काबुल

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निर्देशांक: 34°31′59″N 69°09′58″E / 34.533°N 69.166°E / 34.533; 69.166
काबुल
Kabul / کابل
काबुल शहर
काबुल शहर
काबुल शहर

काबुल

प्रांत काबुल
निर्देशांक 34°31′59″N 69°09′58″E / 34.533°N 69.166°E / 34.533; 69.166
जनसंख्या  (2005)[1]
29,94,000 (1st)
शहर का UN अनुमान
City Districts 18 सेक्टर या बोरो
Area
 - Elevation

1,790 मी॰ (5,873 फीट)
Time zone UTC+4:30 Kabul
महापौर रोहुल्लाह अमान
पुलिस मुख्य Asmatullah Dawlatzai[2]

काबुल अफगानिस्तान की राजधानी है। काबुल अफगानिस्‍तान का सबसे बड़ा शहर और राजधानी है। यह अफगानिस्‍तान का आर्थिक और सांस्‍कृतिक केंद्र भी है। यह शहर समुद्र तल से 1800 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। काबुल सफेद खो पहाड़ी और काबुल नदी के बीच बसा हुआ है। यह पर्यटन की दृष्टि से मध्‍य एशिया का एक महत्‍पपूर्ण केंद्र माना जाता है। यहां कई प्रमुख पर्यटन स्‍थल हैं। जिसमें अफगान नेशनल म्‍यूजियम, दारुल अमन पैलेस, बाग-ए-बाबर, ईदगाह मस्जिद, ओमर माइन म्‍यूजियम यहां के प्रमुख दर्शनीय स्‍थल है।

इतिहास[संपादित करें]

इस शहर का इतिहास 3000 वर्ष पुराना है। इस दौरान यहां बाला भुरटा शासक वंशों का शासन रहा। अपने सामरिक के कारण यह हमेशा मध्‍य एशिया का एक प्रमुख केंद्र बना रहा। ईसा पूर्व 323 ईसवी से यहां पर मौर्य वंश के कई शासकों का शासन रहा जो कि 184 वर्ष तक रहा 1504 ई. में इस पर बाबर ने कब्ज़ा कर लिया। 1526 ई. में भारत विजय तक यह बा‍बर के साम्राज्‍य के प्रशासन का केंद्र बना रहा। 1776 ई. में तैमूरा शाह दुर्रानी ने इसे अफगानिस्‍तान की राजधानी बनाया।

आकर्षण[संपादित करें]

अफगान नेशनल म्‍यूजियम[संपादित करें]

इसे काबुल म्‍यूजियम भी कहा जाता है। यह ऐतिहासिक दो मंजिला इमारत काबुल में स्थित है। इस म्‍यूजियम को मध्‍य एशिया का सबसे समृद्ध संग्रहालय माना जाता है। यहां कई सहस्राब्दिक पूर्व के लगभग एक लाख दुलर्भ वस्‍तुओं का संग्रह है। इस म्‍यूजियम की स्‍थापना 1920 ई. में हुई थी। 1973 ई. में एक डच वास्‍तुविद को इस संग्रहालय की नई इमारत का डिजाइन तैयार करने के लिए बुलाया गया था। लेकिन राजनीतिक अस्थिरता के कारण यह योजना पूर्ण न हो सकी। 1996 ई. में तालिबान शासन के दौरान इस म्‍यूजियम को लूटा गया। इस म्‍यूजियम को पुन: अपने वास्‍तविक रूप में लाने के लिए अंर्तराष्‍ट्रीय समुदाय ने 2003 ई. में 350000 अमेरिकी डालर का सहयोग दिया। विदेशी सहायता से बने नए इस संग्रहालय का उदघाटन 29 सितंबर 2004 ई. को किया गया। इस संग्रहालय में कुषाण काल से सम्‍बन्‍धित विभिन्‍न बौद्ध स्‍मृति चिन्‍हों का अच्‍छा संग्रह है। इसके अलावा यहां इस्‍लाम धर्म के प्रारंभिक काल से संबंद्ध दस्‍तावेजों का संग्रह भी है।

दारुल अमन पैलेस[संपादित करें]

काबुल की सड़कों पर भाई-बहन

यह यूरोपियन शैली में बना हुआ महल है जो काबुल से 10 मील की दूरी पर स्थित है। दारुल अमन पैलेस का निर्माण 1920 ई. में सुधारवादी राजा अमानुल्‍लाह खान ने करवाया था। यह भवन एक पहाड़ी पर बना हुआ है। यहां से पूरी घाटी का सुंदर नजारा दिखा जा सकता है। इस इमारत का निर्माण अफगानिस्‍तान की संसद के लिए करवाया गया था। लेकिन अमानुल्‍लाह के शासन से हटने के बाद यह इमारत कई वर्षों तक बिना उपयोग के पड़ी रहा। 1969 ई. में इस इमारत में आग लग गई। 1970 तथा 80 के दशक में इस इमारत को रक्षा मंत्रालय द्वारा उपयोग किया गया। वर्तमान में इस इमारत का उपयोग नाटो सेनाओं द्वारा किया जा रहा है। अफगानिस्‍तान की वर्तमान सरकार इस इमारत को नया रूप देकर संसद भवन के रूप में तब्‍दील करने वाली है।

