क्षितिमोहन सेन
क्षितिमोहन सेन | |
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क्षितिमोहन सेन और रवीन्द्रनाथ ठाकुर | |
जन्म |
30 नवम्बर 1880 बनारस, संयुक्त प्रान्त, भारत |
मौत |
12 मार्च 1960 | (उम्र 79 वर्ष)
राष्ट्रीयता | भारतीय |
पेशा | प्राध्यापन, लेखन |
आचार्य क्षितिमोहन सेन (2 दिसम्बर 1880 – 12 मार्च 1960) भारतीय विद्वान, लेखक तथा संस्कृत के प्राध्यापक थे। वे विश्वभारती के कार्यकारी उपाचार्य थे (1953–1954)। वे अमर्त्य सेन के नाना थे।
मध्यकालीन संत साहित्य के मर्मज्ञ समीक्षकों में क्षितिमोहन सेन का अग्रणी स्थान है। उनकी गिनती अपने समय के प्रमुख संस्कृत विद्वानों में की जाती थी। बांग्ला भाषा में उत्कृष्ट लेखन के अतिरिक्त हिन्दी में भी उन्होंने 'भारतवर्ष में जाति भेद' तथा 'संस्कृति संगम' नामक कृतियाँ रची थीं। उन्हें ‘देशिकोत्तम’ की उपाधि से सम्मानित किया गया था।
परिचय
[संपादित करें]क्षितिमोहन सेन का जन्म बनारस में उनके नाना के यहाँ हुआ था। उनके पिताजी का नाम भुबनमोहन था। उनका पैतृक निवास वर्तमान बांग्लादेश के ढाका जिले में था।
उनका आरम्भिक जीवन बनारस में ही बीता। काशी के क्वीन्स कालेज से संस्कृत में एमए करने के बाद उन्होने चम्बाराज्य के शिक्षा विभाग में कार्य किया। १९०८ ई में रवीन्द्रनाथ ठाकुर के बुलाने पर विश्वभारती के ब्रह्माचर्याश्रम में योगदान करने लगे तथा विश्बभारती विद्याभवन के अध्यक्ष के रूप में शेष जीवन व्यतीत किया। कुछ दिन विश्वभारती के अस्थायी उपाचार्य पद पर भी रहे। सन १९२४ में जब रवीन्द्रनाथ चीन की यात्रा पर गये तब क्षितिमोहन भी उनके साथ थे।
कृतियाँ
[संपादित करें]भारत के मध्ययुग के रहस्यवादी सन्तों से सम्बन्धित क्षितिमोहन सेन के अनुसन्धान से हिन्दी साहित्य के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया। सन १९२९ में इस विषय पर उन्होंने कलकता विश्वविद्यालय में एक अत्यन्त उल्लेखनीय व्याख्यान शृंखला आरम्भ की। 'दादू' नाम से उन्होंने सन १९३५ में एक पुस्तक प्रकाशित की जिसका प्राक्कथन कवीन्द्र रवीन्द्रनाठ ठाकुर का था।
उनकी 'सन्तदेर बाणी', 'बाउल संगीत' एवं 'साधनतत्त्ब' उल्लेखनीय हैं।
क्षितिमोहन सेन कि कुछ प्रमुख रचनाएं ये हैं-
- कबीर (४ खण्ड ; 1910–11)
- भारतीय मध्ययुगेर साधनार धारा (भारत की मध्ययुग की साधना धारा ; 1930)
- दादु (1935)
- भारतेर संस्कृति (भारत की संस्कृति ; 1943)
- बांलार साधना (बंगला की साधना ; 1945)
- जातिभेद (1946)
- हिन्दु मुसलमानेर युक्तसाधना (हिन्दु-मुसलमान की संयुक्त साधना ; 1949)
- प्राचीन भारते नारी (प्राचीन भारत में नारी ; 1950)
- युगगुरु राममोहन
- बलाका काब्य परिक्रमा
- बांलार बाउल
- चिन्मय बंग (1957)
- मेडिभ्याल मिस्टिसिजम अफ इन्डिया (भारत का मध्ययुगीन रहस्यवाद)
- हिन्दुइज्म (1961)
- साधक ओ साधना (२००३)
पुरस्कार व सम्मान
[संपादित करें]- विश्वभारती से ‘रवीन्द्र-स्मृति स्वर्णपदक’ (१९४२) तथा प्रथम ‘देशिकोत्तम’ (१९५२)
- वर्धा की हिन्दी भाषा प्रचार समिति द्वारा ‘महात्मा गान्धी पुरस्कार’ (१९५३)
- प्रयाग के हिन्दी साहित्य सम्मेलन से ‘मुरारका पुरस्कार’ (१९५३)
- कलकता विश्वविद्यालय से ‘सरोजिनी बसु स्वर्णपदक’ (१९५४)