कुदरत (1981 फ़िल्म)
कुदरत | |
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कुदरत का पोस्टर | |
निर्देशक | चेतन आनन्द |
लेखक | चेतन आनन्द |
निर्माता | बी॰ एस॰ खन्ना |
अभिनेता |
राज कुमार, राजेश खन्ना, हेमामालिनी, विनोद खन्ना, प्रिया राजवंश, अरुणा ईरानी, देवेन वर्मा |
संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
3 अप्रैल, 1981 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
कुदरत 1981 में बनी हिन्दी भाषा की नाट्य फ़िल्म है। इसका कहानी लेखन और निर्देशन चेतन आनन्द ने किया। फ़िल्म में राजेश खन्ना और हेमामालिनी की मुख्य भूमिकाओं में हैं, जबकि राज कुमार, प्रिया राजवंश और विनोद खन्ना द्वारा सहायक भूमिकाओं को निभाया गया हैं।
संक्षेप
[संपादित करें]चन्द्रमुखी (हेमामालिनी) अपने माता पिता के साथ शिमला के एक रिज़ॉर्ट में पहली बार आती है। उसे वहाँ कुछ अजीब सा लगता है, पर वो उसका कारण पहचान नहीं पाती है। चन्द्रमुखी की मुलाक़ात डॉ॰ नरेश गुप्ता (विनोद खन्ना) से होती है। नरेश को चन्द्रमुखी पसंद आती है और परिवार वाले उन दोनों की शादी की बात करते हैं। मोहन कपूर (राजेश खन्ना) वकील बनने वाला होता है, वो भी शिमला में अपने पढ़ाई और करियर में मदद करने वाले, जनक सिंह (राज कुमार) से मिलने आता है। जनक सिंह अपनी बेटी, करुणा की शादी मोहन से करने की बात करता है और मोहन मान भी जाता है। उन दोनों की सगाई हो जाती है।
जब चन्द्रमुखी की मुलाक़ात मोहन से होती है तो उसे एहसास होता है कि उन दोनों को कोई अजीब सी कड़ी जोड़ रही है। वो और मोहन एक वृद्ध गायिका, सरस्वती देवी से मिलते हैं। वो उन्हें देख कर हैरान रह जाती है, पर कुछ नहीं बोलती है। जब जब मोहन से चन्द्रमुखी मिलती है, तब तब वो अजीब सी हरकतें करने लगती है और उसे माधव नाम का इंसान सपने में सताने लगता है, जो मोहन की तरह ही दिखते रहता है। सपने में वो देखती है कि वो इंसान एक पहाड़ से गिर कर मर गया। नरेश इस मामले में मोहन से मदद मांगता है, ताकि सच्चाई बाहर आ सके। बाद में उसे सब कुछ याद आ जाता है। उसे पता चल जाता है कि उसका नाम पिछले जन्म में पारो था और वो माधव से प्यार करती थी। ज़मीनदार का बेटा उसका बलात्कार करता है और गलती से उसकी हत्या भी कर देता है।
नरेश को एहसास हो जाता है कि अब उसे उन दोनों की जिंदगी से दूर चले जाना चाहिए। वहीं चन्द्रमुखी की मदद से मोहन को पता चल जाता है कि सरस्वती देवी असल में माधव की बहन, सत्तो है। सत्तो उन्हें बताती है कि असल हत्यारा कोई और नहीं, बल्कि जनक है। मोहन अपनी सगाई करुणा के साथ तोड़ देता है और जनक को अदालत तक ले जाता है।
बाद में पता चलता है कि जनक ही पारो और माधव के मौत का कारण था। उसने पारो के साथ बलात्कार किया और ये बात जान कर माधव ख़ुदकुशी कर लिया। पारो की लाश न मिलने के कारण मोहन अपना केस हारता हुआ दिख रहा था। मोहन उस हवेली में काम करने वाले पुराने नौकर से मिलने की कोशिश करता है। मोहन किसी तरह बिल्ली राम से मुलाक़ात करता है और वो उसे बताता है कि उस दिन जनक उसे हवेली की एक दीवार को चुनवाने के लिए बुलाया था।
मोहन उस हवेली में पुलिस के साथ आ जाता है और उस दीवार को तोड़ने लगता है। उस दीवार से कंकाल निकलता है। करुणा ये सब देख कर अपने आपको कमरे में बंद कर के आग लगा देती है। जनक को जब अपनी बेटी के मौत और पारो के कंकाल मिलने की बात पता चलता है तो वो अपना गुनाह मान लेता है। अंत में मोहन और चन्द्रमुखी एक हो जाते हैं और नरेश अमेरिका लौट जाता है।
मुख्य कलाकार
[संपादित करें]- राज कुमार — चौधरी जनक सिंह
- राजेश खन्ना — मोहन कपूर / माधव
- हेमामालिनी — चन्द्रमुखी / पारो
- विनोद खन्ना — नरेश गुप्ता
- प्रिया राजवंश — करुणा सिंह
- अरुणा ईरानी — सरस्वती 'सत्तो'
- देवेन वर्मा — प्यारेलाल
- ए के हंगल — बिल्ली राम
- ओम शिवपुरी — जज
- केष्टो मुखर्जी — जगत राम
- सत्येन्द्र कपूर — पारो के पिता
- पिंचू कपूर — चन्द्रमुखी के पिता
- राज मेहरा — पादरी
- शम्मी — सरला
- टॉम ऑल्टर — मेजर थॉमस वॉल्टर्स
- डी के सप्रू — जनक सिंह के पिता
संगीत
[संपादित करें]सभी आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा संगीतबद्ध।
क्र॰ | शीर्षक | गीतकार | गायक | अवधि |
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1. | "हमें तुमसे प्यार कितना" (पुरुष संस्करण) | मजरुह सुल्तानपुरी | किशोर कुमार | 4:00 |
2. | "तूने ओ रंगीले कैसा जादू" | मजरुह सुल्तानपुरी | लता मंगेशकर | 3:32 |
3. | "छोड़ो सनम काहे का" | मजरुह सुल्तानपुरी | एनेट पिंटो, किशोर कुमार | 5:13 |
4. | "हमें तुमसे प्यार कितना" (महिला संस्करण) | मजरुह सुल्तानपुरी | परवीन सुल्ताना | 4:53 |
5. | "सजती है यूँ ही महफिल" | मजरुह सुल्तानपुरी | आशा भोंसले | 4:41 |
6. | "दुख सुख की हर माला" | क़तील शिफाई | चन्द्रशेखर गाडगील | 5:16 |
7. | "सावन नहीं भादों नहीं" | मजरुह सुल्तानपुरी | सुरेश वाडकर, आशा भोंसले | 5:27 |
नामांकन और पुरस्कार
[संपादित करें]वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1982 | परवीन सुल्ताना ("हमें तुमसे प्यार कितना") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायिका पुरस्कार | जीत |
चेतन आनन्द | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ कथा पुरस्कार | जीत | |
जल मिस्त्री | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ छायाकार पुरस्कार | जीत | |
किशोर कुमार ("हमें तुमसे प्यार कितना") | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ पार्श्व गायक पुरस्कार | नामित |