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कश्मीर की संस्कृति

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जम्मू और कश्मीर उत्तर भारत में स्थित राज्य है। कश्मीर के सीमांत क्षेत्र पाकिस्तान, अफगानिस्तान, सिंक्यांग तथा तिब्बत हैं। कश्मीर प्रदेश को 'दुनिया का स्वर्ग' भी कहा जाता है। अधिकांश राज्य पर्वत, नदियों और झीलों से ढका हुआ है। कश्मीर की संस्कृति कई संस्कृतियों का एक विविध मिश्रण है। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ साथ, कश्मीर में अपने सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है, यह हिंदू, सिख, बौद्ध और इस्लामिक ज्ञान विद्या को जोड़ती है|

कश्मीर की संस्कृति का अर्थ कश्मीर की संस्कृति एवं परम्पराओं से हैं. कश्मीर, उत्तर भारत का क्षेत्र (जम्मू-कश्मीर से मिलकर), उत्तर-पूर्व पाकिस्तान (आजाद कश्मीर और गिलगित-बाल्टिस्तान से मिलकर) और अक्साई चिन जो चीनी कब्जे वाले क्षेत्र हैं।

कश्मीर की संस्कृति में बहुरंगी मिश्रण है एवं यह उत्तरी दक्षिण एशियाई के साथ साथ मध्य एशियाई संस्कृति से अत्यधिक प्रभावित हैं। अपनी प्राकृतिक सुंदरता के साथ-साथ कश्मीर अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है; यह मुस्लिम, हिंदू, सिख और बौद्ध दर्शन एक साथ मिल कर एक समग्र संस्कृति का निर्माण करते हैं जो मानवतावाद और सहिष्णुता के मूल्यों पर आधारित हैं एवं सम्मिलित रूप से कश्मीरियत के नाम से जाना जाता है। [1]

पृष्ठभूमि

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कश्मीरी लोगों की सांस्कृतिक पहचान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा कश्मीरी (कोशूर) भाषा है। इस भाषा को केवल कश्मीरी पंडितों और कश्मीरी मुसलमानों द्वारा कश्मीर की घाटी में बोली जाती है। कश्मीरी भाषा के अलावा, कश्मीरी भोजन और संस्कृति बहुत हद तक मध्य एशियाई और फारसी संस्कृति से प्रभावित लगता है। कश्मीरी इंडो-आर्यन (दर्डिक उपसमूह) भाषा है जो मध्य एशियाई अवेस्तन एवं फारसी के काफी करीब हैं। सांस्कृतिक संगीत एवं नृत्य जैस वानवन, रउफ, कालीन / शाल बुनाई और कोशूर एवं सूफियाना कश्मीरी पहचान का एक बहुत ही महत्वपूर्ण हिस्सा है। कश्मीर में कई आध्यात्मिक गुरु हुए हैं अपने देश से से पलायन कर कश्मीर में बस गए। कश्मीर भी कई महान कवियों और सूफी संत भी हुए जिनमे लाल देद, शेख-उल-आलम एवं और भी कई नाम हैं। इसलिए इसे पीर वैर (आध्यात्मिक गुरुओं की भूमि)के नाम से भी जाना जाता हैं। यहाँ पर यह ध्यान देने की बात हैं की कश्मीरी संस्कृति मुख्य रूप से केवल कश्मीर घाटी में चिनाब क्षेत्र के डोडा में ज्यादातर देखी जाती हैं। जम्मू और लद्दाख की अपनी अलग संस्कृति हैं जो कश्मीर से बहुत अलग हैं।

लद्दाख की संस्कृति अपनी अनूठी भारत-तिब्बत संस्कृति के लिए प्रसिद्ध है। संस्कृत और तिब्बती भाषा में मंत्र जाप की आवाजे लद्दाख के बौद्ध जीवन शैली का एक अभिन्न हिस्सा है। वार्षिक नकाबपोश नृत्य समारोहों, बुनाई और तीरंदाजी लद्दाख के पारंपरिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। लद्दाखी भोजन और तिब्बती भोजन में काफी समानता हैं। सबसे प्रमुख खाद्य पदार्थों में ठुक्पा, नूडल सूप एवं त्सम्पा हैं भुना हुआ जौ के आटे शामिल हैं।

जम्मू की डोगरा परंपरा और संस्कृति कश्मीरी संस्कृति से बहुत अलग है। इसके बजाय डोगरा संस्कृति पड़ोसी पंजाब और हिमाचल प्रदेश से काफी मिलती जुलती हैं। पारंपरिक पंजाबी त्योहार जैसे लोहड़ी और बैसाखी एवं विलय दिवस, जो भारत डोमिनियन में जम्मू-कश्मीर के विलय की स्मृति में मनाया जाता हैं काफी जोश और उत्साह के साथ पूरे क्षेत्र में मनाया जाता है। [2] डोगरों के बाद, गुर्जर जम्मू में दूसरा सबसे बड़ा जातीय समूह हैं। गुर्जर अपनी अर्ध खानाबदोश जीवन शैली के लिए जाने जाते है, यह कश्मीर घाटी में भी बड़ी संख्या में पाए जाते हैं।

पाकिस्तान

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पाक अधिकृत कश्मीर की संस्कृति जम्मू और कश्मीर की संस्कृति के साथ बहुत मिलती जुलती हैं। लेकिन वहां बोली जाने वाली भाषा 'पहाड़ी' (पंजाबी के समान) हैं कश्मीरी नहीं।

कश्मीरी पंडितों के मांसाहारी व्यंजन हैं: मांसाहारी क़लिया, रोग़न जोश, यख़नी, मछली, इत्यादि। कश्मीरी पंडितों के शाकाहारी व्यंजन हैं : शाकाहारी क़लिया, दम आलू, राज़्मा, बैंगन, इत्यादि। कश्मीरी मुसल्मानों के मांसाहारी व्यंजन हैं: कई तरह के कबाब और कोफ़्ते, रिश्ताबा, गोश्ताबा, इत्यादि। परम्परागत कश्मीरी दावत को वाज़वान कहा जाता है।

त्यौहार और पर्व

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यहाँ कई प्रकार के समारोह हैं जो मौसम के साथ जुड़े हैं।

भाषा एवं साहित्य

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कश्मीरी भाषा कश्मीर में बोले जानी वाली मुख्या भाषा हैं। कश्मीरी साहित्य भी काफी समृद्ध हैं हैं एवं सैकड़ो वर्ष पुरानी हैं। कश्मीर में भाषा की बात करे तो यहाँ की प्रमुख बोले जाने वाली भाषाएँ कश्मीरी के साथ साथ गोजरी, पहाड़ी,पंजाबी, शीना,उर्दू व हिंदी हैं I

सन्दर्भ

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  1. "Kashmiri Culture". मूल से 3 फ़रवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 फ़रवरी 2017.
  2. "J-K Accession Day to be celebrated as Diwali: BJP". Rediff. मूल से 28 अक्तूबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-12-31.