ईदगाह मस्जिद[संपादित करें]

यह अफगानिस्‍तान की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद है। इस मस्जिद में एक साथ 20 लाख लोग नमाज अदा करते हैं। इस मस्जिद का निर्माण 1893 ई. के आस-पास यहां के तात्‍कालीक शासक अब्‍दुर रहमान खान ने करवाया था। यह काबुल के शहर बराक क्षेत्र में स्थित है। इस मस्जिद का अफगानिस्‍तान की राजनीति पर व्‍यापक प्रभाव है।

बाला हिसार[संपादित करें]

यह अफगानिस्‍तान का प्राचीन किला है। इस किले का निर्माण 5वीं शताब्‍दी ई. पू. के आस-पास हुआ था। बाला हिसार वर्तमान काबुल शहर के दक्षिण में खुह-ए-शेरदरवाज पहाड़ी के पास स्थित है। यह किला मूल रूप से दो भागों में विभक्‍त था। किले के नि‍चले भाग में बैरक तथा तीन राजकीय भवन थे। जबकि ऊपरी भाग में शस्‍त्रागार तथा कारागार था। इस कारागार को काला गढा के नाम से जाना जाता‍ था।

काबुल सिटी सेंटर[संपादित करें]

यह अफगानिस्‍तान का पहला आधुनिक मॉल है। इसका उदघाटन 2005 ई. को किया गया। यह नौ मंजिला मॉल काबुल के निचले हिस्‍से में स्थित है।

बाग-ए-बाबर[संपादित करें]

यह काबुल आने वाले पर्यटकों का सबसे पसंदीदा स्‍थान है। इसी बाग में प्रथम मुगल बादशाह बाबर की कब्र है। यह बाग कई बगीचों को मिलाकर बनाया गया है। इस बाग की बाहरी दीवार का पुनर्निर्माण 2005 ई. में पुरानी शैली में ही किया गया था। इस दीवार को 1992-96 ई. में युद्ध के दौरान क्षति पहुंची थी। यह बाग काबुल के चेचलस्‍टन क्षेत्र में स्थित है। बाबर की मृत्‍यु के बाद उन्‍हें आगरा में दफनाया गया था। लेकिन बाबर की यह इच्‍छा थी कि उन्‍हें काबुल में दफनाया जा। इस कारण उनकी इच्‍छानुसार उन्‍हें काबुल लाकर इस बाग में दफनाया गया। इसी बाग की प्रेरणा से भारत में मुगल बादशाहों ने कई बागों का निर्माण करवाया।

काबुल चिडियाघर[संपादित करें]

यह चिड़ियाघर काबुल नदी के तट पर स्थित है। इस चिडियाघर को 1967 ई. में आम लोगों के लिए खोला गया था। इस चिडियाघर में 116 जानवर हैं। इन जानवरों की देखभाल के लिए यहां 60 कर्मचारी कार्यरत हैं। समय: सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक, प्रतिदिन। शुल्‍क: अफगानियों के लिए 10 अफगानी मुद्रा तथा विदेशियों के लिए 100 अफगानी मुद्रा।

ओमर माइन म्‍यूजियम[संपादित करें]

यह अपने आप में एक अनोखा म्‍यूजियम है। इस म्‍यूजियम में प्रसिद्ध कलाकृतियों या हस्‍तशिल्‍पों को नहीं बल्कि विभिन्‍न प्रकार के बमों को देखा जा सकता है। इस म्‍यूजियम में पर्यटक उन सभी प्रकार के हथियारों को देख सकते हैं, जिनका उपयोग यहां होने वाले युद्धों में किया गया है। इस म्‍यूजियम को घूमने के लिए पहले से अनुमति लेनी होती है।

पघमान गार्डन[संपादित करें]

यह गार्डन काबुल में छुट्टियां बिताने के लिए सबसे खूबसूरत स्‍थल है। यहां लोग अपने मित्रों तथा संबंधियों के साथ छुट्टियां बिताने आते हैं। इस गार्डन का निर्माण 1927-28 ई. में बादशाह अमानुल्‍लाह ने करवाया था।

इसके अलावा हाजी अब्‍दुल रहमान मस्जिद, पुल-ए किस्‍ती मस्जिद, ओरघा झील, बाग-ए-जनाना, बाग-ए-बाला आदि भी दर्शनीय है।

चित्र दीर्घा[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. UN World Urbanization Prospects: The 2005 Revision Population Database...link
  2. Pajhwok Afghan News, Coordination among forces top priority (January 17, 2007)