कूचिपूड़ी
![]() नृत्यांगना वैदेही कुलकर्णी द्वारा कुचिपुड़ी नृत्य |
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कूचिपूड़ी (तेलुगू : కూచిపూడి) आंध्र प्रदेश, भारत की प्रसिद्ध नृत्य शैली है। यह पूरे दक्षिण भारत में प्रसिद्ध है। इस नृत्य का नाम कृष्णा जिले के दिवि तालुक में स्थित कुचिपुड़ी गाँव के ऊपर पड़ा, जहाँ के रहने वाले ब्राह्मण इस पारंपरिक नृत्य का अभ्यास करते थे। परम्परा के अनुसार कुचिपुडी़ नृत्य मूलत: केवल पुरुषों द्वारा किया जाता था और वह भी केवल ब्राह्मण समुदाय के पुरुषों द्वारा। ये ब्राह्मण परिवार कुचिपुडी़ के भागवतथालू कहलाते थे। कुचिपुडी़ के भागवतथालू ब्राह्मणों का पहला समूह १५५९ विक्रमाब्द के आसपास निर्मित किया गया था। उनके कार्यक्रम देवताओं को समर्पित किए जाते थे। प्रचलित कथाओं के अनुसार कुचिपुड़ी नृत्य को पुनर्परिभाषित करने का कार्य सिद्धेन्द्र योगी नामक एक कृष्ण-भक्त संत ने किया था।[1][2]
कूचिपूड़ी के पंद्रह ब्राह्मण परिवारों ने पांच शताब्दियों से अधिक समय तक परम्परा को आगे बढ़ाया है। प्रतिष्ठित गुरु जैसे वेदांतम लक्ष्मी नारायण, चिंता कृष्णा मूर्ति और तादेपल्ली पेराया ने महिलाओं को इसमें शामिल कर नृत्य को और समृद्ध बनाया है। डॉ॰ वेमापति चिन्ना सत्यम ने इसमें कई नृत्य नाटिकाओं को जोड़ा और कई एकल प्रदर्शनों की नृत्य संरचना तैयार की और इस प्रकार नृत्य रूप के क्षितिज को व्यापक बनाया। यह परम्परा तब से महान बनी हुई है जब पुरुष ही महिलाओं का अभिनय करते थे और अब महिलाएं पुरुषों का अभिनय करने लगी हैं।
प्रदर्शन एवं मंचन
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नृत्य का प्रदर्शन एक विशेष परंपरागत विधि से होता है। मंच पर परंपरागत पूजन के पश्चात् प्रत्येक कलाकार मंच पर प्रवेश करता है और एक विशेष लयबद्ध रचना धारवु के द्वारा अपना पात्र-परिचय देता है। पात्रों के परिचय और नाटक के भाव तथा परिपेक्ष निर्धारित हो जाने के बाद मुख्य नाट्य आरम्भ होता है। नृत्य के साथ कर्नाटक संगीत में निबद्ध गीत मृदंगम्, वायलिन, बाँसुरी और तम्बूरा इत्यादि वाद्ययंत्रों के साथ नृत्य में सहयोगी भूमिका निभाता है और कथानक को भी आगे बढ़ाने में सहायक होता है। नर्तकों द्वारा पहने जाने वाले आभूषण परंपरागत होते हैं जिन्हें एक विशेष प्रकार की हलकी लकड़ी बूरुगु से निर्मित किये जाने की परंपरा लगभग सत्रहवीं सदी से चली आ रही है।
शैली
[संपादित करें]भरत मुनि, जिन्होंने नाट्य शास्त्र की रचना की, इस प्रकार के नृत्य के कई पहलुओं की व्याख्या प्रस्तुत करते हैं। बाद में कोई १३वीं सदी के अंतर्गत सिद्धेन्द्र योगी ने इसे एक अलग विशिष्ट शैली का रूप प्रदान किया। माना जाता है कि वे नाट्यशास्त्र में पारंगत थे और कुछ विशेष नाट्यशास्त्रीय तत्वों को चुन कर उन्हें इस नृत्य के रूप में समायोजित किया। उन्होंने पारिजातहरणम नामक नाट्यावली की रचना की।[3]
