscientific, an activity or a teaching has to satisfy the following two criteria (Hansson 1996): (1) it is not scientific, and (2) its major proponents try to create the impression that it is scientific.
  3. Shermer, Michael (1998). Why people believe weird things : pseudoscience, superstition, and other confusions of our time (अंग्रेज़ी में) (5. print संस्करण). New York: Freeman. पपृ॰ 17, 33. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0-7167-3090-1. "claims presented so that they appear [to be] scientific even though they lack supporting evidence and plausibility"(p. 33). In contrast, science is "a set of methods designed to describe and interpret observed and inferred phenomena, past or present, and aimed at building a testable body of knowledge open to rejection or confirmation"(p. 17) Shermer 1997, (this was the definition adopted by the National Science Foundation).
  4. Martin Curd; Jan Cover (1998). Philosophy of Science: The Central Issues (अंग्रेज़ी में). W. W. Norton & Company. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0393971759.
  5. Hill, Sharon (January 30, 2013). "The Trouble with Pseudoscience—It Can Be a Catastrophe". Skeptical Inquirer (अंग्रेज़ी में). मूल से 22 नवंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2015.
  6. Hansson, Sven Ove (2015). "Science and Pseudoscience, Section 2: The "science" of pseudoscience". The Stanford Encyclopedia of Philosophy (अंग्रेज़ी में). The Stanford Encyclopedia of Philosophy. मूल से 5 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2015.
  7. Gould, Stephen Jay (1997). "Nonoverlapping Magisteria". Natural History (अंग्रेज़ी में). 106: 16–22. मूल से 4 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 नवंबर 2015.

बाहरी कड़ियाँ

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