काइटिन

काइटिन (C8H13O5N)n (उच्चारण सहायता /ˈkaɪtɨn/) ग्लूकोज से व्युत्पन्न एन -एसिटाइलग्लूकोसेमाइन का वृहत-श्रृंखला बहुलक है, जो समस्त प्रकृति जगत में अनेक स्थानों पर पाया जाता है। यह कवक की कोशिका भित्ति, जलीय संधिपादों (उदाहरण के लिए, केकड़ा, झींगा और चिराट) और कीटों के बाह्यकंकालों, घोंघे के घर्षित्रों तथा समुद्रफेनी व ऑक्टोपस सहित शीर्षपादों की चोंचों का मुख्य घटक है। काइटिन की बहुशर्कराइड सेलुलोस और प्रोटीन किरेटिन से तुलना की जा सकती है। हालांकि किरेटिन एक प्रोटीन है, काइटिन की भांति कार्बोहाइड्रेट नहीं है, किरेटिन और काइटिन के संरचनात्मक प्रकार्य समान होते हैं। काइटिन अनेक चिकित्सा और औद्योगिक प्रयोजनों के लिए उपयोगी सिद्ध हुआ है।
शब्द-व्युत्पत्ति
[संपादित करें]अंग्रेजी शब्द "काइटिन" फ्रेंच शब्द "काइटिन" ("chitine") से आया है, जो सबसे पहले 1836 में सामने आया था। इन शब्दों की व्युत्पत्ति यूनानी शब्द "काइटोन" ("chitōn") से हुई है, जिसका अर्थ है, घोंघा. यूनानी शब्द "खाइटोन" ("khitōn"), जिसका अर्थ है कुर्ता या फ्रॉक, मध्य सामी शब्द "किटन" ("kittan"), या अकैडियन शब्द "किटू" ("kitû") या "किटाउम" ("kita’um") जिसका अर्थ है पटसन या सन और सुमेरियन शब्द "गादा" ("gada") या "गिदा" ("gida") से यह या तो प्रभावित है या संबंधित है।[1]
ऐसा ही एक शब्द है, "काइटोन" जिसका अर्थ होता है सुरक्षा कवच वाला एक समुद्री जीव (जो "समुद्री हिंडोला" के नाम से भी जाना जाता है).
रसायन विज्ञान, भौतिक गुण और जैविक प्रकार्य
[संपादित करें]काइटिन नाइट्रोजन युक्त संशोधित बहुशर्कराइड है, यह नाइट्रोजन -एसिटाइलग्लूकोसेमाइन (अधिक स्पष्टतः 2-(एसिटाइलएमीनो)-2-डिऑक्सी-डी-ग्लूकोज) का संश्लेषित रूप है। ये इकाइयां सहसंयोजक β-1,4 बंध बनाती हैं (सेलुलोज बनाने वाली ग्लूकोज इकाइयों के मध्य बंध के समान). इसलिए, काइटिन का ऐसे सेलूलोज के रूप में वर्णन किया जा सकता है जिसके प्रत्येक एकलक पर एक हाइड्रोक्साइल समूह एक एसिटाइल एमाइन समूह दवारा प्रतिस्थिापित होता है। इसके कारण आसन्न बहुलकों में हाइड्रोजन बंधों की वृद्धि होती है, जिससे काइटिन-बहुलक मैट्रिक्स की शक्ति में वृद्धि होती है।

अपने असंशोधित रूप में, काइटिन पारदर्शी, लचीला, लोचदार और काफी कठोर होता है। तथापि, सन्धिपादों में यह प्रायः संशोधित होता है, एक कठोर प्रोटीन सदृश मैट्रिक्स में सन्निहित हो जाता है, जो अधिकांश बाह्यकंकाल को बनाता है। अपने शुद्ध रूप में यह चमड़े के समान होता है, लोकिन जब इस पर कैल्शियम कार्बोनेट की पपड़ी जमा होती है तो यह अधिक कठोर हो जाता है।[2] असंशोधित और संशोधित रूपों के मध्य अंतर को एक इल्ली (असंशोधित) एवं एक भृंग (संशोधित) के शरीरों की दीवारों की तुलना करके देखा जा सकता है।
जीवाश्म अभिलेख
[संपादित करें]काइटिन सबसे पहले कैम्ब्रियन संधिपादों, जैसे ट्रिलोबाइट्स के बाह्यकंकालों में पाया गया था। सबसे पुराना संरक्षित काइटिन आदिनूतन युग का है, लगभग साँचा:Ma/1 million years ago[3]
उपयोग
[संपादित करें]कृषि
[संपादित करें]सबसे हाल के अध्ययन बताते हैं कि काइटिन पौधों में रक्षा तंत्र का अचछा प्रेरक है।[4] हाल ही में इसका एक उर्वरक के रूप में परीक्षण किया गया जो पौधों में स्वस्थ प्रतिरक्षा अनुक्रियाएं विकसित कर सकता है और अधिक बेहतर उपज तथा प्रत्याशा हो सकती है।[5] ईपीए (EPA) अमेरिका के अंदर कृषि उपयोग के लिए काइटिन को नियंत्रित करता है।[6] काइटिन से व्युत्पन्न काइटोसन का उपयोग कृषि एवं बागवानी में जैव नियंत्रण प्रेरक के रूप में किया जाता है।
औद्योगिक
[संपादित करें]काइटिन का औद्योगिक रूप से अनेक प्रक्रियाओं में उपयोग किया जाता है। खाद्य पदर्थों एवं औषधियों को गाढ़ा और स्थिर करने के लिए इसका योज्य के रूप में उपयोग किया जाता है। यह रंगों, वस्त्रों तथा आसंजकों में बंधक का कार्य करता है। काइटिन से औद्योगिक पृथक्करण झिल्ली तथा आयन-विनिमय राल बनाए जा सकते हैं। कागज को आकार और मजबूती देने वाली प्रक्रियाओं में काइटिन का उपयोग किया जाता है।[उद्धरण चाहिए]