कुचिपुड़ी नर्तक चपल और द्रुत गति से युक्त, एक विशेष वर्तुलता लिये क्रम में भंगिमाओं का अनुक्रम प्रस्तुत करते हैं और इस नृत्य में पद-संचालन में उड़ान की प्रचुर मात्रा होती है जिसके कारण इसके प्रदर्शन में एक विशिष्ट गरिमा और लयात्मकता का सन्निवेश होता है। कर्नाटक संगीत के साथ प्रस्तुत किया जाने वाला यह नृत्य कई दृष्टियों से भरतनाट्यम के साथ समानतायें रखता है। एकल प्रसूति में कुचिपुड़ी में जातिस्वरम् और तिल्लाना का सन्निवेश होता है जबकि इसके नृत्यम् प्रारूप में कई संगीतबद्ध रचनाओं द्वारा भक्त के भगवान में लीन हो जाने की आभीप्सा का प्रदर्शन होता है। इसके एक विशेष प्रारूप तरंगम् में नर्तकी थाली, जिसमें दो दीपक जल रहे होते हैं, के किनारों पर नृत्य करती है और साथ ही हाथों में एक जलपात्र किन्दी को भी संतुलित रखती है।
नृत्य की वर्तमान शैली कुछ मानक ग्रंथों पर आधारित है। इनमें सबसे प्रमुख है - नंदिकेश्वर रचित "अभिनय दर्पण" और "भरतार्णव"।
प्रमुख कलाकार
[संपादित करें]- लक्ष्मी नारायण शास्त्री[4]
- स्वप्नसुंदरी[5]
- राजा और राधा रेड्डी[6]
- यामिनी कृष्णमूर्ति
- यामिनी रेड्डी
- कौशल्या रेड्डी
- वेदांतम सत्यनारायण
- मल्लिका साराभाई (भारतनाट्यम)
- अपर्णा सथिसन
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]सन्दर्भ
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
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कुचिपुड़ी से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
- विश्व का सबसे बड़ा कुचिपुड़ी नृत्य कीर्तिमान
- कुचिपुड़ी नृत्य की पोशाक और आभूषण
- एक मुसलमान का कुचिपुड़ी सीखना चुनौती बीबीसी पर हलीम खान के बारे में एक रपट
- राजा और राधा रेड्डी समूह द्वारा प्रस्तुत नृत्य का वीडियो, यू ट्यूब पर
सुझावित ग्रन्थ और सामग्री
[संपादित करें]- Kuchipudi Bhartam. Sri Satguru Publications/Indian Books Centre, Delhi, India, in Raga-Nrtya Series.
- ↑ Kothari, Sunil; Pasricha, Avinash (2001). कुचिपुड़ी (अंग्रेज़ी भाषा में). अभिनव प्रकाशन. p. 31. 4 मार्च 2016 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 29 अक्टूबर 2015.
- ↑ Banham, edited by James R. Brandon ; advisory editor, Martin (1993). The Cambridge guide to Asian theatre (Pbk. ed.). Cambridge, England: Cambridge University Press. p. 96. ISBN 9780521588225. 21 फ़रवरी 2014 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 29 अक्तूबर 2015.
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(help)CS1 maint: multiple names: authors list (link) - ↑ Banham, Sunil Kothari, Avinash Pasricha (2001). Kuchipudi. New Delhi, India: Shakti Malik, Abhinav Publications. 1 अगस्त 2015 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 31 अक्तूबर 2015.
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(help)CS1 maint: multiple names: authors list (link) - ↑ "संग्रहीत प्रति". 15 फ़रवरी 2017 को मूल से पुरालेखित. अभिगमन तिथि: 15 फ़रवरी 2017.
- ↑ "Back in time". दि हिन्दू. अभिगमन तिथि: 15 फ़रवरी 2015.
- ↑ "प्रसिद्द कुचिपुड़ी नर्तक:भावालय.कॉम पर". मूल से से 27 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित।. अभिगमन तिथि: 31 अक्तूबर 2015.
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(help) - ↑ Bishnupriya Dutt; Urmimala Sarkar Munsi (9 September 2010). Engendering Performance: Indian Women Performers in Search of an Identity. SAGE Publications. pp. 216–. ISBN 978-81-321-0612-8.