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ग्रहीय मण्डल

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एक काल्पनिक ग्रहीय मण्डल
एक और काल्पनिक ग्रहीय मण्डल का नज़दीकी दृश्य - इसमें पत्थर, गैस और धूल अपने तारे के इर्द-गिर्द परिक्रमा कर रहें हैं

ग्रहीय मण्डल किसी तारे के इर्द गिर्द परिक्रमा करते हुई उन खगोलीय वस्तुओं के समूह को कहा जाता है जो अन्य तारे न हों, जैसे की ग्रह, बौने ग्रह, प्राकृतिक उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्का, धूमकेतु और खगोलीय धूल[1][2] हमारे सूरज और उसके ग्रहीय मण्डल को मिलाकर हमारा सौर मण्डल बनता है।[3][4]

अन्य भाषाओँ में

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"ग्रहीय मण्डल" को अंग्रेजी में "प्लैनॅटेरी सिस्टम" (planetary system) और अरबी-फ़ारसी में "निज़ाम कौकबी" (نظام كوكبي‎) कहते हैं।[उद्धरण चाहिए]

ग्रहीय मण्डल की शुरुआत

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ग्रहीय मण्डल उसी प्रक्रिया से बनते हैं जिस से तारों की सृष्टि होती है। आधुनिक खगोलशास्त्र में माना जाता है के जब अंतरिक्ष में कोई अणुओं का बादल गुरुत्वाकर्षण से सिमटने लगता है तो वह किसी तारे के इर्द-गिर्द एक आदिग्रह चक्र (प्रोटोप्लैनॅटेरी डिस्क) बना देता है। पहले अणु जमा होकर धूल के कण बना देते हैं, फिर कण मिलकर डले बन जाते हैं। गुरुत्वाकर्षण के लगातार प्रभाव से, इन डलों में टकराव और जमावड़े होते रहते हैं और धीरे-धीरे मलबे के बड़े-बड़े टुकड़े बन जाते हैं जो वक़्त से साथ-साथ ग्रहों, उपग्रहों और अलग वस्तुओं का रूप धारण कर लेते हैं।[5] जो वस्तुएँ बड़ी होती हैं उनका गुरुत्वाकर्षण ताक़तवर होता है और वे अपने-आप को सिकोड़कर एक गोले का आकार धारण कर लेती हैं। किसी ग्रहीय मण्डल के सृजन के पहले चरणों में यह ग्रह और उपग्रह कभी-कभी आपस में टकरा भी जाते हैं, जिस से कभी तो वह खंडित हो जाते हैं और कभी जुड़कर और बड़े हो जाते हैं। माना जाता है के हमारी पृथ्वी के साथ एक मंगल ग्रह जितनी बड़ी वस्तु का भयंकर टकराव हुआ, जिस से पृथ्वी का बड़ा सा सतही हिस्सा उखाड़कर पृथ्वी के इर्द-गिर्द परिक्रमा कक्षा में चला गया और धीरे-धीरे जुड़कर हमारा चन्द्रमा बन गया।[उद्धरण चाहिए]

खगोलशास्त्रियों का मनाना है के कभी-कभी गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव ऐसे भी होते हैं के कोई ग्रह या उपग्रह गुलेल की तरह अपने तारे के पास से दूर अंतरिक्ष में फेंक दिया जाता है और ग्रहीय मण्डल का हिस्सा नहीं रहता।[उद्धरण चाहिए]

कुछ ग्रहीय मण्डल

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सन् १९९२ तक वैज्ञानिक केवल एक ही ग्रहीय मण्डल के बारे में जानते थे - हमारा अपना सौर मण्डल। इसके अलावा किसी अन्य तारे के इर्द-गिर्द कोई ग्रह ज्ञात नहीं था। लेकिन तब से बहुत से ग्रहीय मण्डल मिल चुके हैं।[उद्धरण चाहिए]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. p. 394, The Universal Book of Astronomy, from the Andromeda Galaxy to the Zone of Avoidance, David J. Dsrling, Hoboken, New Jersey: Wiley, 2004. ISBN 0471265691.
  2. p. 314, Collins Dictionary of Astronomy, Valerie Illingworth, London: Collins, 2000. ISBN 0-00-710297-6.
  3. p. 382, Collins Dictionary of Astronomy.
  4. p. 420, A Dictionary of Astronomy, Ian Ridpath, Oxford, New York: Oxford University Press, 2003. ISBN 0-19-860513-7.
  5. planetary systems, formation of Archived 2011-06-04 at the वेबैक मशीन, David Darling, The Internet Encyclopedia of Science