चिकित्साशास्त्र
[संपादित करें]काइटिन के मजबूती और लचीलेपन के गुण इसे शल्य-धागों के लिए अनुकूल बनाते हैं। इसकी जैव निम्नीयता का मतलब यह है कि जैसे-जैसे घाव भरता है, समय के साथ यह नष्ट हो जाता है। इसके अलावा, काइटिन में कुछ असामान्य गुण हैं जो मनुष्य के घाव भरने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं।[7]
सीपदार मछली प्रसंस्करण जैसे उच्च पर्यावरणीय काइटिन स्तर से जुड़े व्यवसायों में दमा की संभावना अधिक रहती है। हाल ही के अध्ययनों ने सुझाव दिया है कि मानव एलर्जी रोग में काइटिन एक संभावित तरीके से भूमिका निभा सकता है। विशेष रूप से, काइटिन उपचारित चूहों में सहज प्रतिरक्षक कोशिकाओं को व्यक्त करने वाले इंटरल्यूकिन-4 के निर्माण के रूप में एलर्जी की प्रतिक्रिया विकसित होती है। इन उपचारित चूहों में काइटिनेस एंजाइम के अतिरिक्त उपचार से यह प्रतिक्रिया समाप्त हो जाती है।[8]
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]- काइटोसन (कृषि और बागवानी उपयोग के लिए प्राकृतिक जैव नियंत्रण)
- काइटोबायोस
- बायोपेस्टिसाइड
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ अंग्रेजी भाषा के अमेरिकन हेरिटेज शब्दकोश: चतुर्थ संस्करण. Archived 2007-03-13 at the वेबैक मशीन2000. काइटोन के लिए प्रवेश Archived 2007-03-13 at the वेबैक मशीन
- ↑ कैम्पबेल, एन. ए. (1996) जीवविज्ञान (चतुर्थ संस्करण) बेंजामिन कमिंग्स, न्यू वर्क. पृष्ठ 69 ISBN 0-8053-1957-3
- ↑ Briggs, DEG (29 जनवरी 1999). "Molecular taphonomy of animal and plant cuticles: selective preservation and diagenesis". Philosophical Transactions of the Royal Society B: Biological Sciences. 354 (1379): 7–17. doi:10.1098/rstb.1999.0356. PMC 1692454.
- ↑ "Linden, J., Stoner, R., Knutson, K. Gardner-Hughes, C. "Organic Disease Control Elicitors". Agro Food Industry Hi-Te (p12-15 Oct 2000)" (PDF). Archived from the original (PDF) on 6 जुलाई 2007. Retrieved 2 दिसंबर 2010.
{{cite web}}
: Check date values in:|access-date=
(help); Cite has empty unknown parameter:|3=
(help) - ↑ "Chitosan derived from chitin, Chitosan Natural Biocontrol for Agricutlural & Horticultural use". Archived from the original on 3 नवंबर 2010. Retrieved 2 दिसंबर 2010.
{{cite web}}
: Check date values in:|access-date=
and|archive-date=
(help); Cite has empty unknown parameter:|3=
(help) - ↑ "EPA: Chitin; Poly-N-acetyl-D-glucosamine (128991) Fact Sheet". Archived from the original on 4 सितंबर 2010. Retrieved 2 दिसंबर 2010.
{{cite web}}
: Check date values in:|access-date=
(help); Cite has empty unknown parameter:|3=
(help) - ↑ Bhuvanesh Gupta,Abha Arorab,Shalini Saxenaa and Mohammad Sarwar Alam (July 2008). "Preparation of chitosan–polyethylene glycol coated cotton membranes for wound dressings: preparation and characterization". Polymers for Advanced Technologies. 20: 58–65. doi:10.1002/pat.1280.
{{cite journal}}
: CS1 maint: multiple names: authors list (link)[मृत कड़ियाँ]</ - ↑ Tiffany A. Reese, Hong-Erh Liang, Andrew M. Tager, Andrew D. Luster, Nico Van Rooijen, David Voehringer & Richard M. Locksley (3 मई 2007). "Chitin induces accumulation in tissue of innate immune cells associated with allergy". Nature. 447 (7140): 92–96. doi:10.1038/nature05746. PMC 2527589. PMID 17450126. Archived from the original on 2 नवंबर 2012. Retrieved 2 दिसंबर 2010.
{{cite journal}}
: Check date values in:|access-date=
and|archive-date=
(help)CS1 maint: multiple names: authors list (link)
- मार्टिन-गिल ऍफ़जे (FJ), लील जेए, गोमेज़-मिरांडा बी, मार्टिन-गिल जे, प्रिटो ए, रामोस-सैन्चेज़ एमसी. "काइटिनों और काइटिन-ग्लुकंस का कम तापमान थर्मल व्यवहार. थर्मोचिम. एक्टा, 1992, खंड 211, पीपी. 241-254.