चौधरी बीरड़ दास बैरागी

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

चौ. बीरड़दास बैरागी ‌1857 की क्रांति के क्रांतिकारी थे[1][2] अंग्रेजों के विरुद्ध हांसी क्षेत्र में विद्रोह करने के कारण फ्लैग मार्च में अंग्रेजों ने इन्हें तोप के आगे बाँध कर उडा़ दिया गया।[3] ब्रिटिश राज से आज़ादी पाने के लिए रोहनात गांव से हिस्सा लेने वालों में प्रमुख स्वामी बिरहड़दास वैरागी थे।[4]

इतिहास[संपादित करें]

गाँव रोहनात, तहसील हांसी, जिला हिसार पूरे देश में मात्र एक गाँव है जो मुख्य रूप से रंगहर या परमार राजपूतों द्वारा बसाए गए थे जिसके समस्त लोग 1857 की क्रान्ति में शामिल हुए।[5] अंग्रेजी शासन के दोबारा स्थापित होने पर 20 जुलाई 1858 को इस गाँव के 50-60 की संख्या में वीरों को जंजीरों से जकड़ कर हांसी की लाल सड़क पर रोलर से पीस दिया गया। इस गाँव के तीन नेता चौधरी न्योणदा राम बूरा, चौधरी बिरड़ दास बैरागी तथा रूपा खाती व अन्य को फाँसी पर लटका दिया गया था[6]

29 मई 1857 को हरियाणा के रोहनात गांव में ब्रिटिश फ़ौजने बदला लेने के इरादे से एक बर्बर ख़ूनख़राबे को अंजाम दिया था। बदले की आग में ईस्ट इंडिया कंपनी के घुड़सवार सैनिकों ने पूरे गाँव को नष्ट कर दिया। गांव के घरों को तबाह करने के लिए आठ तोपों से गोलें बरसाए गए। जिसके डर से औरतें और बच्चे बुजुर्गों को छोड़ कर गांव से भाग गए।

अंधाधुंध दागे गए गोलों की वजह से लगभग 100 लोग मारे गए। पकड़े गए कुछ लोगों को गांव की सरहद पर पुराने बरगद के पेड़ से लटका कर फ़ांसी दे दी गई।

जिसने भी ब्रिटिश अधिकारियों को मारने की बात कबूल की, उन्हें तोप से बांध कर उड़ा दिया गया। इस घटना के महीनों बाद तक यहां कोई इंसान नज़र नहीं आया। पूरे गांव की ज़मीन को नीलाम कर दिया गया। अंग्रेजों का कहर यहीं खत्म नहीं हुआ। पकड़े गए कुछ लोगों को हिसार ले जा कर खुले आम बर्बर तरीके से एक बड़े रोड रोलर के नीचे कुचलन दिया गया, ताकि भविष्य में ये बागियों के लिए सबक बने।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "हरियाणा का वो गांव जो तिरंगा नहीं लहराता है". BBC News हिंदी. अभिगमन तिथि 2021-05-28.
  2. "आजादी के संग्राम में गांव रोहनात के बलिदान को भुलाया नहीं जा सकता: मनोहर लाल". Amar Ujala. अभिगमन तिथि 2021-05-28.
  3. "इतिहास | जिला हिसार, हरियाणा सरकार | भारत". अभिगमन तिथि 2021-05-28.
  4. Service, Tribune News. "1857 mutiny: Descendants of Rohnat villagers await compensation". Tribuneindia News Service (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2021-05-28.
  5. https://www.tribuneindia.com/news/archive/haryanatribune/1857-mutiny-descendants-of-rohnat-villagers-await-compensation-616184
  6. https:///amp/s/m.haryana.punjabkesari.in/bhiwani/news/article-386646%3famp